DELHI: भारत ने विश्व में फैले कोरोना वायरस को लेकर बड़ा फैसला लिया है. भारत नेहाइड्रोक्सी क्लोरोक्वाइन और पैरासिटामॉल दवाओं के निर्यात पर आंशिक प्रतिबंध हटाया गया लिया है. कोरोना से लड़ने के लिए संकट की घड़ी में अमेरिका ने भारत से दवाएं मांगी थी. हालांकि भारत से दवा नहीं मिलने पर ट्रंप ने जवाब देने की भी धमकी दी थी. वैसे भारत सरकार के सूत्रों का कहना है कि ट्रंप की धमकी से पहले ही दवा निर्यात करने का फैसला ले लिया गया था.
मानवीय आधार पर फैसला
इसके बारे में बताया जा रहा है कि भारत ने यह फैसला कोरोना संकट के दौर में मानवीय आधार पर किया है. ये दवाएं उन पड़ोसी देशों को भेजी जाएंगी जो भारत से मदद की आस रखते हैं.
जरूरत के स्टॉक को रखते हुए होगा निर्यात
रोक हटाने से पहले एक शर्त भी रखा गया है. घरेलू जरूरतें पूरी होने के बाद स्टॉक की उपलब्धता के आधार पर एक्सपोर्ट किया जाएगा. बता दें कि दो दिन पहले ही अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रम्प ने भारत से गुहार लगाई थी कि बीमारी से निपटने के लिए हाइड्रोक्सी क्लोरोक्वाइन की खेप भेजें. जिसके बाद भारत ने यह फैसला लिया है.
3 मार्च को लगी थी रोक
चीन में कोराना वायरस का कहर को देखते हुए भारत ने देश में 3 मार्च को पैरासिटामॉल समेत दवाएं बनाने में इस्तेमाल होने वाले 26 फॉर्मूलेशन और एक्टिव फार्मास्यूटिकल्स इंग्रीडिएंट्स (एपीआई) के निर्यात पर रोक लगा दी थी. यह फैसला चीन समेत अन्य देशों में कोरोना वायरस का संक्रमण बढ़ने के कारण से लिया गया था. इसको लेकर डायरेक्ट्रेट जनरल ऑफ फॉरेन ट्रेड (डीजीएफटी) नोटिस जारी करते हुए इस प्रभाव से लागू करने का आदेश दिया था. भारत में कोरोना के दो केस मिलने के बाद सरकार अलर्ट पर थी और नहीं चाहती थी कि देश में दवाओं की किसी भी स्थिति में कमी हो.