दरभंगा AIIMS पर कितना बरगलायेंगे नीतीश! महागठबंधन के 20 MP ने प्रधानमंत्री को कहा था-दरभंगा में मत बनाइये एम्स, जमीन ठीक नहीं है

दरभंगा AIIMS पर कितना बरगलायेंगे नीतीश! महागठबंधन के 20 MP ने प्रधानमंत्री को कहा था-दरभंगा में मत बनाइये एम्स, जमीन ठीक नहीं है

PATNA: दरभंगा एम्स को लेकर नीतीश कुमार और तेजस्वी यादव के दावों की पोल खुली है. केंद्र सरकार ने कहा है कि दरभंगा एम्स के लिए नीतीश सरकार ने जो जमीन दी है, वह गलत है, वहां एम्स नहीं बन सकता. जवाब में दो दिन पहले नीतीश ने कहा था-“कितना अच्छा जमीन दिये हैं, जब हम कोई अच्छा काम करने के लिए सुझाव देंगे, तो वो अड़ंगा डालेगा. मत करो. हमको क्या है? आगे ये लोग जब हटेंगे तो अच्छा अच्छा काम होगा.” अब नीतीश के दावों की पोल खोलने के लिए बिहार के महागठबंधन के 20 सांसदों की चिट्ठी आ सामने आ गयी है. 


जेडीयू, राजद और कांग्रेस के 20 सांसदों ने प्रधानमंत्री को पत्र लिख कर कहा था- “दरभंगा एम्स के जो जमीन उपलब्ध कराई जा रही है, वह 15-20 फीट गड्ढे में है. दरभंगा बाढ़ प्रभावित क्षेत्र है, उक्त स्थल पर एम्स निर्माण होने से वह सदा असुरक्षित रहेगा, एवं उसकी उपयोगिता सार्थक नहीं होगी. आग्रह है कि जनहित में उत्तर बिहार के सहरसा में एम्स का निर्माण कराने की कृपा की जाय.” महागठबंधन के 20 सांसदों ने ये पत्र इसी साल मार्च में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को लिखा था.


जेडीयू, राजद, कांग्रेस के सांसदों का पत्र देखिये

बिहार के महागठबंधन में शामिल जेडीयू, राजद औऱ कांग्रेस के कुल 20 सांसदों ने 24 मार्च 2023 को प्रधानमंत्री को पत्र लिखा था. उस पूरे पत्र को पढ़िये...“बिहार राज्य के उत्तरी-पूर्वी क्षेत्र में सहरसा, मधेपुरा, सुपौल, खगडिया, पूर्णियाँ, कटिहार, अररिया एवं किशनगंज जिला अत्यंत पिछड़ा है. इन क्षेत्र में किडनी कैंसर, हृदय, लीवर एवं अन्य गंभीर बीमारियों के रोगी काफी बड़े पैमाने पर हैं. इन क्षेत्रों में कोई अच्छा अस्पताल नही है गरीबी के कारण लोग बाहर जाकर ईलाज नहीं करा पाते हैं और तड़प-तड़पकर मर जाते हैं. उत्तर बिहार का प्रमुख शहर सहरसा प्रमंडलीय मुख्यालय है. यह कई राष्ट्रीय राजमार्ग एवं बड़ी रेल लाईन से जुड़ा हुआ है. यहां दर्जनों शैक्षणिक संस्थान भी है. जिला पदाधिकारी, सहरसा ने सहरसा में एम्स निर्माण करने के लिए 217.74 एकड़ जमीन उपलब्ध होने की जानकारी बिहार सरकार को दी थी.”


