ब्रेकिंग न्यूज़

Reserve Bank of India: इस बैंक को RBI ने किया बंद, क्या आपका भी है अकाउंट तो जान लें पूरी खबर? Bihar Election 2025: प्रधान और तावड़े से नहीं माने चिराग, क्या शाह की कॉल से मानेंगे मोदी के हनुमान Bihar Sand Mining: तीन महीने की बंदी के बाद फिर खुलेगा बालू खनन का रास्ता, जानें कब से गूंजेगी मशीनों की आवाज! PAWAN SINGH : बिहार विधानसभा चुनाव से पहले बढ़ी पवन सिंह की सुरक्षा, मिली Y प्लस सुरक्षा, बीजेपी इस सीट से लड़ा सकती है चुनाव Bihar Election 2025: बिहार के अंदर इस मामले में भी तेजस्वी से आगे नीकली NDA, इस जगह भी महागठबंधन नहीं दे पा रहा टक्कर Special Vigilance Unit raid : SVU की बड़ी कार्रवाई विद्युत कार्यपालक अभियंता के ठिकानों पर छापेमारी, करोड़ों की संपत्ति की जांच Bihar Jobs 2025: बिहार में युवाओं के लिए बड़ा मौका, इन पोस्ट पर होगी बहाली; जानिए कैसे भरें फॉर्म और क्या है योग्यता Bihar Politics: 'बिहार चुनाव में पुरे होंगे सपने ...,' रामविलास की बरसी पर बोले चिराग पासवान ...जो जिम्मेदारी उनके कंधों पर सौंपी उसे निभाना हमारा लक्ष्य Bihar News: बिहार में यहां भीषण सड़क हादसे में पिता-पुत्र की मौत, वाहन चालक फरार Bihar News: बिहार की इस ट्रेन से छीना गया सुपरफास्ट का टैग, यात्रियों को कई मामलों में फायदा

गया के श्मशान में अजूबा हो गया, शव नहीं आया तो पुतले को जलाया गया

1st Bihar Published by: PANKAJ KUMAR Updated Thu, 21 May 2020 08:34:48 AM IST

गया के श्मशान में अजूबा हो गया, शव नहीं आया तो पुतले को जलाया गया

- फ़ोटो

GAYA : मोक्ष भूमि गया,  जहां हर दिन एक मुंड और एक पिंड जरूरी है. लेकिन लॉकडाउन के इस काल में बुधवार को मुक्ति के लिए  एक भी शव श्मशान घाट में नहीं पहुंचा. इसके बाद डोम राजा के नेतृत्व में एक मुंड की परंपरा को पूरा करने के लिए पुतला बनाकर अतिम संस्कार किया गया. ठठरी से पुतला को बांधा गया और पूरे धार्मिक मंत्रों के साथ पुतला का दाह संस्कार किया गया और पिंड भी प्रदान किया गया.  पुतला को अज्ञात मान कर  कर्मकांड किया गया.

आपको बता दें कि मोक्ष भूमि  गया में भगवान विष्णु का पद चिन्ह है. पालनहार मां सती हैं. शास्त्रों पुराणों की माने तो गयासुर राक्षस ने  भगवान विष्णु से हर दिन एक मुंड और एक पिंड का वरदान मांगा था. उस वरदान के बाद से ही यह परंपरा सनातन काल से चली आ रही है. ऐसी मान्यता है कि जिस दिन यह परंपरा टूटेगी उस दिन गयासुर जाग जाएगा.


सनातन काल से चली आ रही परंपरा को निर्वहन करने के लिए बुधवाक को 3 फीट का पुतला बनाया गया था और पूरी रीती रिवाज ले उसकी अंत्येष्टि की गई.बता दें कि लॉकडाउन के काल में पितृ मुक्ति के लिए एक भी तीर्थयात्री गयाजी नहीं आ रहे हैं . पिंडदान का कर्मकांड टूटे नहीं इसके लिए स्थानीय पंडों ने अपने ऊपर जिम्मेदारी उठा रखी है. हर दिन पंडा समाज का एक सदस्य विष्णुपद मंदिर के गर्भगृह में पिंडदान के कर्मकांड को पूरा कर रहा है. अब एक मुंड की परंपरा को श्मशान घाट के लोग पूरा कर रहे हैं. घाट के डोम राजा  ने बताया कि लॉकडाउन के  अवधि में औसतन 5 से 10 शव हर दिन पहुंच रहे थे. वहीं लॉकडाउन के पहले 15 से 20 शव हर रोज आते थे  लेकिन बुधवार की देर शाम तक दाह संस्कार के लिए एक श्मशान घाट पर नहीं पहुंचा.  जिसके बाद परंपरा का निर्वहन करने के लिए पुतला जलाया गया.