1st Bihar Published by: Updated Thu, 12 Jan 2023 08:04:28 PM IST
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PATNA: बिहार के शिक्षा मंत्री चंद्रशेखर यादव ने रामचरित मानस को नफरत फैलाने पर ग्रंथ करार दिया जिसके बाद पूरे देश में बवाल मच गया। बिहार के शिक्षा मंत्री ने बुधवार को नालंदा ओपेन यूनिवर्सिटी छात्रों के दीक्षांत समारोह में हिन्दू धर्म ग्रंथों को जमकर कोसा था। विवादित बयान को लेकर मचे बवाल के बाद अब फिर उनका एक बयान सामने आया है।
इस बार उन्होंने ट्विटर के माध्यम से कहा कि मैं उस रामचरितमानस का विरोध करता हूँ जो हमें यह कहता है की जाति विशेष को छोड़ कर बाक़ी सभी नीच हैं! जो हमें शूद्र और नारियों को ढोलक के समान पिट पिट कर साधने की शिक्षा देता है! जो हमें गुणविहीन विप्र की पूजा करने एवं गुणवान दलित, शूद्र को नीच समझ दुत्कारने की शिक्षा देता है!
शिक्षा मंत्री चंद्रशेखर यादव आगे लिखते हैं कि राम व रामचरितमानस दोनों में ज़मीन आसमान का अंतर है! मैं उस श्री राम की पूजा करता हूँ जो माता शबरी के जूठे बेर खाते हैं, जो माँ अहिल्या के मुक्तिदाता हैं, जो जीवन भर नाविक केवट के ऋणी रहते हैं, जिनकी सेना में हाशिये के समूह से आने वाले वन्यप्राणी वर्ग सर्वोच्च स्थान पर रहते हैं!
उन्होंने कहा कि राम शबरी के जुठे बैर खाकर सामाजिक ताने-बाने को मजबूत करते हैं। अब आप बताइए और सोचिए इतने उदारवादी और समाजवादी राम अचानक से रामचरितमानस में आकर शूद्रों को ढोलक की तरह पीटकर साधने की बात क्यों करने लगते हैं? इस फर्जी पुस्तक से किसे फ़ायदा पहुँच रहा है? सवाल तो करना होगा न!!
मंत्री चंद्रशेखर आगे लिखते हैं कि माता शबरी के जूठे बेर खाने वाले राम अचानक रामचरितमानस में आते ही इतने जातिवादी कैसे हो जाते हैं? किसके फायदे के लिए राम के कंधे पर बन्दूक रखकर ये ठेकेदार चला रहे हैं? यही ठेकेदार हैं जो एक राष्ट्रपति को जग्गनाथ मंदिर घुसने से रोकते, बिहार के पूर्व मुख्यमंत्री जीतनराम मांझी जी के मंदिर जाने पर मंदिर धोते है।
मेरा बयान बहुजनों के हक में है और मैं उस पर अडिग व कायम रहूंगा। ग्रंथ की आड़ में गहरी साजिश से देश में जातीयता व नफरत का बीज बोने वाले बापू के हत्यारों के प्रतिक्रिया की परवाह नहीं करता। वे इस कटु सत्य को भी विवादित बयान समझते हैं तो यह उनकी समझ हो सकती है।