20 सांसदों ने कहा था-दरभंगा की जमीन खराब है

सांसदों ने अपने पत्र में लिखा था..“राज्य सरकार द्वारा दरभंगा मेडिकल कॉलेज के बगल में एम्स निर्माण के लिए जमीन उपलब्ध कराई थी. जहां बरसात के दिनों में लगभग 15 फीट पानी जमा हो जाता है. MCI दिल्ली ने उस जमीन को एम्स के लिए अनुपयोगी मानकर अस्वीकृत कर दिया. जानकारी मिली है कि दरभंगा एम्स के लिए पुनः जो जमीन उपलब्ध कराई जा रही है, वह 15-20 फीट गड्ढे में है. दरभंगा बाढ़ प्रभावित क्षेत्र है, उक्त स्थल पर एम्स निर्माण होने से वह सदा असुरक्षित रहेगा, एवं उसकी उपयोगिता सार्थक नहीं होगी. आग्रह है कि जनहित में उत्तर बिहार के सहरसा में एम्स का निर्माण कराने की कृपा की जाय.”


नालंदा तक के सांसद ने दरभंगा में एम्स का विरोध किया

इस पत्र को मूल रूप से मधेपुरा से जेडीयू सांसद दिनेश चंद्र यादव ने लिखा था. लेकिन इस पत्र पर जेडीयू, राजद और कांग्रेस के कुल 20 सांसदों ने समर्थन में हस्ताक्षर किया था. इस पत्र पर हस्ताक्षर करने वालों में नीतीश कुमार के गृह जिले नालंदा के सांसद कौशलेंद्र कुमार भी शामिल थे. उनके अलावा राज्यसभा में जेडीयू संसदीय दल के नेता रामनाथ ठाकुर, जेडीयू से गया के सांसद विजय कुमार, जहानाबाद से सांसद चंदेश्वर प्रसाद चंद्रवंशी, MP दुलालचंद गोस्वामी, सुनील कुमार, गिरधारी यादव, दिलेश्वर कामत, संतोष कुशवाहा, कविता सिंह जैसे कई और सांसद थे. यहां तक कि झारखंड से आने वाले जेडीयू के राज्यसभा सांसद खीरू महतो भी ये मांग कर रहे थे कि दरभंगा में एम्स नहीं बने. सिर्फ जेडीयू ही नहीं बल्कि राजद के राज्यसभा सांसद भी प्रधानमंत्री को पत्र लिख रहे थे कि दरभंगा की जमीन खराब है और एम्स सहरसा में बने. इस पत्र पर साइन करने वालों में राजद के सांसद मनोज झा, अशफाक करीम भी शामिल हैं. वहीं, बिहार से कांग्रेस के इकलौते लोकसभा सांसद मोहम्मद जावेद ने भी पत्र पर हस्ताक्षर कर दरभंगा में एम्स नहीं बनाने की मांग की थी.


ऐसे शुरू हुआ था विवाद

दरअसल केंद्र केंद्र सरकार ने दरभंगा में बिहार का दूसरा एम्स बनाने का फैसला लिया है. इसके लिए राज्य सरकार को जमीन देना था. बिहार सरकार ने दरभंगा के शोभन बायपास पर एम्स के लिए 151 एकड़ जमीन देने का फैसला लिया था. लेकिन केंद्र सरकार ने उस जमीन को एम्स के निर्माण के लिए सही नहीं पाया है. पिछले 27 अप्रैल को ही केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्रालय के अधिकारियों की टीम ने उस जमीन को देखा था. उसके बाद सौंपी गयी अपनी रिपोर्ट में टीम ने कहा कि एम्स बनाने के लिए दी गयी जमीन काफी नीचे है. भवन निर्माण के लिए यहां मिट्टी की गुणवत्ता भी अच्छी नहीं है. यहां की जमीन में फैलने और सिकुड़ने की काफी संभावना है. ऐसे में अगर बिल्डिंग बनायी गयी तो उसकी सुरक्षा पर खतरा होगा. इंजीनियरिंग के लिहाज से भी जमीन की क्वालिटी अच्छी नहीं है. वहां की जमीन कॉटन ब्लैक लैंड है. 


