DESK : विपक्ष को एकजुट करने के लिए तैयार हुआ इंडि गठबंधन अब बिखरता हुआ नजर आ रहा है। जिस तरह इस गठबंधन में शामिल दल एक - दूसरे पर आरोप - प्रत्यारोप कर रहे हैं उससे इसका भविष्य काफी उज्ज्वल नजर नहीं आ रहा है। ऐसे में केंद्र की सत्ता पर काबिज गठबंधन को आगामी लोकसभा चुनाव में रोकना इनके लिए काफी टेढ़ी खीर होने वाली है।
पहले इस विपक्षी एकजुटता वाली गठबंधन से इसकी नींव रखने वाले नीतीश कुमार अलग हुए और अब कांग्रेस और टीएमसी के बीच भी तल्खियां लगातार बढ़ती ही जा रही है। ऐसे में यह आपसी मनमुटाव विपक्ष के खेमे की चिंता लगातार बढ़ रही है। नेताओं का मानना है कि नीतीश कुमार के बाद ममता बनर्जी भी अगर गठबंधन से हटीं तो यह विपक्षी एकता के लिए बड़ा धक्का होगा। लिहाजा शरद पवार सहित कुछ अन्य नेता पर्दे के पीछे से इस कवायद में जुटे हैं कि गठबंधन में पड़ी दरार गहरी खाई का रूप न लेने पाए।
हाल ही में पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री टीएमसी नेता ममता बनर्जी की तरफ से कांग्रेस को सीधी चेतावनी दी गई थी। उसके बाद कांग्रेस की तरफ से जयराम रमेश ने जवाब दिया। टीएमसी प्रमुख ने कहा था कि मुझे शंका है कि अगर कांग्रेस 40 सीटें भी जीत पाएगी। उनकी इस टिप्पणी पर कांग्रेस महासचिव जयराम रमेश ने पटलवार करते हुए कहा कि ममता बनर्जी के मन में कोई संदेह नहीं होना चाहिए। ऐसे में अब ये रस्साकशी अधिक बढ़ी तो फिर किसी न किसी एक का नुकसान होना तय है।
वहीं, इस विपक्षी एकता वाली गठबंधन में शामिल दलों के एक नेता ने एक दैनिक अखबार के साथ बातचीत करते हुए यह जानकारी दी है कि- पहले ही यह तय हुआ था कि हम उन मुद्दों को चिह्नित करें जिन्हें लेकर साझा तरीके से बीजेपी को घेरा जाए। सीट बंटवारे को लेकर सहमति नहीं बनने पर कुछ सीटों पर दोस्ताना संघर्ष की सलाह भी बैठकों में दी गई थी। लेकिन नेताओं के निजी अहम और बिखरी हुई रणनीति से दरार बढ़ रही है। जो की आने वाले दिनों में बढ़ी नुकसानदेह हो सकती है।
उधर, सूत्र बतलाते हैं कि फिलहाल दोनों दलों की तल्खी कम होगी या इनके रास्ते अलग होंगे अगले कुछ दिनों में सबकुछ स्पष्ट हो जाएगा। लेकिन ममता ने सहयोगी दलों को साफ संकेत दिया है कि वे पश्चिम बंगाल में कांग्रेस को ज्यादा जगह देने को तैयार नहीं है। लिहाजा अगर कांग्रेस ममता की शर्तों पर तैयार होती है तो उसी सूरत में बात आगे बढ़ सकती है। हालांकि कांग्रेस का स्थानीय नेतृत्व ममता की शर्तों के पूरी तरह खिलाफ है। जबकि कांग्रेस आलाकमान भी चाहता है कि कोई भी समझौता सम्माजनक शर्तों पर ही होना चाहिए।