PATNA : BJP से दोस्ती के बावजूद बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार का दिल कांग्रेस के लिए क्यों मचलता है. बिहार विधान परिषद चुनाव में जेडीयू ने कांग्रेस के दरियादिली दिखा दी. ऐन वक्त पर नीतीश कुमार की पार्टी ने यू टर्न मार दिया और कांग्रेस के उम्मीदवार के विधान परिषद में पहुंचने का रास्ता साफ हो गया.
क्या है पूरा मामला
दरअसल बिहार विधान परिषद की 9 सीटों के लिए चुनाव हो रहे हैं. इसमें कांग्रेस ने नामांकन के आखिरी क्षणों में समीर कुमार सिंह को अपना उम्मीदवार बनाया. आनन-फानन में नामांकन पत्र भरने पहुंचे समीर कुमार सिंह के कागजात पूरे नहीं थे. फिर भी जैसे-तैसे उन्होंने 25 जून को नामांकन पत्र भर दिया.
जेडीयू ने मारा यू टर्न
जेडीयू के यू-टर्न का खेल कल यानि 26 जून को देखने को मिला. दरअसल किसी भी चुनाव में नामांकन के अगले दिन नामांकन पत्र की जांच की जाती है. इसमें सभी उम्मीदवार या उनके प्रतिनिधि मौजूद रहते हैं. उनके सामने चुनाव पदाधिकारी कागजातों की जांच करते हैं. कल जब बिहार विधान परिषद चुनाव के नामांकन पत्रों की जांच की जा रही थी तो जेडीयू ने कांग्रेसी उम्मीदवार समीर कुमार सिंह के नामांकन पत्र में गड़ब़ड़ी का आरोप लगाते हुए आपत्ति जता दी.
जेडीयू की आपत्ति के बाद समीर कुमार सिंह की उम्मीदवारी खतरे में पड़ गयी. नामांकन पत्र की जांच के दौरान जेडीयू के प्रतिनिधि और बिहार सरकार के मंत्री श्रवण कुमार ने कहा कि कांग्रेसी उम्मीदवार का नामांकन पत्र अधूरा तो है ही उसमें सही जानकारी भी नहीं दी गयी है. जेडीयू के विरोध के बाद मामला चुनाव आयोग के पास चला गया. चुनाव आयोग ने अपने ऑबजर्बर को मामले की जांच करने का निर्देश दे दिया. चर्चायें होने लगी कि कांग्रेस के उम्मीदवार समीर कुमार सिंह का नामांकन रद्द हो सकता है.
ऐसे बचे समीर कुमार सिंह
विधान परिषद चुनाव को लेकर चल रहे खेल का क्लाइमेक्स तो तब आया जब नामांकन पत्र की जांच का समय खत्म होने वाला था. अचानक से जेडीयू के प्रतिनिधि श्रवण कुमार निर्वाचन पदाधिकारी के पास पहुंचे और अपनी आपत्ति वापस लेने की घोषणा कर दी. जेडीयू ने कहा कि उसे समीर कुमार सिंह के नामांकन पत्र पर कोई आपत्ति नहीं है.
जेडीयू के यू टर्न के बाद समीर कुमार सिंह के खिलाफ मामला ही समाप्त हो गया. जब किसी दूसरे उम्मीदवार या पार्टी को समीर कुमार सिंह के कागजातों पर आपत्ति ही नहीं थी तो निर्वाचन पदाधिकारी ने उनका नामांकन पत्र स्वीकार करने का फैसला ले लिया. बिहार विधान परिषद के चुनाव में 9 सीटों के लिए 9 ही उम्मीदवार मैदान में रह गये हैं. लिहाजा कांग्रेस के समीर कुमार सिंह समेत सभी उम्मीदवारों के निर्विरोध निर्वाचन का रास्ता साफ हो गया. अब बस चुनाव आयोग के औपचारिक एलान का इंतजार किया जा रहा है. सोमवार को इस चुनाव में JDU-RJD के तीन-तीन, बीजेपी के दो और कांग्रेस के एक उम्मीदवार के निर्वाचित होने का औपचारिक एलान हो जायेगा.
कांग्रेस के लिए नीतीश का प्यार
सवाल ये उठ रहा है कि आखिरकार कांग्रेस के लिए नीतीश के इस प्यार का मतलब क्या है. जानकार बताते हैं कि नामांकन पत्र की जांच के दौरान जेडीयू के प्रतिनिधि श्रवण कुमार ने आपत्ति जतायी थी लेकिन बाद में उपर से निर्देश मिला कि कांग्रेस की राह में कोई रूकावट नहीं खड़ा करना है. सियासी जानकार मानते हैं कि नीतीश कुमार कांग्रेस से सीधी दुश्मनी मोलने के पक्षधर नहीं हैं. आम भाषणों में भी वे कांग्रेस के खिलाफ शायद ही कभी बोलते हैं. शायद नीतीश उस दिन की सोंच रहे हैं जब भाजपा से दोस्ती टूट जायेगी. तब कांग्रेस के दरवाजे बंद नहीं हों.