PATNA : बिहार में नीतीश कुमार के नेतृत्व में 15 दिन पहले गठित एनडीए सरकार के विश्वासमत की आज अग्निपरीक्षा है। नीतीश सरकार को बिहार विधानसभा में फ्लोर टेस्ट पास करना होगा। जिसके समर्थन और खिलाफ में विधायक मतदान करेंगे। फ्लोर टेस्ट को लेकर सत्ता तथा विरोधी खेमा दोनों ओर से विधायकों को एकजुट रखने की कवायद चरम पर रही। इसी बीच फ्लोर टेस्ट से पहले स्पीकर सदन पहुंच गए हैं।
दरअसल, सबसे पहले दिन 11 बजे विधानसभा और विधान परिषद की कार्यवाही शुरू होगी। फिर अध्यक्ष और सभापति अपना प्रारंभिक संबोधन देंगे। इसके बाद दोनों सदनों के सदस्य सेंट्रल हॉल में जाएंगे, जहां पर राज्यपाल राजेंद्र विश्वनाथ आर्लेकर संयुक्त सभा को संबोधित करेंगे।राज्यपाल के अभिभाषण समाप्त होने के बाद दोनों सदनों के सदस्य फिर अपने-अपने सदन में जाएंगे और वहां कार्यवाही शुरू होगी।
इसके बाद विधानसभा में अध्यक्ष अवध बिहारी चौधरी को हटाने के लिए अविश्वास प्रस्ताव प्रस्तुत किया जाएगा। अध्यक्ष यह देखेंगे कि प्रस्ताव के समर्थन में कितने सदस्यों का समर्थन है। अगर 38 सदस्य या इससे अधिक इस प्रस्ताव का खड़े होकर समर्थन करते हैं, तो इसे स्वीकृत माना जाएगा। प्रस्ताव स्वीकृत होते ही अध्यक्ष आसन से चले जाएंगे। उनकी जगह अब उपाध्यक्ष महेश्वर हजारी आसन पर बैठेंगे और कार्यवाही आगे बढ़ेगी।अध्यक्ष के खिलाफ आये अविश्वास प्रस्ताव के पक्ष और विरोध में सदस्यों का मतदान होगा।अगर, अध्यक्ष के खिलाफ बहुमत हुआ तो फिर नये अध्यक्ष के लिए आगे की कार्रवाई शुरू होगी।
वहीं, नये अध्यक्ष चुने जाने तक उपाध्यक्ष सदन का संचालन करेंगे। हालांकि, अध्यक्ष अगर अपने पद से स्वयं इस्तीफा देते हैं, तो मतदान की नौबात नहीं आएगी। इसके बाद मुख्यमंत्री विश्वास मत हासिल करने का प्रस्ताव रखेंगे. जो मतदान के बदले ध्वनिमत से पास हो जाने की उम्मीद है। इसके बाद राज्य सरकार आर्थिक सर्वक्षण रिपोर्ट सदन में रखेगी।इसके बाद कोई आवश्यक कार्य होंगे, तो उनका निष्पादन किया जाएगा.।फिर शोक प्रस्ताव के बाद सदन की कार्यवाही अगले दिन तक के लिए स्थगित कर दिया जाएगा।
आपको बताते चलें कि, बिहार विधानसभा में कुल विधायको की संख्या 243 है। सदन में बहुमत साबित करने के लिए 122 विधायकों का समर्थन जरूरी है। एनडीए का दावा है कि उसके पास 128 विधायकों का संख्याबल मौजूद है। जिसमें बीजेपी के 78, जद-यू के 45, हम के 4 और एक निर्दलीय सुमित कुमार सिंह शामिल हैं, जबकि कल जद-यू विधायक दल की बैठक में 5 विधायक नहीं आए। वहीं, बीजेपी की बैठक में 2 विधायक नही पहुंचे। एनडीए के 128 में 7 विधायक अगर एनडीए के साथ नहीं रहते है तो संख्या बल 121 तक ही पहुंचता है, जो नीतीश सरकार को संकट में डाल सकता है।