हरियाणा में बैठकर बिहार में हर महीने भेजा करता था 10 करोड़ की शराब, बिचौलिया चढ़ गया पुलिस के हत्थे

हरियाणा में बैठकर बिहार में हर महीने भेजा करता था 10 करोड़ की शराब, बिचौलिया चढ़ गया पुलिस के हत्थे

PATNA: हरियाणा में रहकर शराब की बड़ी खेप बिहार में पहुंचाने वाले बिचौलिये को गिरफ्तार किया गया है। बिहार में वह हर महीने दस करोड़ की शराब भिजवाने का काम करता था। बिचौलिया नवीन कुमार की गिरफ्तारी सोनीपत से हुई है। उत्पाद विभाग की टीम ने बीते शुक्रवार को छापेमारी करते हुए उसे गिरफ्तार और शनिवार को उसे पटना लाया गया जहां उससे पूछताछ जारी है। पूछताछ के क्रम में उसने कई अहम जानकारियां दी है। पूछताछ के बाद उसे मुजफ्फरपुर कोर्ट में पेश कराने के बाद जेल भेजा जाएगा। मद्य निषेध प्रभाग के DSP अभिजीत कुमार सिंह ने इसकी पुष्टि की है। 


मिली जानकारी के अनुसार शराब को हरियाणा से बिहार भेजने का काम नवीन कुमार करता था। बिहार के 4 जिलों में नवीन ने अपनी गहरी पैठ बना रखी थी। इसका सीधा कनेक्शन शराब के धंधेबाजों से था। चाहे हरियाणा के धंधेबाज हो या फिर बिहार के सभी से इसने पहचान बना रखी थी। बिहार की बात करे तो समस्तीपुर, मुजफ्फरपुर, मोतिहारी और सीवान में एक्टिव तस्कर नवीन के जरिए शराब की खेप को बिहार मंगवाते थे। पिछले साल मुजफ्फरपुर के गाय घाट थाना इलाके में शराब की एक खेप पकड़ी गई थी। जिसमें नवीन कुमार का नाम आया था साथ ही शराब माफिया के सिंडिकेट से जुड़े कई लोगों का नाम भी सामने आया था।


पुलिस जब नवीन को लेकर पटना पहुंची और पूछताछ की तब उसने कई खुलासे किये। बताया कि बिहार में जब से पूर्ण शराबबंदी लागू हुआ उसके 5-6 महीने बाद ही यह एक्टिव मोड में आ गया था। उस वक्त से ही बिहार में हर महीने शराब की बड़ी खेप भिजवाया करता था। हरियाणा से शराब की खेप कभी पिकअप वैन तो कभी ट्रक में भेजी जाती है। जब ये गाड़ियां पकड़ी जाने लगी तो तरह-तरह का हथकंडा अपनाने पुलिस से बचने के लिए अपनाने लगा। एम्बुलेंस का गलत इस्तेमाल करने लगा। मरीज की जगह एम्बुलेंस में शराब की बोतले भेजने लगा। ऐसा कर उसने खूब पैसे कमाए। नवीन को मुजफ्फरपुर कोर्ट में पेश कराने और जेल भेजने की तैयारी की जा रही है। 


हरियाणा से शराब मंगवाने के लिए शराब माफिया पहले बैंक अकाउंट के जरिए ट्रांजेक्शन करते थे लेकिन जब पुलिस की कार्रवाई तेज हुई तो इससे बचने के लिए हवाला का सहारा लिया। बिहार से शराब माफिया सिर्फ कोड बताते थे और दिल्ली में बताए ठिकाने पर पहुंच कर नवीन या उसके सिंडिकेट का दूसरा साथी वहां से रुपए ले लिया करता था। इसके बाद शराब की खेप बिहार में बताई जगह पर पहुंच जाती थी।