बेगानी शादी में न्योते का इंतजार करते रह गए तेजप्रताप, ना कांग्रेस ने पूछा और ना ही अपनी पार्टी ने

बेगानी शादी में न्योते का इंतजार करते रह गए तेजप्रताप, ना कांग्रेस ने पूछा और ना ही अपनी पार्टी ने

PATNA : आरजेडी सुप्रीमो लालू प्रसाद यादव के बड़े लाल तेज प्रताप यादव की सियासी धार खत्म हो गई है. अपने विवादित बयानों को लेकर सुर्खियों में बने रहने वाले तेज प्रताप यादव का हाल अब यह हो गया है कि ना तो उन्हें घर में कोई पूछ रहा और ना ही बाहर वाले ही तेज को तरजीह दे रहे हैं. विधानसभा उपचुनाव में तेज प्रताप यादव को पार्टी ने स्टार प्रचारकों की लिस्ट से बाहर रखा था. इसके बाद तेजप्रताप खूब आगबबूला भी हुए. बाद में तेज प्रताप ने ऐलान कर दिया कि वह कुशेश्वरस्थान विधानसभा सीट पर कांग्रेस उम्मीदवार का समर्थन करेंगे. तेज प्रताप यादव ने अपने छात्र संगठन की तरफ से बजाप्ता आधिकारिक लेटर जारी किया. यहां तक कह दिया कि वह कांग्रेस उम्मीदवार के लिए खुद प्रचार करने कुशेश्वरस्थान जाएंगे.


कुशेश्वरस्थान में विधानसभा सीट तेज प्रताप के हसनपुर क्षेत्र से सटा हुआ है. इस लिहाज से भी तेज प्रताप यादव यहां अपनी उपस्थिति दर्ज कराना चाहते थे. लेकिन बेगानी शादी में शामिल होने को आतुर तेज प्रताप को कांग्रेस ने न्योता ही नहीं दिया. कांग्रेस नेता अशोक राम के बेटे अतिरेक कुशेश्वरस्थान सीट से कांग्रेस के उम्मीदवार हैं.


चुनाव के शुरुआती दौर में खुद अशोक राम ने कहा था कि तेज प्रताप यादव ने अतिरेक के लिए प्रचार करने का भरोसा दिया है. लेकिन बाद के दिनों में ना तो अशोक राम और ना ही कांग्रेस पार्टी ने तेजप्रताप से कोई संपर्क साधा. तेज प्रताप को उम्मीद थी कि आरजेडी के खिलाफ उम्मीदवार उतारने वाली कांग्रेस से उन्हें जरूर प्रचार के लिए प्लेटफॉर्म मुहैया कराएगी. लेकिन ऐसा नहीं हुआ.


बेगानी शादी में बाराती बनने को आतुर तेज प्रताप का हाल यह हो गया कि उन्हें ना तो बाहर वालों ने पूछा और ना ही घर वालों ने. धीरे-धीरे तेज प्रताप यादव को इस बात का एहसास भी हो गया. कांग्रेस के अंदरूनी सूत्रों की मानें तो पार्टी के किसी भी नेता ने लालू यादव के परिवारिक मसले में नहीं पड़ना ही बेहतर समझा. अशोक राम ने भी तेजस्वी और तेजप्रताप के बीच चल रहे टकराव को देखते हुए इस मामले में हाथ नहीं डालने का फैसला किया.


इसकी सबसे बड़ी वजह यह मानी जा रही कि लालू यादव के परिवारिक मामले में दखल देकर कोई कांग्रेस आलाकमान को नाराज नहीं करना चाहता. भले ही आरजेडी और कांग्रेस के बीच विधानसभा उपचुनाव में रिश्ते खराब हुए हो लेकिन इसके बावजूद लालू यादव और सोनिया गांधी के बीच की नजदीकियां सबको मालूम है. ऐसे में अगर तेज प्रताप को बुलाना कांग्रेस आलाकमान को पसंद नहीं आता या लालू यादव इस मसले पर कांग्रेस आलाकमान से बात करते तो तेज को न्योता देने वाले नेताओं का हाजमा बिगड़ जाता. 


इस पचड़े में पड़ने की बजाय कांग्रेस के नेताओं ने दूर रहना ही बेहतर समझा हालांकि तेज प्रताप यादव की तरफ से कई दफे इस बात को लेकर संपर्क साधे जाने की भी खबर है. तेज प्रताप यादव यह चाहते थे कि कांग्रेस उन्हें अपने प्रचार अभियान का हिस्सा बनाएं. लेकिन बार-बार इशारे देने के बावजूद कांग्रेस ने तेज को तवज्जो नहीं दी. अब विधानसभा उपचुनाव के लिए प्रचार के अंतिम 4 दिन बचे हुए हैं. ऐसे में तेज प्रताप यादव ना तो आरजेडी के लिए प्रचार करते नजर आएंगे और ना ही कांग्रेस के लिए.