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1st Bihar Published by: Updated Thu, 14 May 2020 12:27:04 PM IST
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PATNA: चुनावी रणनीतिकार प्रशांत किशोर ने बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार पर एक बार फिर कटाक्ष किया है। उन्होनें कोरोना टेस्टिंग के मामले में बिहार सबसे निचले पायदान पर पहुंच गया है। इसके लिए उन्होनें नीतीश कुमार के उदासीन और संवेदहीन नेतृत्व को जिम्मेवार बताया है।
प्रशांत किशोर ने ट्वीट कर सीएम नीतीश कुमार पर कटाक्ष करते हुए लिखा है कि करोना संकट के इस दौर में अपने उदासीन और संवेदनहीन नेतृत्व से देश भर को स्तब्ध कर देने वाले नीतीश कुमार के प्रयासों से बिहार करोना टेस्टिंग के मामले में भी देश के सभी राज्यों में सबसे निचले पायदान पर पहुंच गया है। बिहार में प्रति दस लाख टेस्टिंग की दर देश 1410 के मुक़ाबले 330!!
करोना संकट के इस दौर में अपने उदासीन और संवेदनहीन नेतृत्व से देश भर को स्तब्ध कर देने वाले @NitishKumar के प्रयासों से बिहार करोना टेस्टिंग के मामले में भी देश के सभी राज्यों में सबसे निचले पायदान पर पहुँच गया है।
— Prashant Kishor (@PrashantKishor) May 14, 2020
बिहार में प्रति दस लाख टेस्टिंग की दर देश 1410 के मुक़ाबले 330!!
प्रशांत किशोर ने कटाक्ष करते हुए सीएम नीतीश कुमार को लपेटा है। उन्होनें सीएम को उदासीन और संवेदनहीन तक बता दिया है। प्रशांत किशोर ने आंकड़ों के हवाले बताया है कि बिहार में टेस्टिंग के आंकड़ों के क्या हालात हैं। देश में प्रति दस लाख टेस्टिंग रेट जहां 1410 है वहीं बिहार में ये आंकड़ा महज 330 ही है।
प्रशांत किशोर के पहले बिहार में नेता प्रतिपक्ष तेजस्वी यादव ने भी आंकड़ों के जरिए सरकार को घेरने की कोशिश की थी ।उन्होनें कल ही कहा कि हम शुरू से ही बिहार सरकार को आगाह कर, सुझाव देकर लगातार मांग करते रहे हैं कि बिहार में जांच की संख्या बढ़ाई जाए। संदिग्धों के अलावा रैंडम और रेग्युलर टेस्टिंग करें लेकिन अफ़सोस के साथ कहना पड़ रहा कि दो महीने बीतने के बाद भी बिहार का प्रतिदिन जांच औसत 1000 टेस्ट से भी कम है।
तेजस्वी ने कहा कि ये एक निर्विवाद तथ्य है कि अधिकतम टेस्टिंग ही कोरोना से लड़ने का सबसे कारगर हथियार है। कोरोना नियंत्रण का नींव टेस्टिंग है. सरकार को टेस्टिंग किट्स का ख़रीद और भंडारण ज़्यादा से ज़्यादा करना चाहिए। उन्होंने सुझाव दिया कि प्रयास किया जाए कि हर एक जिले में जांच की व्यवस्था हो। लैब, विशेषज्ञ डॉक्टर और तकनीकि रूप से सक्षम लोगों की तैनाती ज़िलास्तर पर हो. जांच की क्षमता प्रतिदिन 5000 तक बढ़ाया जाए।