DELHI: देशभर में जातिगत गणना कराने की मांग वाली याचिका पर सुनवाई करते हुए सुप्रीम कोर्ट ने इसमें हस्तक्षेप करने से सीधे तौर पर इनकार कर दिया है। कोर्ट ने कहा है कि यह नीतिगत मामला है और सरकार के दायरे में आता है। सुप्रीम कोर्ट ने सामाजिक-आर्थिक जातिगत गणना पर विचार करने से मना किया। जिसके बाद याचिकाकर्ता ने इस याचिका को वापस लेने की अनुमति शीर्ष अदालत से मांगी है।
दरअसल, बिहार में जातिगत गणना कराए जाने के बाद अब इसकी मांग पूरे देश में उठ रही है। विपक्ष इसे मुद्दा बनाकर केंद्र सरकार को घेरने की कोशिश कर रही है और पूरे देश में जातिगत गणना कराने की मांग कर रहा है। जातिगत गणना कराने के लिए केंद्र सरकार को आदेश देने की मांग वाली एक याचिका पर सोमवार को सुप्रीम कोर्ट में सुनवाई हुई।
याचिकाकर्ता पी. प्रसाद नायडू की तरफ से दायर याचिका पर सुप्रीम कोर्ट के न्यायाधीश हृषिकेश रॉय और न्यायमूर्ति एसवीएन भट्टी की पीठ ने याचिका पर विचार करने से इनकार कर दिया। पीठ ने कहा कि इस बारे में क्या किया जा सकता है, यह मुद्दा शासन के अधिकार क्षेत्र में है। यह एक नीतिगत मामला है और कोर्ट इस मामले में हस्तक्षेप नहीं कर सकता है।
पीठ ने कहा कि वह इस याचिका को खारिज कर रही है, क्योंकि अदालत इस मुद्दे पर हस्तक्षेप नहीं कर सकता है। कोर्ट के इस रूख को देखते हुए याचिकाकर्ता ने अदालत से याचिका वापस लेने की अनुमति मांगी, जिसे कोर्ट ने स्वीकार कर लिया। जिसके बाद याचिकाकर्ता ने सुप्रीम कोर्ट से सामाजिक-आर्थिक जाति जनगणना की याचिका वापस ले ली।