JDU का RJD में विलय करना नीतीश की मजबूरी, आरसीपी बोले- 2024 में अकेले लड़ें तो मिलेगा जीरो

JDU का RJD में विलय करना नीतीश की मजबूरी, आरसीपी बोले- 2024 में अकेले लड़ें तो मिलेगा जीरो

MUZAFFARPUR: बीजेपी के जेडीयू से अलग होने के बाद से कई ऐसे मौके आए जब मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने तेजस्वी यादव को अपना सियासी उत्तराधिकारी बताते दिखे। नीतीश कई बार तेजस्वी की ओर इशारा करते हुए यह कह चुके हैं कि अब आगे उन्हें ही सबकुछ देखना है। बीजेपी के कई नेता इस बात का दावा कर चुके हैं कि जल्द ही जेडीयू का आरजेडी में विलय होने वाला है। अब जेडीयू के पूर्व राष्ट्रीय अध्यक्ष और पूर्व केंद्रीय मंत्री आरसीपी सिंह ने भी कह दिया है कि नीतीश कुमार आने वाले समय में जेडीयू का आरजेडी में विलय करने वाले हैं, यही कारण है कि वे तेजस्वी को आगे कर रहे हैं। उन्होंने पूछा है कि क्या जेडीयू में कोई भी ऐसा नेता नहीं बचा है कि नीतीश कुमार तेजस्वी को आगे कर रहे हैं। उन्होंने कहा है कि जेडीयू का आरजेडी में विलय करना नीतीश कुमार की मजबूरी है क्योंकि वे अच्छी तरह से जानते हैं कि 2024 में अगर अकेले लड़े तो जीरो बट्टा सन्नाटा हाथ लगेगा।


आरसीपी सिंह ने कहा है कि नीतीश कुमार को यह लगता है कि जेडीयू में कोई ऐसा नेता नहीं है जिसको आगे किया जाए, इसलिए अपने सहयोगी दल के नेता तेजस्वी यादव को आगे कर रहे हैं और ऐसा काम नीतीश कुमार ही कर सकते हैं। इससे नीतीश कुमार की मंशा स्पष्ट हो गई है। नीतीश की आगे चलकर वे जेडीयू का आरजेडी में विलय करने जा रहे हैं। उन्होंने कहा कि जेडीयू में ऐसे नेता और कार्यकर्ता नहीं हैं क्या कि नीतीश अपने सहयोगी दल के नेता तेजस्वी को आगे कर रहे हैं। मतलब साफ है कि आने वाले समय में जेडीयू का आरजेडी मर्जर होने वाला है, अब जेडीयू के नेता अपने बारे में सोचें।


वहीं 2024 में होने वाले लोकसभा चुनाव को लेकर आरसीपी ने साफ लहजे में कहा कि नीतीश कुमार अगर 2024 में अकेले या महागठबंधन के साथ चुनाव लड़ेंगे तो उनको एक सीट भी नहीं मिलने वाली है लेकिन जब जेडीयू का आरजेडी में विलय हो जाएगा तो शायद कुछ सीटें उन्हें मिल जाएं,नहीं तो जीरो बट्टा सन्नाटा हाथ लगेगा। उन्होंने कहा कि विलय की चर्चा से ही जेडीयू के नेताओं की नींद उड़ गई है। जो हालात हैं उसमें नीतीश कुमार की कोई प्रतिष्ठा नहीं बची है।


आरसीपी ने कहा कि 2020 के चुनाव में मुख्यमंत्री के तीन उम्मीदवार थे। एक खुद नीतीश कुमार, दूसरे तेजस्वी यादव और तीसरे उपेंद्र कुशवाहा भी सीएम के कैंडिडेट थे लेकिन आज तीनों साथ हैं, यह नीतीश कुमार ही संभव कर सकते हैं। जहां इस तरह की राजनीति होगी वहां सभी लोग कुंठित होंगे। नीतीश कुमार को यह कभी भी अच्छा नहीं लगता होगा कि वे 40 विधायकों के साथ मुख्यमंत्री के पद पर बैठे हुए हैं जबकि तेजस्वी यादव के पास सबसे अधिक विधायकों की संख्या है फिर भी वे डिप्टी सीएम बने हुए हैं, यह बात तेजस्वी यादव को भी अच्छी नहीं लगती होगी।