PATNA : बिहार में कोरोना संकट के बीच स्वास्थ्य सुविधाओं की हकीकत जानने के लिए पटना हाईकोर्ट ने एक कमिटी के गठन किया है। हाईकोर्ट ने इस कमिटी को राज्य के कोविड अस्पतालों का निरीक्षण कर रिपोर्ट देने का आदेश दिया है। एम्स के डायरेक्टर और मानवाधिकार आयोग के अध्यक्ष को इसको जिम्मेदारी दी गई है।
हाईकोर्ट ने इस दो सदस्यीय कमेटी को मंगलवार को एनएमसीएच का दौरा कर रिपोर्ट देने को कहा है। साथ ही इस कमेटी को कोविड अस्पतालों का औचक निरीक्षण करने का अधिकार दिया है। कोर्ट ने राज्य में स्थायी ड्रग कंट्रोलर नहीं रहने पर सवाल उठाते हुए सरकार को जवाब देने का निर्देश दिया है। इसके अलावा कोविड कंट्रोल के लिए अब तक बने एक्शन प्लान के बारे में जानकारी राज्य सरकार से मांगी है। कोरोना को लेकर हाईकोर्ट में सोमवार की शाम साढ़े चार बजे से सुनवाई शुरू हुई जो रात साढ़े आठ बजे तक चली। इस दौरान करोना से बचाव में इस्तेमाल हो रहे रेमडिसिवर इंजेक्शन के बारे में एम्स डायरेक्टर ने कोर्ट को बताया कि यह दवा करोना संक्रमण की रोकथाम में ज्यादा कारगर नहीं है। इसके बावजूद पता नहीं क्यों इसके लिए हायतौबा मची है।
हाईकोर्ट के सामने निदेशक ने कहा कि एम्स में बेडों की संख्या बढ़ा दी गई हैं। अन्य सरकारी अस्पतालों को बेडों की संख्या बढ़ानी चाहिए। न्यायमूर्ति चक्रधारी शरण सिंह तथा न्यायमूर्ति मोहित बने कुमार शाह की खण्डपीठ ने वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग से सुनवाई कर रहे थे। हाईकोर्ट ने कहा कि कोरोना की दूसरी लहर में ऑक्सीजन और दवाओं की कमी से मरीजों का मरना वाकई मानवाधिकार का उल्लंघन हैं। हाईकोर्ट ने मेदांता अस्पताल और राजेंद्र नगर स्थित नेत्र अस्पताल को जल्द से जल्द कोविड सेंटर के रूप में शुरू करने का आदेश राज्य सरकार को दिया। कोर्ट ने पटना सहित राज्य के तमाम डेडिकेटेड कोविड सेंटर, कोविड केयर सेंटर में ऑक्सीजन की कमी पूरी हुई या नहीं इस बारे में डिटेल रिपोर्ट राज्य सरकार से तलब की है।