PATNA : एक तरफ देश में आरक्षण की समीक्षा को लेकर जहां सियासी बहस हुई है वहीं बीजेपी के सांसद और बिहार के पूर्व डिप्टी सीएम सुशील कुमार मोदी ने दलित आरक्षण को लेकर बड़ी बात कह दी है। सुशील कुमार मोदी ने कहा है कि विपक्ष में बैठे लोग साजिश के तहत ईसाई और मुस्लिम धर्म में शामिल होने वाले दलितों के लिए आरक्षण की मांग करते हैं मगर संविधान में आरक्षण की व्यवस्था केवल हिंदू, सिख और बौद्ध धर्म से जुड़े दलितों के लिए है। सुशील मोदी ने कहा है कि बीजेपी मुस्लिम और ईसाई धर्म को अपनाने वाले दलितों के लिए किसी भी कीमत पर आरक्षण के पक्ष में नहीं है।
दरअसल बीजेपी महादलित प्रकोष्ठ की तरफ से पटना में संत शिरोमणि रविदास जयंती का आयोजन शुक्रवार को किया गया था। इस समारोह में सुशील कुमार मोदी भी शामिल हुए आरक्षण पर चर्चा हुई तो सुशील कुमार मोदी ने यह बयान दे दिया कि धर्मांतरण के बाद ईसाई और मुस्लिम बनने वाले दलितों को आरक्षण की मांग का पुरजोर विरोध किया जाता रहेगा। सुशील कुमार मोदी ने कहा कि बीजेपी एससी एसटी की नौकरियों में आरक्षण में क्रीमीलेयर के पक्ष में नहीं है। इसलिए मोदी सरकार ने ना केवल इसका पुरजोर विरोध किया बल्कि इस मामले को सुप्रीम कोर्ट की 7 जजों की बेंच में भेजने की मांग की है।
मोदी ने कहा कि बिहार में एनडीए की सरकार ने पंचायत चुनाव में एकल पदों पर 16 प्रतिशत आरक्षण का प्रावधान किया जबकि 15 साल तक बिहार में चली पति-पत्नी की सरकार ने एकल पदों पर आरक्षण दिए बिना पंचायत का चुनाव करा लिया था। एनडीए की सरकार आने के बाद राज्य में न एक नरसंहार हुआ, न एक भी दलित नरसंहार में मारा गया जबकि राजद की सरकार के दौरान हुए छह नरसंहारों में 165 दलित मारे गए थे।
एनडीए की सरकार ने एससी समुदाय से 9,500 विकास मित्र, 4,842 ममता, 19,232 टोला सेवकों की नियुक्ति की। बीपीएससी और यूपीएससी की पीटी पास करने वाले दलित युवकों के आगे की तैयारी के लिए 50 हजार और एक लाख रुपये देने का प्रावधान किया जिसके तहत अब ढाई हजार को सहायता दी गई है।