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1st Bihar Published by: Updated Thu, 15 Dec 2022 08:51:47 AM IST
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PATNA: बिहार में मुख्यमंत्री नीतीश कुमार द्वारा लगाए जाने वाले जनता दरबार में सबसे अधिक मामला भूमि एवम राजस्व विभाग से ही आता है। जिसके बाद अब इसको लेकर राजस्व एवं भूमि सुधार विभाग के मंत्री आलोक मेहता ने बड़ा फैसला लिया है।
विभागीय मंत्री ने बताया है कि, मुख्यमंत्री जनता दरबार के अलावा हर रोज विभाग में 100 से अधिक शिकायतें आ रही है। ऐसे में अब म्यूटेशन, परिमार्जन आदि विभाग के जितने भी काम हैं उनके आवेदनों के निस्तारण में जानबूझकर देरी अपराध माना जायेगा। इसको लेकर सभी जिलों के डीएम-एडीएम को इस संबंध में राजस्व कर्मियों पदाधिकारियों की रिपोर्ट देने के लिए कहा गया है। इसमें साफ तौर पर यह कहा गया है कि, यदि थोड़ी सी भी गड़बड़ी मिली तो कार्रवाई तय है। इसके साथ ही समय पर न्यायपूर्ण तरीके से आवेदनों का निस्तारण करने वाले 50 सीओ को पुरस्कृत किया जायेगा।
बता दें कि, इसको लेकर जो समय तय किया गया है, उसके मुताबिक किसी भी लंबित मामलों का निस्तारण दो से तीन माह में करना है, लेकिन इसका मतलब यह नहीं है कि अधिकारी आवेदनों को खारिज कर दें। किसी भी आवेदन को निरस्त करने का वैध कारण देना होगा। जो अफसर ऐसा नहीं करेगा उसके खिलाफ कार्रवाई हाेगी।
आलोक मेहता ने साफ तौर पर यह निर्देश दिया है कि, लंबित मामले निस्तारित कराना प्राथमिकता है। इसके साथ ही प्रशिक्षण पूरा कर राजस्वकर्मी पंचायतों में तैनात कर दिये जायेंगे। करीब 80 फीसदी पंचायत में कर्मचारी नियुक्त हो जायेंगे। इसके बाद जरूरी मामलों में नियम आदि बदलाव किया जायेगा। राजस्व कोर्ट विधिवत और समय से फैसला दें यह सुनिश्चित किया जायेगा।
गौरतलब हो कि, इससे पहले भी खुद विभागीय मंत्री आलोक मेहता ने काम में लापरवाही बरतने वाले 9 सीओ को निलंबित किया गया है। 12 के खिलाफ विभागीय कार्यवाही चल रही है। राजस्व मंत्री ने दो टूक कहा कि जनता की पेरशानी की कीमत पर अधिकारियों को बख्शा नहीं जायेगा। शिकायतें मिल रही हैं कि राजस्वकर्मी- पदाधिकारी लोगों सेे अच्छा व्यवहार नहीं करते।।यह बहुत गंभीर मामला है।