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1st Bihar Published by: 13 Updated Fri, 06 Sep 2019 09:21:34 AM IST
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DESK: भारत अंतरिक्ष में इतिहास रचने के बेहद करीब पहुंच गया है. आज देर रात भारत का चंद्रयान-2 चांद की सतह पर लैंड करेगा. देर रात करीब 1 बजकर 55 मिनट पर जब चंद्रयान का लैंडर विक्रम, चांद की सतह पर कदम रखेगा उसी के साथ भारत एक नया इतिहास रच देगा. इस ऐतिहासिक क्षण के गवाह प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी खुद बनेंगे. चंद्रमा की सतह पर चंद्रयान-2 के उतरने का सीधा नजारा देखने के लिए प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी 60 छात्रों के साथ बेंगलुरु स्थित इसरो सेंटर में मौजूद रहेंगे. सॉफ्ट लैंडिंग का बेसब्री से है इंतजार देश-दुनिया के लोग इस सॉफ्ट लैंडिंग का बेसब्री से इंजतार कर रहे हैं. विक्रम लैंडर की यह सॉफ्ट लैंडिंग अगर कामयाब रहती है तो रूस, अमेरिका और चीन के बाद भारत ऐसी उपलब्धि हासिल करने वाला दुनिया का चौथा देश बन जाएगा. इसके साथ ही भारत चांद के दक्षिणी ध्रुव पर पहुंचने वाला विश्व का पहला देश भी बन जाएगा. विक्रम लैंडर शनिवार तड़के एक से दो बजे के बीच चांद पर उतरने के लिए नीचे की ओर चलना शुरू करेगा और रात डेढ़ से ढाई बजे के बीच यह पृथ्वी के उपग्रह के दक्षिणी ध्रुव क्षेत्र में उतरेगा. इसरो तक डेटा पहुंचाएगा लैंडर लैंडर के अंदर ही रोवर (प्रज्ञान) रहेगा. यह प्रति 1 सेंटीमीटर/सेकंड की रफ्तार से लैंडर से बाहर निकलेगा. इसे निकलने में 4 घंटे लगेंगे. बाहर आने के बाद यह चांद की सतह पर 500 मीटर तक चलेगा. यह चंद्रमा पर 1 दिन (पृथ्वी के 14 दिन) काम करेगा. इसके साथ 2 पेलोड जा रहे हैं. जिनका मकसद लैंडिंग साइट के पास तत्वों की मौजूदगी और चांद की चट्टानों-मिट्टी की मौलिक संरचना का पता लगाना होगा. पेलोड के जरिए रोवर ये डेटा जुटाकर लैंडर को भेजेगा, जिसके बाद लैंडर यह डेटा इसरो तक पहुंचाएगा. ऑर्बिटर, लैंडर, रोवर का क्या है काम? चांद की कक्षा में पहुंचने के बाद ऑर्बिटर एक साल तक काम करेगा. इसका मुख्य उद्देश्य पृथ्वी और लैंडर के बीच कम्युनिकेशन स्थापित करना है. इसके साथ ही ऑर्बिटर चांद की सतह का नक्शा तैयार करेगा, ताकि चांद के अस्तित्व और विकास का पता लगाया जा सके. लैंडर यह जांचेगा कि चांद पर भूकंप आते हैं या नहीं. जबकि, रोवर चांद की सतह पर खनिज तत्वों की मौजूदगी का पता लगाएगा.