DESK : कोरोना वायरस ने पिछले दो महीने से पूरी दुनिया में कोहराम मचा रखा है. चीन के वूहान शहर से फैला ये वायरस ईरान, इटली, इंग्लैंड, अमेरिका और अब भारत में भी लोगों को अपने गिरफ्त में लेने लगा है. इस वायरस के रहस्य को भी तक सुलझाया नहीं जा सका है. इस वायरस की तह तक पहुंचना बेहद ज़रूरी है. ये वायरस कब कैसे, क्यों और कहां से आया इसका पता लगाने में वैज्ञानिक जुटे हुए है. दुनिया के हर कोने में कोरोना का कहर जारी है. अब तक 113 देशों में इस वायरस से 7 हज़ार से ज्यादा लोगों की मौत हो चुकी है. कुल मिलाकर अब तक 1,98,518 केस सामने आ चुके है. भारत में भी कोरोना के मरीज दिन प्रतिदिन बढ़ते जा रहे हैं. अब ये आंकड़ा 172 तक पहुंच गया है. जिनमें से तीन लोगों की मौत भी हो चुकी है.
जनवरी 2019, इंस्टिट्यूट ऑफ वायरलॉजी नेशनल बायोसेफ्टी लैब. वुहान, चीन
वुहान के एक लैब में इबोला, निपाह, सॉर्स और दूसरे घातक वायरसों पर रिसर्च कर रहे वैज्ञानिक अपने माइक्रोस्कोप में एक अजीब सा वायरस नोटिस करते है. डॉक्टरों ने ऐसा वायरस मेडिकल हिस्ट्री में पहले कभी नहीं देखा था. इसके जेनेटिक सीक्वेंस को गौर से देखने पर पता चल रहा था कि ये चमगादड़ के करीबी हो सकते हैं. वैज्ञानिक हैरान थे क्योंकि कोरोना वायरस, सार्स वायरस के समान दिख रहा था. सार्स वायरस ने 2002-2003 में चीन में महामारी फैला दी थी. दुनिया भर में इस वायरस के कारण 700 से ज़्यादा लोग मारे गए थे. सार्स वाइरस भी छूने और संक्रमित व्यक्ति के छींकने या खांसने से फैलता है. लेकिन तब चीन इस वायरस को छुपा ले गया था.
दिसंबर 2019, वुहान, चीन
दिसंबर के पहले हफ्ते में वुहान की सी-फूड मार्केट के आस पास रहने वाले लोग बुखार से पीड़ित होने शुरू हो गए. इनके टेस्ट के लिए सैंपल को वुहान इंस्टिट्यूट ऑफ वायरलॉजी नेशनल बायोसेफ्टी लैब को भेजा गया. यहां वैज्ञानिकों ने माइक्रोस्कोप पर ग्लोबल खतरे को देख लिया था. मगर चीनी अधिकारियों ने डॉक्टरों और वैज्ञानिकों को खामोश रहने के लिए चेतावनी दे दी थी.
दिसंबर का आखिरी हफ्ता 2019
डॉ. ली वेनलियांग के अस्पताल में स्थानीय सी-फूड मार्केट से करीब सात मरीज़ पहुंचे, ये वहीं डॉ ली वेनलियांग थे, जिन्होंने दुनिया को पहली बार इस जानलेवा वायरस से आगाह कराया था. बहरहाल इन मरीज़ों के लक्षण देखकर डॉ ली को समझ में आ गया था कि ये सभी के सभी किसी अनजान घातक वायरस के शिकार हो गए हैं. उन्होंने फौरन इस बीमारी के बारे में अपने अस्पताल के दूसरे डॉक्टरों को अलर्ट किया. साथ ही इस वायरस के बारे में सरकार को अपनी रिपोर्ट दी. इतना ही नहीं, इस बारे में उन्होंने अपने मेडिकल कॉलेज के एलुमनी ग्रुप में भी जानकारी दी. अपने जानकार, दोस्तों और रिश्तेदारों को इस बारे में आगाह करने को कहा लेकिन कुछ ही घंटों में उनके मैसेज का स्क्रीनशॉट वायरल होने लगा.
