गाजीपुर में खूब गरजे मुकेश सहनी, बोले.. आत्मसम्मान की कीमत पर गठबंधन नहीं होगा

गाजीपुर में खूब गरजे मुकेश सहनी, बोले.. आत्मसम्मान की कीमत पर गठबंधन नहीं होगा

PATNA : मिशन यूपी के लिए ताबड़तोड़ रैलियां कर रहे मंत्री मुकेश सहनी ने आज गाजीपुर में रैली को संबोधित किया। गाजीपुर में मुकेश सहनी एक बार फिर सहयोगी दल भारतीय जनता पार्टी के ऊपर हमला बोला। यूपी में योगी सरकार की कार्यशैली पर मुकेश सहनी ने चुन चुनकर हमला बोला। मुकेश सहनी ने कहा कि आत्मसम्मान की कीमत पर गठबंधन नहीं हो सकता। सहनी ने रैली में हुंकार भरते हुए कहा कि निषाद समाज को एक होकर अपने आत्मसम्मान और अधिकार के लिए लड़ना होगा.  उन्होंने कहा कि यूपी की 403 में 169 विधान सभा क्षेत्रों में निषाद वोट बैंक काफी निर्णायक है। मौजूदा सरकार ने अपने वायदे के अनुसार निषाद समुदाय की मल्लाह, केवट, बिन्द, मांझी, धीवर, कहार, गोड़िया, रायकवार आदि जातियों को अनुसूचित जाति के आरक्षण का राजपत्र व शासनादेश जारी कर दिया तो मिशन -2022 में निषाद समाज उत्तरप्रदेश की मौजूदा सरकार को बिना शर्त समर्थन किया जाएगा।  श्री मुकेश सहनी जी  ने आगे कहा कि मिशन 2022 में निषाद जातियां निर्णायक की भूमिका निभायेंगी। उन्होंने कहा कि अब निषाद समाज किसी दल के वायदे के झाँसे में नहीं जायेगा। चुनाव से पूर्व अनुसूचित जाति आरक्षण का शासनादेश व राजपत्र जारी करने के बाद ही भाजपा का खेवनहार बनने का निर्णय लेगा। जब एक देश एक संविधान है तो निषाद जातियों के साथ भेदभाव क्यों। जब दिल्ली,पश्चिम बंगाल,उड़ीसा में मल्लाह, केवट,मांझी, जलकेयूट, बिंद, चाई, तियार को अनूसूचित जाति का आरक्षण मिलता है तो उत्तर प्रदेश,बिहार, झारखंड, मध्य प्रदेश में क्यों नहीं?आरक्षण नहीं तो गठबंधन व समर्थन नहीं, हमारा नारा है।


मुकेश सहनी ने रैली को संबोधित करते हुए आगे  कहा कि यूपी में 16 प्रतिशत से अधिक निषाद जातियों की संख्या होने के बाद भी राजनैतिक दल इनके साथ दोयम दर्जें का बर्ताव करते आ रहें हैं। अब श्रीराम-निषाद राज की मित्रता के नाम पर निषाद, केवट, मल्लाह किसी दल  के साथ नहीं जाएंगे।सेन्सस-2021 में जातिगत जनगणना व ओबीसी के समानुपातिक आरक्षण की मांग किया।निषाद पार्टी के मुखिया संजय निषाद के संबंध में कहा कि वे हमारे भाई बिरादर ही हैं।हमारा उनसे विरोध नहीं,वरन उनकी नीति व नियत का विरोध है।


प्रदेश अध्यक्ष लौटन राम निषाद ने कहा कि निषाद पार्टी दल नहीं,संजय निषाद के परिवार की दुकान है।समाज को झूठा सपना दिखाकर सिर्फ अपना हित साधने का काम किए।अपने राजनीतिक घर की बात करते हैं,पर अपने लड़के को 2018 के उपचुनाव में सपा को सौप दिए।2019 में उसी बेटे को उत्तरप्रदेश सरकार के घर का चौकीदार बनाने के बाद अपने को उत्तरप्रदेश सरकार के  शरणागत कर के एमएलसी बन गए। मुकेश सहनी ने कहा कि निषाद आरक्षण की लड़ाई के लिए 2014 में निषाद विकास संघ बनाया। बड़े बड़े आंदोलन किया लेकिन लगा कि बिना राजनीतिक ताकत बनाए,मांग नहीं मनवाई जा सकती।इसलिए 2018 में वीआइपी बनाया।आज बिहार में अपने सिंबल पर जीते 4 विधायक हैं।बिहार की सरकार चलाने में जितना महत्व 74 विधायकों का है,उतना ही 4 विधायकों का है.