KAIMUR : कैमूर जिले के बिहार यूपी बॉर्डर पर सैकड़ों मुस्लिम प्रवासी मजदूर छोटे-छोटे बच्चों और महिलाओ के साथ कैंप में वाहन के इंतजार में टकटकी लगाए बैठे हैं कि कौन सा करिश्मा हो जाए कि हम ईद पर अपने परिवार में अपने घर के सदस्यों के बीच पहुंच सकें। सूरत से सीतामढ़ी के लिए चले छोटे-छोटे बच्चे और महिलाओं के साथ 21 सदस्यों का परिवार भी बार्डर पर फंसा हुआ है। जहां आपबीती बताते हुए मुस्लिम परिवार रो पड़ता है। कहा जिंदगी में न देखा और ना ही पूर्वजों से सुना ऐसा मंजर, बर्बाद हो गये हम सभी।
सीतामढ़ी के रिजवान बताते हैं मैं आज सुबह में बॉर्डर पर पहुंचा कि शायद कोई वाहन मिल जाए तो अपने घर सीतामढ़ी ईद में परिवार के साथ शामिल हो जाऊंगा लेकिन यहां कोई सुविधा नहीं मिली । बताया गया कि ट्रेन कल 11 बजे दिन में जाएगी और यहां से सीतामढ़ी के लिए बस भी नहीं मिला। जब लॉक डाउन हुआ तब वहां ना खाने को था ना ही कोई पूछने वाला था। विधायक, सांसद और सरकार ने भी कोई मदद नहीं किया। जैसे तैसे कर बॉर्डर पहुंचे हैं 3 महीने और 4 महीने के बच्चे को लेकर घूम रहे हैं । रमजान का पूरा महीना निकल लिया ना वहां अफतारी मिला ना सेहरी मिला और ना ही कुछ खाने को मिला।
मेराज और रिजवान बताते हैं कि हमने चांद को अपनी नजरों से देखा और मेरे पास इतने हालात अच्छे नहीं थे कि मैं चांद देखकर नमाज अदा कर सकूं । हमने अपनी जिंदगी में ऐसा वक्त कभी नहीं देखा है और ना आगे आ सकता है। अपने पूर्वजों से भी ऐसे हालात के बारे में नहीं सुना था। हम जितने मजदूर हैं सबको सरकार ने तोड़ कर रख दिया। ना घर बचा ना बाहर बचा, बाहर हमें ऐसी नजरों से रास्ते में देखा गया जैसे हम इन्सान नहीं बल्कि जानवर हो। फेंक करके दूर से खाना खिलाया जाता था जानवरों की तरह, पुलिस वाले डंडा मारते थे। मेरे साथ 21 लोग फंसे हुए हैं सीतामढ़ी के। कुछ समझ में नहीं आ रहा है कि कौन से साधन से हम लोग जाएंगे हम लोग अल्लाह से दुआ करते हैं फरिश्ता बनकर आ जाए तो हि शायद ईद पर घर पहुंच पायेंगे, समझ नहीं आ रहा है कैसे पहुंचेंगे ।
एडीएम सुमन कुमार कहा कि रविवार को तीन ट्रेन कर्मनाशा से खुली है जिसमें लगभग तीन हजार लोगों को आज भेजा गया है, सोमवार को भी ट्रेन जा रही है जो सहरसा, पूर्णिया ,कटिहार को जाएगी। बहुत से लोग ऐसे हैं जो ईद में शामिल होने के लिए आए हुए हैं उनके लिए खुशी की बात है कल उन्हें घर पहुंचने का मौका मिल जाएगा ।