PATNA : भारत में आज यानी 16 जनवरी से कोरोना के खिलाफ टीकाकरण की प्रक्रिया शुरू हो चुकी है जिसमे सीरम इंस्टिट्यूट की कोविशिल्ड और भारत बायोटेक की कोवैक्सीन शामिल है. भारत में बने इन दो वैक्सीन से ही लोगों को वैक्सीनेट किया जायगा. इस दौरान प्रत्येक व्यक्ति को 14 दिनों के अंतराल पर दो वैक्सीन के शॉट दिए जायेंगे. ऐसे में हर व्यक्ति के मन में वैक्सीन से जुड़े कुछ सवाल है.
जिसमे सबसे महत्वपूर्ण सवाल ये है किआखिर कोरोना की वैक्सीन लगने के कितने दिनों तक किसी इंसान का शरीर इन्फेक्शन से बचा रहेगा जिसका मतलब हैं वैक्सीन से बनी शरीर में एंटीबॉडी कितने दिनों तक रहेगी .
आपको बतादें कि पिछले साल दिसम्बर में अमेरिका में मॉडर्ना और फाइजर-बायोएंडटेक की वैक्सीन लाखों लोगों को दी गई थी जिसके बाद सेंटर्स फॉर डिसीज कंट्रोल एंड प्रीवेंशन (सीडीसी) ने इन दोनों वैक्सीन का इफेक्टिवनेस रेट 95 प्रतिशत के आस-पास बताया था. लेकिन ये वैक्सीन कितनी प्रभावसाली है या कितने दिनों तक शरीर में एंटीबॉडी बनाने में सफल रही इस बात की अभी तक कोई पुष्टि नहीं की गई है.
हालाँकि इस मामले में एक्सपर्ट्स का कहना है कि आने वाले समय में ही इस बात की निश्चित तौर पर पुष्टि की जायेगी. वैसे ऑर्गन स्टेट यूनिवर्सिटी के डायरेक्टर ने ये दावा किया हैं कि कोरोना की वैक्सीन लगने के बाद शरीर में निश्चित समय तक इम्युनिटी बरकरार रहती है और हर साल कोरोना के बचाव के लिए इसे लगाना पड़ सकता है.
बात करें अगर कोविशिल्ड कि तो इसे ऑक्सफोर्ड-एस्ट्राजेनेका कि एडिनोवायरस वैक्सीन (कोविशील्ड) की सीरम इंस्टिट्यूट ऑफ इंडिया ने बनाया हैं. ऑक्सफोर्ड की इस वैक्सीन की असली मास्टरमाइंड प्रोफेसर सारा गिल्बर्ट हैं. एक स्टडी के आधार पर प्रोफेसर गिलबर्ट ने कहा कि वह लंबे समय तक इम्यूनिटी देखने के लिए काफी उत्सुक हैं साथ ही उनका ये भी दावा हैं कि इस वैक्सीन का असर कई सालों भी रह सकता है और यह नैचुरल तरीके से इम्यूनिटी डेवलप होने से बेहतर परिणाम भी दे सकता है.
इसके अलावा बात करें भारत बायोटेक द्वारा निर्मित 'कोवैक्सीन' की तो ये वेक्सीनेशन प्रोग्राम में इस्तेमाल होने वाली दूसरी वैक्सीन होगी. और अपने हालिया शोध पत्रों के आधार पर कंपनी ने ये दावा किया है कि कोविड-19 के खिलाफ कोवैक्सीन 6 महीने से लेकर एक साल तक एंटीबॉडी प्रोड्यूस करने में कारगर है.