PATNA : बिहार में हुए गर्भाशय घोटाला मामले में शुक्रवार को पटना हाईकोर्ट में सुनवाई होनी है। जहां सरकार से हाईकोर्ट सवाल पूछेगी कि आखिर पीड़ितों को कंपनसेशन देने में देरी क्यों हो रही है। इसके साथ ही बिहार सरकार को इस मामले में कोर्ट को डेटा सौंपना है। ऐसे में अब सभी लोगों की नजरें पटना हाईकोर्ट के तरफ से इस मामले में होने वाली सुनवाई पर टिकी है।
दरअसल, वर्ष 2012 में मानवाधिकार आयोग के समक्ष गर्भाशय घोटाला लाया गया था। जिसके बाद 2017 वेटरन फोरम के द्वारा पटना हाईकोर्ट में जनहित याचिका दायर की गई थी। इसमें राष्ट्रीय स्वास्थ्य बीमा योजना का लाभ लेने के लिए गलत तरीके से बिहार के अलग-अलग अस्पतालों में डॉक्टर ने ऑपरेशन कर करीब 27 हजार महिलाओं का गर्भाशय निकाला लिया था
वहीं, इस मामले को याचिकाकर्ता हाईकोर्ट के अधिवक्ता दीनू कुमार ने कोर्ट को बताया कि 27 हजार से अधिक महिलाओं का गर्भाशय महिला के बिना अनुमति के निकाल लिया गया था। ताकि राष्ट्रीय स्वास्थ्य बीमा योजना का गलत फायदा उठाकर पैसे का उगाही कर सकें। इसमें डॉक्टर और बीमा कंपनी की मिलीभगत की बात सामने आई थी।इसे लेकर अधिवक्ता दीनू कुमार ने शामिल डॉक्टरों और अस्पतालों का लाइसेंस रद्द करने की मांग हाईकोर्ट से की थी।