बिहार में नहीं थम रहा भूमि विवाद का मामला: मुजफ्फरपुर में जमीन कारोबारी की हत्या, दूसरे की हालत गंभीर CBSE Board 12th Result 2025: गोल इंस्टीट्यूट के छात्र-छात्राओं ने लहराया परचम PATNA: बिहार के शिक्षकों एवं पुस्तकालयाध्यक्षों के लिए अच्छी खबर, वेतन भुगतान के लिए 28 अरब से अधिक की राशि जारी Patna News: पटना में लेडीज स्पेशल पिंक बस के परिचालन का मार्ग निर्धारित, जानिए.. किराया और रूट Patna News: पटना में लेडीज स्पेशल पिंक बस के परिचालन का मार्ग निर्धारित, जानिए.. किराया और रूट Bihar News: अब विदेशी भाषा सीखेंगे बिहार के छात्र, राज्यभर के 15 इंजीनियरिंग कॉलेज में हुई शुरुआत Bihar News: अब विदेशी भाषा सीखेंगे बिहार के छात्र, राज्यभर के 15 इंजीनियरिंग कॉलेज में हुई शुरुआत Operation Sindoor: बिहार के लाल शहीद रामबाबू सिंह ने देश के लिए लुटा दी जान, हाल ही में हुई थी शादी; बॉर्डर पर चलाते थे एयर डिफेंस सिस्टम s 400 Operation Sindoor: बिहार के लाल शहीद रामबाबू सिंह ने देश के लिए लुटा दी जान, हाल ही में हुई थी शादी; बॉर्डर पर चलाते थे एयर डिफेंस सिस्टम s 400 PURNEA: विद्या विहार आवासीय विद्यालय में जश्न का माहौल, CBSE की 12वीं परीक्षा में शानदार प्रदर्शन
1st Bihar Published by: First Bihar Updated Fri, 07 Jul 2023 06:47:31 PM IST
- फ़ोटो
PATNA: पटना हाईकोर्ट में बिहार सरकार की जातीय गणना पर हो रही सुनवाई पूरी हो गयी है. लगातार पांच दिनों तक इस मामले पर कोर्ट में बहस हुई. इसमें पहले जातीय गणना के खिलाफ याचिका दायर करने वालों ने पक्ष रखा. फिर तीन दिनों तक राज्य सरकार की ओर से दलीलें पेश की गयी. कोर्ट ने मामले की सुनवाई के बाद फैसला सुरक्षित रख लिया है. अगले सप्ताह कोर्ट अपना फैसला सुना सकती है.
पटना हाईकोर्ट में मुख्य न्यायाधीश के. विनोद चंद्रन और जस्टिस पार्थ सारथी की बेंच में इस मामले में सुनवाई हुई. राज्य सरकार की ओर से महाधिवक्ता पी के शाही ने कोर्ट के सामने दलीलें रखी. उन्होंने कहा कि जातीय गणना कोई जनगणना नहीं बल्कि सर्वे है और इसका मकसद आम नागरिकों के आंकड़े इकट्ठा करना है. सरकार इन आंकड़ों के सहारे कल्याण की योजनायें चलायेगी.
लेकिन जातीय गणना के खिलाफ याचिका दायर करने वालों की ओर से बहस करने वाले वकीलों ने कहा कि बिहार सरकार के पास जातिगत जनगणना कराने का अधिकार नहीं है. वह सरकारी पैसे का दुरूपयोग कर रही है. सरकार निजता के कानून का उल्लंघन कर रही है. लोगों को जाति बताने को मजबूर किया जा रहा है. राज्य सरकार के पास इसका कोई अधिकार नहीं है.
बता दें कि बिहार सरकार ने इसी साल 7 जनवरी से जातीय गणना का पहला चरण शुरू किया था. इसके बाद 15 अप्रैल को दूसरे चरण की शुरुआत हुई थी. लेकिन इसी बीच 21 अप्रैल को जातीय गणना का मामला सुप्रीम कोर्ट पहुंचा था. सुप्रीम कोर्ट ने जातीय गणना के खिलाफ याचिका दायर करने वालों को हाईकोर्ट जाने को कहा और निर्देश दिया कि हाईकोर्ट जल्द इस मामले की सुनवाई करे.
4 मई को पटना हाईकोर्ट ने बिहार में जातीय गणना पर रोक लगा दिया था. कोर्ट ने इस मामले पर सुनवाई के लिए 3 जुलाई की अगली तारीख तय की थी. इसके बाद बिहार सरकार ने जल्द सुनवाई की अपील दाखिल की थी लेकिन हाईकोर्ट ने उसकी मांग नहीं मानी. 9 मई को बिहार सरकार की अपील हाईकोर्ट से रिजेक्ट हुई तो बिहार सरकार ने सुप्रीम कोर्ट का रुख किया था. लेकिन सुप्रीम कोर्ट ने भी हाईकोर्ट में सुनवाई पूरी होने तक इंतजार करने को कहा था. इसके बाद पटना हाईकोर्ट ने 3 से 7 जुलाई तक इस मामले पर सुनवाई की.