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पौष माह में प्रदोष व्रत का महत्व, श्री शिव रक्षा स्तोत्र का भी जानें महत्व

1st Bihar Published by: First Bihar Updated Sun, 22 Dec 2024 11:00:05 PM IST

पौष माह में प्रदोष व्रत का महत्व, श्री शिव रक्षा स्तोत्र का भी जानें महत्व

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पंचांग के अनुसार, पौष माह में वर्ष 2024 का आखिरी प्रदोष व्रत 28 दिसंबर को रखा जाएगा। यह दिन भगवान शिव और माता पार्वती की उपासना के लिए अत्यंत शुभ माना गया है। इस दिन भगवान शिव की कृपा से सुख, शांति और समृद्धि की प्राप्ति होती है। विवाह में आ रही बाधाओं को दूर करने और अन्य समस्याओं का समाधान पाने के लिए श्री शिव रक्षा स्तोत्र का पाठ करना लाभकारी है।


प्रदोष व्रत 2024 शुभ मुहूर्त

त्रयोदशी तिथि प्रारंभ: 28 दिसंबर, रात 2:26 बजे

त्रयोदशी तिथि समाप्त: 29 दिसंबर, रात 3:32 बजे

व्रत का पालन और पूजा 28 दिसंबर की संध्याकाल में करना उत्तम रहेगा।


श्री शिव रक्षा स्तोत्र

शिव रक्षा स्तोत्र का पाठ करने से जीवन की परेशानियां दूर होती हैं, और भगवान शिव की कृपा प्राप्त होती है। यह स्तोत्र विशेष रूप से विवाह में आ रही बाधाओं को दूर करने में प्रभावी है।


स्तोत्र का पाठ (संक्षेप में)

विनियोग

श्री गणेशाय नमः। याज्ञवल्क्य ऋषि द्वारा रचित यह स्तोत्र भगवान शिव को समर्पित है।


मुख्य पाठ

"चरितं देवदेवस्य महादेवस्य पावनम्।

अपारं परमोदारं चतुर्वर्गस्य साधनम्॥"

भगवान शिव के विभिन्न अंगों और गुणों का वर्णन करते हुए शिव की कृपा से सभी बाधाओं को दूर करने का आह्वान किया गया है।


अंतिम प्रार्थना

"एतां शिवबलोपेतां रक्षां यः सुकृती पठेत्।

स भुक्त्वा सकलान्कामान् शिवसायुज्यमाप्नुयात्॥"

यह स्तोत्र शिवभक्त को मोक्ष प्रदान करता है और संसार के सभी कष्टों से मुक्ति दिलाता है।


प्रदोष व्रत के दौरान विशेष मंत्रों का जप

शिव मूल मंत्र:

ॐ नमः शिवाय॥

रुद्र मंत्र:

ॐ नमो भगवते रूद्राय॥

रुद्र गायत्री मंत्र:

ॐ तत्पुरुषाय विद्महे महादेवाय धीमहि तन्नो रुद्रः प्रचोदयात्॥

महामृत्युंजय मंत्र:

ॐ त्र्यम्बकं यजामहे सुगन्धिं पुष्टिवर्धनम्

उर्वारुकमिव बन्धनान् मृत्योर्मुक्षीय मामृतात्॥

शिव प्रार्थना मंत्र:

करचरणकृतं वाक् कायजं कर्मजं श्रावण वाणंजं वा मानसंवापराधं।

विहितं विहितं वा सर्व मेतत् क्षमस्व जय जय करुणाब्धे श्री महादेव शम्भो॥


प्रदोष व्रत का महत्व

सुख और शांति: भगवान शिव की कृपा से जीवन में शांति और सुख की प्राप्ति होती है।

विवाह में बाधा दूर: विशेष रूप से श्री शिव रक्षा स्तोत्र का पाठ करने से विवाह में आने वाली समस्याएं समाप्त होती हैं।

सभी इच्छाओं की पूर्ति: प्रदोष व्रत रखने से भगवान शिव भक्त की सभी मनोकामनाएं पूर्ण करते हैं।

प्रदोष व्रत के दिन पूरे श्रद्धा और नियम से पूजा-अर्चना करें और भगवान शिव की कृपा प्राप्त करें।