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1st Bihar Published by: Updated Wed, 10 Jun 2020 10:53:03 AM IST
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PATNA : बिहार विधानसभा चुनाव में डिजिटल मीडिया की भूमिका बड़ी होगी. सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म पर जो मजबूत होगा बहुत ज्यादा से ज्यादा मतदाताओं तक संपर्क कर पाएगा. कोरोना संकट के बीच होने वाले बिहार विधानसभा चुनाव में जनसंपर्क करना आसान नहीं होगा. चुनावी जनसभा और घर-घर जाकर जनसंपर्क की बजाय अब सोशल मीडिया के जरिए मतदाताओं तक पार्टियों को पहुंच बनानी होगी. यह बातें अब पक्की तौर पर सामने आ चुकी हैं लिहाजा हर राजनीतिक दल अपने आप को डिजिटल और सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म पर मजबूत करने में जुट गया है.
बीजेपी सबसे आगे
डिजिटल ऑल सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म पर फिलहाल भारतीय जनता पार्टी अन्य विपक्षी दलों से काफी आगे दिख रही है. केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह की वर्चुअल रैली को सफलतापूर्वक कराने के बाद बीजेपी की सोशल मीडिया टीम के हौसले बुलंद है. बिहार के अंदर बड़ी तादाद में लोगों ने गृहमंत्री अमित शाह के संबोधन को सुना था और अब पार्टी इस सफलता के बाद आगे और जनसंपर्क का ब्लू प्रिंट तैयार कर रही है. बीजेपी ने 2014 के लोकसभा चुनाव में डिजिटल और सोशल मीडिया का प्रयोग किया था और इसमें उसे जबरदस्त सफलता मिली थी. लेकिन अब अन्य राजनीतिक दल भी इस माध्यम में सक्रिय हो चुके हैं. बिहार के अंदर बीजेपी के साथ-साथ राष्ट्रीय जनता दल के नेता और कार्यकर्ता इस प्लेटफार्म पर अपनी मौजूदगी का एहसास करा रहे हैं. तेजस्वी यादव के फैन फॉलोअर्स की संख्या अच्छी-खासी है लेकिन सोशल मीडिया एक्सपोर्ट की वैसी टीम अब तक आरजेडी के पास नहीं है जैसी बीजेपी के पास है.
विधानसभा चुनाव में अहम होगी भूमिका
2014 के लोकसभा चुनाव में डिजिटल और सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म के साथ चुनावी रणनीतिकार प्रशांत किशोर ने भारतीय जनता पार्टी के लिए चुनावी प्रबंधन किया था. प्रशांत किशोर में चाय पर चर्चा जैसे सफल कार्यक्रम का आयोजन किया और उसके बाद भारतीय जनता पार्टी को बड़ी जीत मिली थी. प्रधानमंत्री मोदी की जीत में पीके की भूमिका को बड़ा माना जाता था. लेकिन बाद में उनके रिश्ते बीजेपी से खराब हुए और फिर 2015 के विधानसभा चुनाव में पीके ने महागठबंधन के लिए काम किया. गठबंधन को बिहार में जिताने का और मजबूत हो गया. यह बात सबको मालूम है कि प्रशांत किशोर ने अपने राजनीतिक कैरियर की शुरुआत नीतीश कुमार के साथ की. लेकिन उनकी यह पारी बहुत लंबी नहीं चल पाई. प्रशांत किशोर अब नीतीश से अलग हो चुके हैं और फिलहाल वह किसी राजनीतिक दल के लिए बिहार में काम नहीं कर रहे. पिछले दिनों दिल्ली से यह खबर आई कि प्रशांत किशोर में प्रियंका गांधी वाड्रा से मुलाकात की थी. हालांकि खुद टीम पीछे ने इस खबर की पुष्टि नहीं की. लेकिन लगातार सियासी गलियारे में चर्चा रही कि प्रशांत किशोर आगामी विधानसभा चुनाव में कांग्रेस के लिए रणनीति बना सकते हैं. अगर ऐसा हुआ तो बिहार में कांग्रेस को मजबूत डिजिटल और सोशल मीडिया बैकअप मिलेगा. इस बात से कोई इनकार नहीं कर सकता कि जिस तरफ भी खड़ी हुई उसका पलड़ा भारी होगा. बावजूद इसके वोट जनता को करना है. डिजिटल और सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म के जरिए जनसंपर्क जरूर किया जा सकता है. लेकिन लोकतंत्र में जनता ही मालिक है या बाहर सभी राजनैतिक दलों को मालूम है.