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1st Bihar Published by: Updated Sun, 10 May 2020 04:54:38 PM IST
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PATNA : कोरोना वायरस ने बिहार सरकार की कमर तोड़कर रख दी है. कोरोना संकट के दौरान राजस्व संग्रह में भारी कमी हुई है. जिसके बाद बिहार की वित्तीय स्थिति लगातार बिगड़ रही है. आर्थिक स्थिति को देखते हुए बिहार के डिप्टी सीएम और वित्त मंत्री सुशील कुमार मोदी ने केंद्र सरकार के सामने गुहार लगाई है. बिहार सरकार ने केंद्र की तरफ से मिलने वाले अनुदान और केंद्र आज की राशि पहली तिमाही में ही जारी करने की मांग की है.
वित्त मंत्री सुशील कुमार मोदी ने केंद्रीय वित्त मंत्री ने श्रीमती निर्मला सीतारमण को एक पत्र लिखकर पंचायती राज संस्थाओं और शहरी निकायों को 15वें वित्त आयोग की अनुशंसा पर मिलने वाले लगभग साढ़े 7 हजार करोड़ के अनुदान के साथ-साथ विश्वविद्यालय शिक्षकों के वेतन पर होने वाले खर्च में केन्द्रांश की राशि पहली तिमाही में ही जारी करने की मांग की है.
केंद्रीय वित्त मंत्री को लिखे पत्र में सुशील मोदी ने कहा है कि 15वें वित्त आयोग की अनुशंसा पर बिहार को वर्ष 2020-21 के लिए पंचायती राज संस्थाओं पर खर्च के लिए 5018 करोड़ और शहरी निकायों को 2416 करोड़ का अनुदान मिला है. करोना महामारी को देखते हुए बिहार का राजस्व संग्रह कम हुआ है लिहाजा अगर केंद्र सरकार यह राशि पहली तिमाही में ही जारी कर देती है तो नल जल और गली-गली योजना के क्रियान्वयन में सुविधा होगी.
मोदी ने इसके साथ ही उन्होंने समग्र शिक्षा अभियान का केन्द्रांश भी जारी करने की मांग करते हुए कहा है कि इस राशि का बड़ा हिस्सा प्रतिमाह 833 करोड़ यानी पहली तिमाही में 2499 करोड़ रु. नियोजित शिक्षकों के वेतन भुगतान पर खर्च होगा. इस साल इस राशि में किसी प्रकार की कटौती नहीं करने का आग्रह करते हुए कहा है कि विगत वित्तीय वर्ष 2019-20 में 6,426 करोड़ केन्द्रांश के विरूद्ध मात्र 326.93 करोड़ ही प्राप्त हुआ था. राज्य के विश्वविद्यालय शिक्षकों के वेतन पर पहली तिमाही में 999 करोड़ व्यय होगा. सातवें वेतन आयोग की अनुशंसा पर विवि शिक्षकों के पुनरीक्षित वेतन मद में 767 करोड़ रु. विश्वविद्यालयों को दिया जा चुका है. यूजीसी की शर्तों के अनुसार इसका 50 प्रतिशत केन्द्र सरकार को वहन करना है. इसलिए विवि शिक्षकों के वेतन मद का केन्द्रांश केन्द्र सरकार तत्काल जारी करें.