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1st Bihar Published by: Updated Sun, 08 Dec 2019 05:01:37 PM IST
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MOTIHARI: तारीख-12 मई 2019. स्थान-पूर्वी चंपारण जिले के नरकटिया विधानसभा क्षेत्र का शेखनवा गांव. लोकसभा चुनाव के लिए मतदान हो रहा था. इस चुनाव में प्रत्याशी संजय जायसवाल को खबर मिली कि शेखनवा गांव में बूथ पर कब्जा कर लिया गया है. संजय जायसवाल अकेले अपने बॉडीगार्ड के साथ गांव में पहुंच गये. बूथ लुटेरों की टोली ने उन पर हमला कर दिया. चार घंटे तक संजय जायसवाल भीड़ से जूझते रहे. उनके बॉडीगार्ड ने ताबड़तोड़ फायरिंग करके उनकी जान बचायी. संजय जायसवाल पूर्वी चंपारण के डीएम और एसपी को फोन करके जान बचाने की गुहार लगाते रहे. किसी ने नहीं सुनी. साढ़े तीन घंटे बाद जब पुलिस पहुंची तो वे वहां से निकल पाये.
संजय जायसवाल पर मुकदमे की कहानी
ये वही वाकया है जिसमें पूर्वी चंपारण पुलिस ने बीजेपी के प्रदेश अध्यक्ष संजय जायसवाल को मारपीट का दोषी करार दिया है. 12 मई को उनकी जान तो बच गयी लेकिन नीतीश कुमार की पुलिस से वे बच नहीं पाये. हुआ यूं था कि इस वाकये के बाद संजय जायसवाल ने प्राथमिकी दर्ज करायी थी. जवाब में विपक्षियों ने भी उनके खिलाफ प्राथमिकी दर्ज करायी थी. नीतीश कुमार की पुलिस ने संजय जायसवाल के खिलाफ दर्ज मामले को सही करार दिया.
नीतीश के मुस्लिम प्रेम ने संजय जायसवाल को फंसाया ?
सवाल ये उठ रहा है कि क्या नीतीश कुमार के मुस्लिम प्रेम ने भाजपा के प्रदेश अध्यक्ष को फंसा दिया गया या वे जानबूझकर टारगेट किये गये हैं. दरअसल जिस गांव में ये वाकया हुआ था उसमें 90 फीसदी आबादी मुसलमानों की है. मतदान के दिन संजय जायसवाल अकेले उस गांव में पहुंचे थे. उस वाकये का वीडियो सार्वजनिक है, जिसमें संजय जायसवाल खुद को बचाते दिख रहे हैं. हद देखिये पूर्वी चंपारण पुलिस ने इस मामले की जांच में औपचारिक पूछताछ भी नहीं की और आरोपों को सही करार दिया. पुलिस के जानकार जानते हैं कि ऐसे हाई प्रोफाइल मामले में बिना उपर के आदेश के कुछ नहीं होता. इसका मतलब ये होता है कि संजय जायसवाल पर केस सही करने का ग्रीन सिग्नल उपर से मिल चुका था. हालांकि पुलिस औपचारिक तौर पर कुछ भी बोलने को तैयार नहीं है.
क्या सरकार पर अंगुली उठाना भारी पड़ा
संजय जायसवाल प्रदेश भाजपा का अध्यक्ष बनने के बाद कई दफे सरकार पर सवाल खड़े कर चुके हैं. पटना जल प्रलय के समय उन्होंने सरकार पर तीखे सवाल किये थे. चंपारण में सडक निर्माण में घोटाले पर भी उन्होंने मुख्यमंत्री को खुला पत्र लिखा था. नीतीश कुमार ही नहीं बल्कि सत्ता में बैठे कई भाजपा नेताओं को भी संजय जायसवाल के तेवर पसंद नहीं आ रहे थे. चर्चा ये भी है कि सरकार की यही नाराजगी भाजपा अध्यक्ष के लिए भारी पड़ी.
भूपेंद्र यादव का हास्यास्पद बयान
सरकार के इस खेल को भाजपा के छोटे नेता भी समझ रहे हैं. लेकिन आज ही बिहार दौरे पर आये भाजपा के प्रभारी भूपेंद्र यादव ने हास्यास्पद बयान दे दिया. उन्होंने कहा कि प्रदेश भाजपा अध्यक्ष को फंसाना विपक्ष की साजिश है. यानि नीतीश की पुलिस पर विपक्ष की पकड़ है. हालांकि भूपेंद्र यादव भी मामले को समझ रहे हैं लेकिन शायद सच बोलने का साहस वे नहीं जुटा पाये.