फ्लॉप हुई तेजस्वी की नई तरकीब ! हॉस्पिटल के अंदर इवनिंग ओपीडी में नहीं मिल रहे मरीज, सुबह के ओपीडी में 2000 मरीज

फ्लॉप हुई तेजस्वी की नई तरकीब ! हॉस्पिटल के अंदर इवनिंग ओपीडी में नहीं मिल रहे मरीज, सुबह के ओपीडी में 2000 मरीज

PATNA : बिहार के स्वास्थ्य मंत्री तेजस्वी यादव ने राज्य में बेहतर स्वास्थ्य सुविधा प्रदान करने के लिए अपने तरफ से तो भरसक कोशिश कर रहे हैं। लेकिन, उनकी यह कोशिश महज कुछ महीने तक ही जमीन पर असर दिखाती है उसके बाद इसका भी हाल बाकी अन्य चीज़ों की तरह बदहाल नजर आता है। यह बातें इस वजह है कहीं जा रही है,क्योंकि कुछ महीने पहले तेजस्वी ने राज्य के सभी बड़े मेडिकल अस्पतालों में शाम के समय में भी ओपीडी सेवा शुरू करने का फैसला किया। लेकिन, यह योजना पूरी तरह फेल होता हुआ नजर आ रहा है। 


दरअसल, राज्य के मरीजों की सहूलियत के लिए पीएमसीएच में इवनिंग ओपीडी की शुरुआत बीते साल दिसंबर को की गई थी। इस योजना के नौ महीने बीत जाने के बाद भी इवनिंग ओपीडी में आने वाले मरीजों की संख्या 200 तक भी नहीं पहुंची है। वहीं, सुबह के ओपीडी में 1500 से 2000 मरीज प्रतिदिन रजिस्ट्रेशन कराते हैं। सुबह में भीड़ इतनी होती है कि मरीजाें को लंबा इंतजार करना पड़ता है। वहीं इवनिंग ओपीडी में मरीजों का इंतजार रहता है।


बताया जा रहा है कि, मेडिसिन, स्किन और हड्डी विभाग को छोड़ दिया जाए तो हर विभाग में करीब 10-15 मरीज ही इवनिंग ओपीडी में आ रहे रहे हैं। दिन की भीड़ को कम करने के लिए ही इवनिंग के समय में ओपीडी सेवा शुरू करने का निर्णय लिया गया। लेकिन प्रचार प्रसार के अभाव में यह फ्लॉप साबित हो रही है।सुबह के ओपीडी में जिस विभाग में 200 मरीज पहुंचते हैं, उसी विभाग के इवविंग ओपीडी 10-12 ही पहुंच रहे हैं। 


मालूम हो कि, इवनिंग ओपीडी में गाइनी, पेडिएट्रिक्स, सर्जरी, प्लास्टिक सर्जरी, आर्थोपेडिक्स, साइकेट्री, डेंटल, नेत्र, ईएनटी, मेडिसिन, पल्मोनरी, मेडिसिन, न्यूरो आदि विभागाें में इलाज कराने की सुविधा है। सुबह का ओपीडी 9 से 2 बजे तक चलता है। इवनिंग ओपीडी ठंड के माैसम में दोपहर बाद 3 से 5 बजे तक और गर्मी में शाम 4 से 6 बजे तक चलता है।


उधर, इन बातों को लेकर पीएमसीएच के अधीक्षक डॉ. आईएस ठाकुर ने बताया कि इवनिंग ओपीडी में विभाग के निर्देश के मुताबिक सारी व्यवस्था है। अधिकतर विभागों का इवनिंग ओपीडी चल रहा है। इसमें आने वाले मरीजाें को सारी सुविधाएं निःशुल्क मिलती हैं। दवा, जांच, इलाज सब निःशुल्क है। इसके बावजूद मरीज कम आ रहे हैं। हालांकि धीरे-धीरे संख्या बढ़ रही है।