अमरनाथ एक्सप्रेस की बोगी में महिला ने दिया बच्चे को जन्म, समस्तीपुर में भर्ती फतुहा में पुनपुन नदी में नाव पलटी, दो लापता; 18 लोग तैरकर बचे नीसा देवगन बनीं ग्रेजुएट, काजोल ने चिल्लाकर कहा.. ‘कम ऑन बेबी’, वीडियो वायरल अरवल: हत्या के दो फरार आरोपियों के घर पुलिस ने चिपकाया इस्तेहार, 30 दिन में सरेंडर का आदेश बिहार में शराब तस्करी का खेल जारी: अंडे की कैरेट के बीच छिपाकर मुजफ्फरपुर ले जाई जा रही थी 3132 लीटर विदेशी शराब, ट्रक जब्त Bihar News: 351 फीट का अनोखा कांवर लेकर मुजफ्फरपुर पहुंचे शिवभक्त, बाबा गरीबनाथ धाम में करेंगे जलाभिषेक दिल्ली में स्वामी करपात्री जी की जयंती पर भव्य समारोह, केंद्रीय मंत्री, सांसद और पूर्व सीजेआई रंजन गोगोई हुए शामिल दिल्ली में स्वामी करपात्री जी की जयंती पर भव्य समारोह, केंद्रीय मंत्री, सांसद और पूर्व सीजेआई रंजन गोगोई हुए शामिल कंकड़बाग में युवक पर चाकू से हमला, आपसी रंजिश का मामला; तीन आरोपी गिरफ्तार समाजसेवी अजय सिंह ने बाढ़ प्रभावित जवैनिया गांव का किया दौरा, राहत सामग्री का किया वितरण
1st Bihar Published by: Updated Thu, 24 Sep 2020 12:16:48 PM IST
- फ़ोटो
DESK : कल राज्यसभा को अनिश्चित काल के लिए स्थगित करने से पहले तीन प्रमुख श्रम सुधार विधेयकों को ध्वनिमत से पारित कर दिया गया. इस मंजूरी के बाद अब प्राइवेट सेक्टर में काम कर रहे लोगों को ग्रेच्युटी लेने के लिए 5 साल की लिमिट खत्म हो गई है.
सरल शब्दों में कहें तो अब कंपनी को हर साल ग्रेच्युटी देना होगा. अभी तक जो नियम था उसके मुताबिक कर्मचारी को किसी एक कंपनी में लगातार 5 साल कार्यरत रहना जरूरी था. नए प्रावधान के अनुसार जिन लोगों को फिक्सड टर्म बेसिस पर नौकरी मिलेगी, उन्हें उतने दिन के आधार पर ग्रेच्युटी पाने का भी हक होगा. मतलब ये हुआ कि कॉन्ट्रैक्ट पर नौकरी करने वाले कर्मचारी को भी अब ग्रेच्युटी का फायदामिल सकेगा, फिर चाहे कॉन्ट्रैक्ट कितने भी दिन का हो.
ग्रेच्युटी किसी कर्मचारी को कंपनी की ओर से मिलने वाला रिवार्ड होता है. पहले ये रकम सिर्फ उन्ही लोगों को मिलता था जो नौकरी की कुछ शर्तों को पूरा करते थे. ग्रेच्युटी का भुगतान एक निर्धारित फॉर्मूले के तहत गारंटीड तौर पर किया जाता है. इसका छोटा हिस्सा कर्मचारी की सैलरी से कटता है, लेकिन बड़ा हिस्सा कंपनी की तरफ से दिया जाता है. लेकिन पहले से चली आ रही व्यवस्था के मुताबिक कोई शख्स एक कंपनी में कम से कम 5 साल तक काम कर लेने के बाद ही इसका हकदार होता था.