RANCHI: कांग्रेस के लिए गोड्डा लोकसभा की सीट एक अनार सौ बीमार के कहावत की तरह है। झारखंड में लोकसभा की सबसे हॉट सीट मानी जाने वाली गोड्डा लोकसभा सीट के लिए कांग्रेस के कई दावेदार हो गए है। पिछले तीन लोकसभा चुनाव में यहां बीजेपी के निशिकांत दुबे जीत का झंडा गाड़ रहे है। 2024 में होने वाले लोकसभा चुनाव में बीजेपी की ओर से निशिकांत दुबे को उम्मीदवार बनाया जाना तय माना जा रहा है। वहीं इस सीट पर कांग्रेस की ओर से कई उम्मीदवार ताल ठोक रहे हैं।
अपने बयानों के लिए सुर्खियों में रहने वाले जामताड़ा विधायक इरफान अंसारी और उनके पिता पूर्व सांसद फुरकान अंसारी गोड्डा लोकसभा सीट के लिए लगातार दावा ठोक रहे हैं। कांग्रेस के वरिष्ठ नेताओं में शुमार फुरकान अंसारी 2024 के चुनाव को अपना अंतिम चुनाव बताकर लगातार पूरे लोकसभा क्षेत्र में घुम रहे हैं। वो गोड्डा से दो बार कांग्रेस के टिकट पर सांसद बन चुके हैं और अपनी अंतिम राजनीतिक पारी गोड्डा सीट से ही चुनाव लड़कर खत्म करना चाह रहे हैं। लोकसभा चुनाव को लेकर उनकी तैयारी ऐसी चल रही है कि वो टिकट मिले न मिले चुनावी मैदान में कुदने के लिए कमर कस चुके हैं। अल्पसंख्यक आबादी वाले इस लोकसभा सीट पर मुस्लिम वोटरों के बीच उनकी अच्छी पकड़ मानी जाती है। कहा तो यह भी जा रहा है कि अगर कांग्रेस ने यहां से किसी और उम्मीदवार को उतारा तो वो ओवैसी की पार्टी से भी उम्मीदवार बनकर चुनावी अखाड़े में उतर सकते हैं।
फुरकान ही नहीं उनके बेटे इरफान अंसारी भी लोकसभा चुनाव लड़ने की महत्वाकांक्षा रखते हैं। उन्होने भी अपने हालिया बयान से गोड्डा सीट पर अपनी दावेदारी जताने की कोशिश की है। उनका विवादित बयान जो पूरे झारखंड में वायरल हुआ था, जिसमें उन्हें महगामा को मिनी पाकिस्तान कहते हुए दिखाया जा रहा था, वो उनके मिशन 2024 का ही एक उदाहरण था। इसके साथ ही उनका बजरंगबली का सबसे बड़ा मंदिर बनाने वाला बयान भी उनके उसी रणनीति का हिस्सा है। हालांकि बंगाल में अपने साथी विधायकों के साथ नोटकांड में फंसने के बाद से कांग्रेस ने उन्हे निलंबित कर रखा है और कांग्रेस का एक गुट उन्हे पसंद नहीं करता है।
अंसारी परिवार के बाहर भी गोड्डा लोकसभा सीट के लिए कांग्रेस के दो प्रबल दावेदार माने जा रहे है। पहले दावेदार पोरैयाहाट से विधायक प्रदीप यादव है जो लगातार दो बार से निशिकांत दुबे के खिलाफ चुनाव लड़ रहे हैं और दोनों ही चुनाव में निशिकांत दुबे ने उन्हें पटखनी दी है। पुराने प्रदर्शन को देखते हुए उन्हे कांग्रेस उम्मीदवार बनायेगी या नहीं बनायेगी ये तो आने वाले समय में ही स्पष्ट होगा। यूपीए अपने परंपरागत मुस्लिम-यादव कंबीनेशन के आधार पर प्रदीप यादव को चुनाव मैदान में उतारती रही है। पिछले लोकसभा चुनाव में पूर्व मुख्यमंत्री बाबूलाल मरांडी की पुरानी पार्टी जेवीएम को गठबंधन के तहत गोड्डा लोकसभा की सीट दी गई थी और उन्होंने उस समय के अपने सबसे भरोसेमंद प्रदीप यादव को गोड्डा से टिकट दिया था लेकिन अब परिस्थितियां बदल गई हैं। बाबूलाल अब बीजेपी में चले गए हैं और प्रदीप यादव कांग्रेस में हैं। प्रदीप यादव को टिकट मिले उसके लिए अब उनका कोई बड़ा पैरोकार कांग्रेस आलाकमान के नजदीक नहीं है, दूसरी बात वहां आरजेडी नेता संजय यादव से भी उनके रिश्ते अच्छे नहीं रहे हैं, यादव वोट बैंक को वो कितना अपने से जोड़कर रख पाते हैं उसका भी आकलन कांग्रेस आलाकमान को करना होगा।
कांग्रेस पार्टी से टिकट की एक दावेदार महगामा विधायक दीपिका पांडे सिंह भी हैं, जो गोड्डा से लोकसभा चुनाव लड़ना चाहती हैं। वर्तमान में बीजेपी सांसद निशिकांत दुबे से उनका ट्विटर वॉर ने काफी सुर्खियां बटोरी थीं। हालांकि निशिकांत दुबे ने उनको लेकर कई आपत्तिजनक टिप्पणियां की थी और उन्हे ब्लॉक कर दिया था, लेकिन अब भी वो ट्वीटर पर और अपने बयानों से सीधे निशिकांत दुबे पर हमला करती रहती हैं। दिल्ली आलाकमान तक भी उनकी पहुंच प्रदीप यादव के मुकाबले कहीं ज्यादा मानी जाती है।
गोड्डा लोकसभा सीट पर अगर कांग्रेस इन सब में से किसी एक को टिकट देती है तो दूसरा उस उम्मीदवार को जीताने के लिए कितना काम करेगा ये कहना बहुत मुश्किल नहीं है। अगर कांग्रेस गोड्डा से मुस्लिम उम्मीदवार उतारती है तो ये तय माना जा सकता है कि अंसारी परिवार से ही कोई चुनावी मैदान में उतरेगा। अगर मुस्लिम उम्मीदवार से अलग कोई उम्मीदवार बनता है तो अंसारी परिवार का उस उम्मीदवार को कितना साथ मिलेगा ये कहा नहीं जा सकता है।