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SHEOHAR: मुख्यमंत्री नीतीश कुमार और स्वास्थ्य मंत्री तेजस्वी यादव बिहार में बेहतर स्वास्थ्य व्यवस्था का दावा करते हैं। लेकिन इसकी जमीनी हकीकत अस्पतालों में पहुंचने के बाद सामने आती है। अब जरा शिवहर के सदर अस्पताल को ही ले लीजिये जहां मरीजों को जो दवाईयां खाने के लिए दी जाती है उसे देखेंगे तो आप भी हैरत में पड़ जाएंगे। यह दवाई खाने लायक भी नहीं होती है। इसे खाने से बीमारी दूर हो जाएगी इसकी कोई गारंटी नहीं है।
बीमारी को दूर करने के लिए लोग दवा खाते हैं लेकिन शिवहर सदर अस्पताल में जो दवाईयां मरीजों को दी जा रही है उसे खाने के बाद मरीज उल्टे और बीमार पड़ जाएंगे। इस अस्पताल में खराब दवा मरीजों के बीच बांटा जा रहा है। स्वास्थ्य विभाग की इस लापरवाही से मरीज की जान भी जा सकती है। घटिया दवाई मिलने पर एक मरीज ने डीआईओ से शिकायत की लेकिन कोई कार्रवाई नहीं हुई।
दरअसल शिवहर सदर अस्पताल के मरीज को डॉक्टर ने कैप्सूल लिखा था जो अस्पताल से मरीज को दिया गया। दवा का मैन्युफैक्चरिंग डेट सितंबर 2022 है और एक्सपायरी डेट फरवरी 2024 है। अभी दिसंबर 2023 है दवा के एक्सपायरी होने में दो महीने बचे है लेकिन इससे पहले ही दवा पूरी तरह से खराब हो गयी है और घटिया दवा मरीजों को खाने के लिए दिया जा रहा है जो बेहद गंभीर बात है। इसमें स्वास्थ्य विभाग की लापरवाही साफ झलकती है।
आखिर इसके लिए दोषी कौन है? यह बड़ा सवाल है कि क्या दोषियों को सजा मिलेगी? इसके लिए जो भी पदाधिकारी या अधिकारी दोषी है क्या उन पर कार्रवाई की जाएगी। यह देखने वाली बात होगी की डीएम, सिविल सर्जन और संबंधित अधिकारी इसे लेकर क्या कार्रवाई करते हैं?