PATNA: बिहार सरकार ने बुधवार को डीआईजी शफीउल हक को सस्पेंड करने की अधिसूचना जारी की है. वैसे तो सरकार ने अपनी अधिसूचना में कहा है कि मुंगेर के DIG रहे शफीउल हक पर भ्रष्टाचार के गंभीर आरोप थे, ईओयू की प्रारंभिक जांच में उन आरोपों को सही पाया गया जिसके बाद डीआईजी के निलंबन का आदेश दिया गया. लेकिन अब डीआईजी के कारनामों की इनसाइड स्टोरी सामने आयी है. डीआईजी शफीउल हक जेडीयू के राष्ट्रीय अध्यक्ष ललन सिंह के नाम पर कनीय अधिकारियों से पैसे की वसूली कर रहे थे।
दारोगा को कहा-ललन सिंह के लिए 15 लाख रूपये चाहिये
ईओयू सूत्र डीआईजी शफीउल हक के भ्रष्टाचार की कहानी बता रहे हैं. शफीउल हक जब मुंगेर के डीआईजी थे तो बिहार पुलिस के ही एक दारोगा हरिशंकर कुमार को वाट्सएप कॉल किया. शफीउल हक ने हरिशंकर को कहा-तुम्हारे खिलाफ ऊपर से शिकायत आई है. उपर के आदेश पर मैंने उस केस का रिव्यू किया है. रिव्यू में देखा है कि तुमने गड़बड़ किया है. डीआईजी ने पहले हरिशंकर को जमकर धमकाया, नौकरी जाने तक की धमकी दी औऱ फिर पैसे का डिमांड कर दिया।
ईओयू के सूत्रों के मुताबिक मामले को मैनेज करने के लिए तुम्हें 15 लाख रुपया देना होगा. डीआईजी की बात सुनकर परेशान हरिशंकर ने कहा-सर 15 लाख रुपया कहां से लायेंगे. बहुत कोशिश करेंगे तो डेढ़-दो लाख रूपया दे सकते हैं. डीआईजी ने इतना कम पैसे लेने से मना कर दिया औऱ कहा कि उपर तक पहुंचाना है. हरिशंकर ने पूछा-सर, उपर मतलब कहां से दबाव आ रहा है औऱ कहां पैसा पहुंचाना है. इसके बाद डीआईजी ने मुंगेर सांसद और जेडीयू के मौजूदा अध्यक्ष ललन सिंह का नाम लिया और कहा कि पैसे लेने के लिए ललन सिंह का दबाव है।
दारोगा ने कॉल रिकार्ड कर लिया
डीआईजी शफीउल हक वाट्सएप कॉल पर पैसे की डिमांड कर रहे थे और वे तसल्ली में थे कि कॉल रिकार्ड नहीं हो पायेगा. लेकिन दरोगा हरिशंकर तेज निकले. उन्होंने वाट्सएप कॉल को लाउडस्पीकर पर लिया और दूसरे फोन से बातचीत रिकार्ड कर लिया. हरिशंकर ने उसके बाद ये सारी बातचीत की रिकार्डिंग जेडीयू अध्यक्ष ललन सिंह को सौंप दिया. 15 लाख की वसूली में अपना नाम आते देख ललन सिंह भी हैरान रह गये. उन्होंने पूरी ऑडियो रिकार्डिंग सीधे सीएम नीतीश कुमार को सौंपा. सीएम ने उसी वक्त ईओयू के एडीजी के साथ साथ बिहार पुलिस के डीजीपी को अपने पास तलब किया।
एसपी ने कहा-हम डीआईजी से त्रस्त हैं
सीएम के आदेश पर ईओयू ने शफीउल हक के कारनामो की जांच की. इस मामले में कई लोगों की गवाही हुई. सबसे खास गवाही मुंगेर के तत्कालीन एसपी मानवजीत सिंह ढिल्लो की रही. एसपी मानवजीत सिंह ने ईओयू को बताया कि बहुत सारे थानेदार और दारोगा इस बात की शिकायत कर रहे हैं कि डीआईजी खुलेआम पैसा मांगते हैं. सारी गवाही के साथ साथ ईओयू ने डीआईजी के खिलाफ अहम सबूत भी इकट्ठा किये औऱ फिर सरकार को रिपोर्ट सौंप दी. इसके बाद सरकार ने डीआईजी शफीउल हक को सस्पेंड कर दिया।
