DESK: सर्वदलीय बैठक के बाद जब कैबिनेट से जातिगत गणना का प्रस्ताव पारित हो गया तब बीजेपी के वरिष्ठ नेता व राज्यसभा सांसद सुशील कुमार मोदी ट्विटर के माध्यम से सरकार को नसीहत देने का काम कर रहे हैं। जातीय जनगणना को लेकर क्या करना चाहिए और क्या नहीं यह बता रहे हैं। यही नहीं इसे लेकर क्या एहतियात रखनी होगी इसे भी समझा रहे हैं। यदि सुशील कुमार मोदी के ट्विटर अकाउंट पर गौर किया जाए तो उन्होंने जातीय जनगणना को लेकर 10 घंटे में 5 ट्वीट किया है। जिसमें एक वीडियो भी बनाकर उन्होंने पोस्ट किया है। सबसे पहले उन्होंने ट्विटर पर यह लिखा कि "जातीय जनगणना को लेकर टीम भेज कर कर्नाटक और तेलंगाना के जातीय सर्वेक्षण का कराएं अध्ययन...
ठीक पांच घंटे बाद लिखा कि "अन्य दलों के दबाव में जल्दबाजी की आवश्यकता नहीं है बल्कि पूरी तैयारी, प्रशिक्षण, मार्गदर्शिका निर्माण, प्रश्न-सूची, सॉफ्टवेयर, टेबलेट की व्यवस्था कर ही सर्वे किया जाना चाहिए।"
फिर तीसरा ट्वीट करते हुए लिखा कि "यह सर्वे केवल आर्थिक और जातिय ही नही बल्कि सामाजिक भी होना चाहिए। प्रत्येक जाति कि स्थिति का आकलन करने के लिए प्रत्येक परिवार कि शिक्षा,दिव्यांगता, ग्रसित बीमारियाँ, पशु-धन, चल-अचल संपत्ति, रोजगार, भूमि की उपलब्धता,स्वास्थ्य आदि से जुड़े प्रश्नों की सूची तैयार कर पूछा जाना चाहिए।"
सुशील मोदी फिर लिखते हैं कि "बिहार सरकार को सुझाव है कि प्रस्तावित जातीय गणना पेपर सर्वे के बजाय इलेक्ट्रॉनिक सर्वे या ई-सर्वे के माध्यम से कराया जाना चाहिए जिसमें प्रगणक टेबलेट के माध्यम से सारी सूचना एकत्र करेंगे ताकि रियल टाइम आंकड़े अपलोड किया जा सके ।"
सबसे अंतिम और पांचवा ट्वीट करते हुए सुशील मोदी लिखते हैं कि "टेबलेट के माध्यम से ई- गणना द्वारा जातीय गणना कराई जाए। सर्वे में जातीय, आर्थिक के साथ-साथ सामाजिक आकलन का भी प्रावधान किया जाना चाहिए।"
ट्वीट को पढ़कर ऐसा कहा जा सकता है कि सुशील मोदी बिहार सरकार के मसलों में खुब दिलचस्पी रखते हैं। जातीय जनगणना सही हो इसे लेकर वे बिहार की नीतीश सरकार को सुझाव दे रहे हैं। उनका कहना है कि जातिगत गणना पेपर सर्वे के बजाय इलेक्ट्रोनिक सर्वे हो। टेबलेट के जरीये सारी सुचनाएं एकत्र की जाए ताकि टाइम और आंकड़े अपलोड किया जा सके।