PATNA: बिहार विधानसभा में नेता प्रतिपक्ष विजय कुमार सिन्हा ने मुख्यमंत्री नीतीश कुमार से यह मांग की है कि वे अपने कैबिनेट और अपने आस-पास के पदाधिकारियों का ब्लड टेस्ट करवाएं। जिससे यह पता चल जाएगा कि कितने लोग शराब पीते हैं। विजय सिन्हा ने कहा कि नीतीश कुमार शराबबंदी के नाम पर पूरे बिहार के नायक नहीं बन सकते।
छपरा शराबकांड की जांच के लिए सरकार ने एसआईटी का गठन किया है। इस पर नेता प्रतिपक्ष विजय कुमार सिन्हा ने कहा कि ऐसा कर सिर्फ खानापूर्ति की जा रही है। जहरीली शराब पीने से 80 लोगों की मौतें हुई है। उनके परिजनों को अब तक मुआवजा नहीं मिल पाया है। पहले सरकार उनके आश्रितों को मुआवजा दें। मृतक के परिजनों के प्रति संवेदना प्रकट करें। क्योंकि ऐसा नहीं किया गया है जिससे पूरा देश मर्माहत है। इन तमाम विषयों को लेकर बुधवार को विधानसभा परिसर में विधानमंडल दल के लोग धरना पर बैठेंगे। सारे विधायक और विधान पार्षद कल विधानसभा परिसर में मौजूद रहेंगे। नीतीश कुमार ने भाजपा को नहीं पूरे बिहार को बर्बाद करने का संकल्प लिया है जिसे हम रोकने का काम करेंगे।
विजय सिन्हा ने कहा कि विधानसभा के अंदर राष्ट्रगान और राष्ट्रगीत शुरू किया गया। कल राष्ट्रगीत क्यों नहीं हुआ? हमलोगों ने मिलकर आपत्ति दर्ज कराया है। जिसकी भी गलती हुई उस पर कार्रवाई की जाए। राष्ट्रगीत-राष्ट्रगान का अपमान कतई स्वीकार नहीं होगा। सत्ता के लिए राष्ट्रीय एकता और अखंडता को चुनौती देने वाले लोग मां भारती को कतई स्वीकार नहीं है। इस मानसिकता का हम घोर विरोध करेंगे। हमलोग तो हर कार्यक्रम में जहां जाते हैं प्रयास रहता है कि राष्ट्रगान से कार्यक्रम शुरू हो और राष्ट्रगीत से इसका समापन हो। हर संवैधानिक पद पर बैठे लोग इसके माध्यम से हमारे युवा पीढी के मन के अंदर एक राष्ट्रबोध की प्रेरणा प्रदान करे।
इसे लेकर हम कल विधानसभा परिसर में विरोध करेंगे। धरना का कार्यक्रम विधानमंडल की ओर से किया जाएगा। 11 से 1 बजे तक हमलोग वहां बैठेंगे। शीतकालीन सत्र के समापन कल हुआ बड़ा ही काला दिवस के रूप में कल का दिन माना जाएगा। विधायिका को कमजोर करने का मुख्यमंत्री की जो प्रवृति है पूरे पांच दिन के शीतकालीन सत्र में दिखाई पड़ा। नेता प्रतिपक्ष की आवाज को दबाने की कोशिश की गयी। विधायकों को अपमानित करने अमर्यादित भाषा का प्रयोग किया गया। विधानसभा के आसन को सत्ता में बैठे लोग प्रभावित कर रहे थे। विधानसभा अध्यक्ष सरकार के प्रवक्ता के रूप में काम कर रहे थे। इससे आसन की गरिमा घटी है। आसन पर विश्वास बरकरार रखना और मर्यादा का पालन करना आसन पर बैठे लोगों की जिम्मेदारी है।
विजय सिन्हा ने कहा कि आसन पर बैठे लोग पार्टी से ऊपर होते है सरकार से हटकर पक्ष प्रतिपक्ष दोनों का संरक्षक होते है लेकिन पांच दिनों के विधानसभा सत्र में इसकी कमी दिखाई दी। पूरे सत्र में प्रतिपक्ष का एक भी ध्यानाकर्षण नहीं लेना कार्यस्थगन को सुना नहीं गया हंगामा के बाद कार्य मंत्रणा समिति की बैठक नहीं बुलायी गयी। मुख्य सचेतक का कार्यालय सत्ताधारी दल के एक सचेतक को दे किया। हमेशा नेता प्रतिपक्ष के सामने मुख्य सचेतक होता है। यह बहुत ही गलत वातावरण बनाया गया।
उन्होंने कहा कि उपमुख्यमंत्री के लिए कई कमरों को तोड़कर मॉर्डन कार्यालय बनाया। परंपरा और नियम को तोड़कर हमारे उपमुख्यमंत्री जिस कार्यालय में बैठते थे उसे बाथरुम बना दिया। नीतीश जी ने कुर्सी के लिए कई समझौते किये। कुर्सी के लिए नियम से हटकर क्या क्या समझौता कर रहे हैं। मुख्यमंत्री सिर्फ कहलाने के लिए नीतीश कुमार है लेकिन सत्ता पर कमान उपमुख्यमंत्री का है। बार बार उत्तराधिकारी उन्हें घोषित किया जा रहा है। विधानसभा की गरिमा को गिराने का काम कर रहे हैं। विधानसभा पर किसी सीएम डिप्टी सीएम का अधिकार नहीं होता है। किसी सरकार और दल का विधानसभा नहीं होता है। पक्ष और प्रतिपक्ष के संरक्षक अध्यक्ष होते हैं। दोनों कामान बराबर है लोकतंत्र के दोों आंखें है। अध्यक्ष ने आसन का नया इतिहास बनाया है। नियम संविधान और मर्यादा का पालन कौन लोग कर रहे हैं यह सभी ने देखा।