जनवरी 2020, वुहान, चीन
जब नए साल के जश्न में पुरी दुनिया और चीन डूबा हुआ था. उस समय ठीक उनकी नाक के नीचे ये वायरस लगातार फैलता जा रहा था. कोरोना से संक्रमित की तादाद हज़ारों में पहुंच गई थी. चीन इस बीमारी की रोकथाम के बजाए इसे दुनिया से छुपाने में लगा गया था.
25 जनवरी 2020, इंस्टिट्यूट ऑफ वायरलॉजी नेशनल बायोसेफ्टी लैब, वुहान, चीन
चीन इस जानलेवा वायरस की खबर को सामने नहीं आने दिया, मगर अंदर ही अंदर वुहान के लैब में इसकी जांच कराने लगा. नेशनल बायोसेफ्टी लैब में पिछले कई सालों से चमगादड़ों से फैलने वाली बीमारियों पर रिसर्च चल रही थी. ये रिसर्च इसलिए थी क्योंकि वुहान और उसके आसपास के इलाकों में चमगादड़ों की तादाद काफी ज़्यादा है. यहां चमगादड़ों और दूसरे तमाम जानवरों का मांस खाने और सूप पीने का चलन बहुत पहले से था. जांच में ये साफ हो गया कि हो ना हो ये जानलेवा वायरस इन्हीं चमगादड़ों से ही फैला है. चाइनीज सेंटर फॉर डिज़ीज़ कंट्रोल एंड प्रिवेशन की स्टडी के डेटा भी इसी तरफ इशारा कर रहे थे.
फरवरी 2020, वुहान, चीन
डॉ. ली वेनलियांग इस दौरान लगातार अपने डॉक्टर साथियों और लोगों को इस जानलेवा वायरस से ना सिर्फ आगाह कर रहे थे, बल्कि पीड़ितों को आइसोलेशन वार्ड में रखकर इलाज भी कर रहे थे. इसी बीच ये खबर चीन से निकलकर दुनिया तक पहुंचने लगी. तब जाकर चीन ने माना कि उसके मुल्क को कोरोना नाम की एक महामारी ने जकड़ लिया है. वहीं दूसरी तरफ चीनी सरकार ने डॉक्टर ली के वायरल हो चुके कोरोना वायरस से आगाह करने वाले मैसेज का संज्ञान लेते हुए उनसे नोटिस भेजकर जवाब मांगा. बाद में उनपर अफवाह फैलाने का आरोप लगा और उन्हें लिखित में मांफी मांगनी पड़ी. अब तक चीन इस जानलेवा वायरस की चपेट में आ चुका था मौत का आंकड़ा लगातार बढ़ता जा रहा था.
7 फरवरी 2020, वुहान, चीन
अचानक खबर आई की डॉक्टर ली, जिन्होंने कोरोना वायरस के बारे में सबसे पहले लोगों को बताया था, उनकी मौत हो गई है. खबर आई थी कि डॉक्टर ली 12 जनवरी से अस्पताल में भर्ती थे. 30 जनवरी को उनकी कोरोना टेस्ट रिपोर्ट पॉजिटिव आई थी. चीन ने कहा कि उन्हें बचाने की पुरी कोशिश हुई लेकिन उन्हें बचाया नहीं जा सका. वुहान सेंट्रल हॉस्पिटल में डॉ ली की मौत 2 बजकर 58 मिनट पर 7 फरवरी को हो गई. हालांकि सरकार विरोधी गुटों का ये मानना था कि चीन ने उन्हें इस महामारी का खुलासा करने की सज़ा दी है.
मरीजों को मारने की अर्जी !
ऐसा इसलिए कहा जा रहा था क्योंकि चीन ने 20 हज़ार कोरोना पीड़ितों को मार देने के लिए सुप्रीम पीपुल्स कोर्ट में अर्जी देने वाली खबर भी आई थी. मगर इस खबर की पुष्टि नहीं हो सकी. दुनिया को सबसे पहले आगाह करने वाले डॉ. ली वेनलियांग की मौत फिलहाल सवालों के घेरे में है. सवाल ये भी बना हुआ है कि कोरोना चमगादड़ से फैला या चीन की लैब से ? खुद चीनी वैज्ञानिक इस बात का दावा कर रहे हैं कि ये जानलेवा वायरस किसी जानवर से नहीं बल्कि चीन की लापरवाही से फैला है.