DESK : बिहार में कोरोना मरीजों की पहचान के लिए हर रोज लगभग एक लाख रैपिड एंटीजेन टेस्ट किये जा रहे हैं. इस रैपिड टेस्ट के रिजल्ट को पहले से ही संदिग्ध माना जाता रहा है. अब नया शोध ये बता रहा है कि रैपिड एंटीजेन टेस्ट से बेहतर जांच को कुत्ते कर ले रहे है. वे एक मिनट मे सूंघ कर ये पता कर ले रहे हैं कि वह कोरोना पॉजिटिव है या नहीं.
अंतर्राष्ट्रीय स्तर के शोध से पता चला
कोरोना मरीजों की कुत्तों द्वारा पहचान पर अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर शोध हो रहा था. फ्रांस में हुए रिसर्च के बाद ये दावा किया गया है कि कुत्ते सूंघ कर कोरोना पॉजिटिव होने का पता लगा सकते हैं. इसका रिजल्ट आरटीपीसीआर टेस्ट की तरह सटीक हो सकता है. रिसर्च के मुताबिक कोरोना जांच के लिए ट्रेंड कुत्ते सूंघ कर 100 में 97 कोरोना मरीजों की पहचान कर सकते हैं. यानि उनके फेल होने का प्रतिशत सिर्फ तीन फीसदी है. वहीं वे 91 प्रतिशत निगेटिव मरीजों की सटीक पहचान कर लेते हैं.
मिनट भर में हो जायेगी पहचान
अब तक कोरोना टेस्टिंग की जो व्यवस्था है, उसमें RT-PCR जांच में काफी समय लगता है. वहीं रैपिड एंटीजेन जांच में भी कम से कम 15 मिनट का समय लगता है. लेकिन कुत्ते सूंघ कर एक मिनट में बता देंगे कि मामला पॉजिटिव है या निगेटिव. फ्रांस के पेरिस नेशनल वेटनरी स्कूल ऑफ एल्फोर्ड के शोधकर्ताओं ने बताया कि कोरोना से संक्रमित होने के बाद इंसानी शरीर से खास तरह का पसीना औऱ सलाइवा निकलता है. इसकी पहचान कुत्ते सूंघ कर कर लेंगे.
अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर हुए शोध में पता चला कि एक कुत्ता एक दिन में कोरोना के 300 मरीजों की पहचान कर लेगा. इसके लिए उसे किसी व्यक्ति के सीधे संपर्क में आने की जरूरत भी नहीं है. वह दूर से ही इसकी पहचान कर लेगा. विश्व स्वास्थ्य संगठन यानि WHO द्वारा बनाये गये टास्क फोर्स ने ये निष्कर्ष निकाला है.
भारत में भी कुत्तों की ट्रेनिंग शुरू
कुत्तों द्वारा सुंघ कर कोरोना मरीजों की पहचान करने की क्षमता का पता चलने के बाद भारत में भी उनके ट्रेनिंग का सिलसिला शुरू हो गया है. दिल्ली में सेना के प्रशिक्षण केंद्र में दस कुत्ते प्रशिक्षित किये जा चुके हैं. यदि ये प्रयोग सफल होता है तो बड़े पैमाने पर कुत्तों को प्रशिक्षण दिया जायेगा. उधर दुनिया के कई औऱ देशों में कुत्तों को ट्रेंड करने का काम तेज कर दिया गया है. फिनलैंड में हवाई अड्डे पर प्रशिक्षित कुत्ते तैनात कर दिये गये हैं जो कोरोना मरीजों की पहचान कर रहे हैं. वहीं, ब्रिटेन, रूस, यूएई, जर्मनी जैसे देशों में भी कुत्तों को प्रशिक्षित किया जा रहा है.