केंद्र सरकार की टीम ने कहा कि राज्य सरकार ने दरभंगा में जो जमीन दी है उस पर एम्स बनाने में पैसे और समय दोनों की बर्बादी होगी. यह करीब 23 फीट गहरा है. इसकी भराई मुश्किल है. इससे न सिर्फ प्रोजेक्ट का कॉस्ट बहुत बढ़ जाएगा बल्कि समय भी काफी ज्यादा लगेगा. इस जमीन की मिट्टी की गुणवत्ता भी भवन निर्माण के लिए सही नहीं है. आसपास के इलाकों में जलजमाव की भी समस्या है. केंद्र सरकार की टीम की रिपोर्ट आने के बाद टीम की रिपोर्ट के आधार पर केंद्रीय स्वास्थ्य सचिव राजेश भूषण ने बिहार के स्वास्थ्य विभाग को पत्र लिखकर एम्स के लिए दूसरी जमीन देने की मांग की थी.  केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्रालय ने शोभन बाईपास की जमीन को अनफिट करार देते हुए इसकी वैकल्पिक व्यवस्था करने की मांग की है. 


अपने ही जाल में फंसे नीतीश 

केंद्र सरकार की चिट्ठी सामने आने के बाद दो दिन पहले नीतीश कुमार जमकर बरसे. नीतीश ने कहा था-उन लोगों का यही काम है. जब हम कोई अच्छा काम करने के लिए सुझाव देंगे, तो वो लोग नहीं सुनेगा. मत करो. हमको क्या है? आगे ये लोग जब हटेंगे तो अच्छा अच्छा काम होगा. नीतीश ने कहा कि हमने बहुत अच्छी जमीन दी थी लेकिन केंद्र सरकार हमारे काम में अड़ंगा डाल रही है. 


नीतीश कुमार ने कहा कि दरभंगा में एम्स बनाने के लिए शोभन बायपास पर जो जमीन दी गयी थी उससे पूरे जिले का विकास हो जाता. कितना अच्छा जगह है. इसका मतलब है कि केंद्र की सरकार को कोई और दिमाग होगा. उनको कोई दिमाग रहे हमको इससे क्या मतलब है. हम तो चाहे थे कि दरभंगा मेडिकल कॉलेज को ही एम्स बना दिया जाये. वे लोग नहीं माने. तब दूसरी जमीन दिये. वहां फोर लेन की सड़क बना रहे थे. कितना विस्तार हो जाता. बाहर से आने वाले लोगों को भी सुविधा होती.


तेजस्वी यादव भी हां में हां मिला रहे थे

नीतीश कुमार दो दिन पहले जब मीडिया के सामने ये सब बोल रहे थे तो उनके बगल में खड़े तेजस्वी यादव भी हां में हां मिला रहे थे. तेजस्वी कह रहे थे कि केंद्र सरकार राजनीति कर रही है. उनकी टीम ने पहले कहा था कि दरभंगा में जो जमीन दी गयी है वह सही है. इससे दरभंगा शहर का विस्तार हो जायेगा. दो दिन पहले ही नीतीश कुमार और तेजस्वी यादव ने स्पष्ट कर दिया था कि राज्य सरकार दरभंगा में एम्स बनाने के लिए दूसरी जमीन नहीं देगी. उधर  केंद्र सरकार ने साफ कर दिया था कि दरभंगा में जो जमीन मिली है उस पर एम्स की बिल्डिंग बनाना संभव नहीं है. ऐसे में साफ हो गया था कि अब दरभंगा एम्स का मामला फंस गया है. नीतीश ने ये भी कह दिया था कि जब केंद्र की भाजपा सरकार हटेगी तभी अच्छा अच्छा काम होगा. 


लेकिन अब महागठबंधन के सांसदों का पत्र सामने आया है. जिसमें साफ तौर पर ये कहा गया है कि राज्य सरकार ने एम्स के लिए जो जमीन उपलब्ध करायी है, वह सही नहीं है और दरभंगा में एम्स का निर्माण किया ही नहीं जाना चाहिये. जाहिर है नीतीश सरकार को पहले ये स्पष्ट करना चाहिये कि कौन सच बोल रहा है. नीतीश कुमार और तेजस्वी यादव या फिर उनकी पार्टियों के 20 सांसद.