गौरतलब है कि बुधवार की रात राज्य सरकार ने मुंगेर के डीआईजी रह चुके शफीउल हक को सस्पेंड करने की अधिसूचना जारी की है. शफीउल हक पर पुलिस के छोटे पदाधिकारियों से वसूली कराने का गंभीर आरोप लगा है. मुंगेर का डीआईजी रहते हुए उन्होंने जमकर वसूली करायी. हालांकि पिछले 6 महीने से वे पुलिस मुख्यालय में वेटिंग फॉर पोस्टिंग थे।
सरकार ने उन्हें सस्पेंड करते हुए निलंबन के दौरान पटना आईजी के कार्यालय में हाजिरी लगाने को कहा है.सरकार को मिली आर्थिक अपराध इकाई यानि EOU की रिपोर्ट के अनुसार मुंगेर के डीआईजी रहते शफीउल हक एजेंट रखकर पैसे की वसूली कराते थे. रिपोर्ट कहती है कि शफीउल हक ने एक सब इंस्पेक्टर मो. उमरान के साथ साथ एक निजी एजेंट को वसूली को लिए रखा था. दोनों ने डीआईजी को देने के लिए कनीय पुलिस अधिकारियों एवं कर्मियों से बड़े पैमाने पर अवैध राशि की उगाही की. EOU की जांच में प्राथमिक तौर पर ये आरोप सही पाये गये।
EOU की रिपोर्ट में कहा गया है कि अवैध वसूली करने वाले मो. उमरान के गलत काम की जानकारी होने के बावजूद डीआईजी ने कोई कार्रवाई नहीं की, इससे ये स्पष्ट होता है कि वसूली के इस खेल में डीआईजी की भी सहभागिता थी. वसूली करने वालों के खिलाफ कार्रवाई न करना डीआईजी को भ्रष्टाचार के रूप में स्थापित करता है. सरकारी सूत्र बता रहे हैं कि EOU के पास ऐसे कई सबूत हैं जिससे अवैध वसूली के खेल में डीआईजी भी शामिल है. जानकारी के अनुसार डीआईजी वसूली के लिए अपने एजेंटों से लगातार मोबाइल पर संपर्क में रहते थे।
बिहार सरकार के गृह विभाग ने कहा है कि डीआईजी शफीउल हक के संदिग्ध आचरण और उन पर लगे आरोपों की गंभीरता को देखते हुए उनके खिलाफ विस्तृत जांच के लिए विभागीय कार्यवाही चलाने का भी फैसला लिया गया है. फिलहाल उन पर लगे आऱोपों के मद्देनजर उन्हें सस्पेंड कर दिया गया है. सस्पेंशन की अवधि में उनका ऑफिस पटना आईजी के कार्यालय में होगा।
आपको बता दें कि शफीउल हक मुंगेर के डीआईजी हुआ करते थे. पिछले 19 जून को मुंगेर से उनका ट्रांसफर कर दिया गया था. दरअसल राज्य सरकार को सी दौरान डीआईजी के खिलाफ गंभीर शिकायतें मिली थी. उसके बाद उनका मुंगेर से ट्रांसफर कर पुलिस मुख्यालय बुला लिया गया था. पुलिस मुख्यालय में भी उन्हें वेटिंग फॉर पोस्टिंग रखा गया था. इस बीच उनके खिलाफ ईओयू की जांच भी जारी थी, जिसकी रिपोर्ट आने के बाद कार्रवाई की गयी।