कोरोना से बचना है तो दूरी जरुरी है, जानिए क्या है विशेषज्ञों की राय

कोरोना से बचना है तो दूरी जरुरी है, जानिए क्या है विशेषज्ञों की राय

DESK : कोविड-19 यानि कोरोना वायरस ने पुरे विश्व में आतंक मचा रखा है. इसने तबाही का ऐसा मंज़र दिखाया है जिसकी कल्पना शायद किसी ने नहीं की थी. कई देश पूरी तरह बंद हैं. लोगों को बीमारी के खौफ ने घरों में कैद रहने को मजबूर कर दिया है. इस बीमारी के जद में आये कुछ खुश किस्मत  लोग कोरोना को हराने में कामयाब रहे वहीं कुछ इस बीमारी के हाथों हार गए. यूरोपिय देश और अमेरिका जैसे विश्व शक्ति के हालात से भारत की तुलना करें तो भारत  लिमिटेड संसाधनों और वर्त्तमान स्वास्थ्य व्यवस्था के साथ अब तक बड़ी मुस्तैदी से लड़ा है. 133 करोड़ की बड़ी जनसंख्या में संक्रामक बीमारी को फैलने से रोकना एक बड़ी चुनौती थी. 

विशेषज्ञों की माने तो कोरोना की वैक्सीन बनाने में काफी समय लगने वाला है. ऐसे में सोशल डिस्टेंसिंग यानि शरीर से शरीर की दूरी वाला नियम ही हमें बचा सकता है. झुंड बनाकर या समूह में रहने से संभवतः दुनियाभर में लाखों लोगों की जाने जा सकती है. इसका एक नमूना हमने अपने देश में भी देखा कि कैसे चंद लोगों की लापरवाही कइयों की जान को खतरे में डाल सकती है. कोरोना वायरस से बचने के लिए बड़े पैमाने पर सामाजिक शारीरिक दूरी का पालना करना जरूरी है. 

धीरे धीरे कई क्षेत्रों में ढील दे कर सरकार जिंदगी को वापस पटरी पर लाने की कोशिश कर रही है. कई जगहों पर मंडी, मार्केट, दफ्तर, दुकाने खोलने के आदेश दिए गए हैं. पर इन जगहों से जो तस्वीरें सामने आई उसे देखकर ऐसा लगता है कि उन्हें डेढ़ महीने घर में बंद रहने पर भी इस बात की गंभीरता समझ नहीं आई की सोशल डिस्टेंसिंग संक्रामक बीमारी को रोकने में कितना कारगर हो सकता है.        

यूरोपीय विश्वविद्यालयों ने कोरोना के प्रसार को कैसे रोका जा सकता है इस पर एक अध्यन किया. अध्यन  में शामिल वैज्ञानिक और स्वास्थ्य विशेषज्ञों में सभी लोगों को मास्क लगाने, तापमान की जांच और हाथों को धोने की आदत को कोरोना से लड़ने का सबसे कारगर उपाय पाया.

भारत की जनसंख्या है बड़ी चुनौती:

भारत जैसे विशाल जनसंख्या वाले देश में सोशल डिस्टेंसिंग का पालन करना और करवा पाना दोनों ही चुनौतीपूर्ण है. यहां आबादी का घनत्व काफी ज्यादा है. कार्य स्थल, सार्वजानिक प्रतिष्ठान, धार्मिक स्थल सभी जगहों पर काफी भीड़ मिलती है. ऐसे में सरकारों को इसके लिए समुचित व्यस्था करनी होगी साथ ही ये सुनिश्चित करना होगा की नियमों का सख्ती से पालन हो. जनता से उम्मीद रखना की वो स्थिति की गंभीरता को समझेंगे बेवकूफी होगी. दो दिनों में शराब की दुकानों के बाहर जो तस्वीर दिखी वो तो बस बानगी थी. 

जानकारों की माने तो कोरोना की वैक्सीन बनने में काफी समय लग सकता है. जब तक वैक्सीन नहीं बनती तब तक सुरक्षा की दृष्टि से हमें सोशल डिस्टेंसिंग का पालन करना ही होगा. देश की आर्थिक और सामाजिक गतिविधियों को रोक कर, लॉक डाउन लगा कर लोगों को घरों में बहुत दिन तक रखा नहीं जा सकता. एक ना एक दिन लॉक डाउन को पुर्णतः हटाना ही होगा. 

कई देशों ने लॉक डाउन हटाया 

चीन ने पिछले महीने 8 अप्रैल को 76 दिनों के बाद लॉक डाउन हटा लिया. पर यहां दोबारा कोरोना के पैर पसारने से पहले ही चौकसी बरती गई और सोशल डिस्टेंसिंग का पालन किया जाने लगा जिसके कारण स्थिति सामान्य हो पाई है. दक्षिण कोरिया, ऑस्ट्रेलिया और हांगकांग जैसे देशों में लॉक डाउन हटा लिया गया है वहीं फ्रांस, इटली और स्पेन में अगले कुछ दिनों में लॉक डाउन हटा लिया जायेगा. जिन देशों में लॉक डाउन को हटाया गया वहां अचानक कोरोना संक्रमितों की संख्या में बढ़त देखने को मिली क्योंकि थोड़ी लापरवाही आप को संक्रमित बना सकती है. इसलिए विशेष सावधानी ही बचाव है.