DELHI: दिल्ली शराब नीति केस में मनी लॉन्ड्रिंग के मामले में गिरफ्तार मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल को एक और झटका लगा है। कोर्ट ने सीएम केजरीवाल की उस याचिका को खारिज कर दी है, जिसमें उन्होंने शुगर लेबल बढ़ने की बात कहकर निजी डॉक्टर से वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग के जरिए परामर्श करने की इजाजत देने की मांग की थी। कोर्ट ने केजरीवाल की मांग को खारिज कर दिया है।
राउज एवेन्यू कोर्ट की स्पेशल जज कावेरी बावेजा ने केजरीवाल को इंसुलिन देने या नहीं देने के लिए तिहाड़ जेल को एम्स के डॉक्टरों की देखरेख में मेडिकल बोर्ड गठन करने का निर्देश दिया है। कोर्ट ने कहा है कि अगर अरविंद केजरीवाल को जेल में स्पेशल कंसल्टेशन की जरुरत है तो तिहाड़ जेल के अधिकारी एम्स के निदेशक द्वारा गठित मेडिकल बोर्ड से परामर्श करें। उनको इंसुलिन दिए जाने के बारे में मेडिकल बोर्ड फैसला लेगा। केजरीवाल को तिहाड़ जेल में घर का खाना जारी रहेगा लेकिन मेडिकल बोर्ड केजरीवाल के लिए डाइट और खाने के प्लान निर्धारित करेगा।
बता दें कि सीएम केजरीवाल ने अपने डॉक्टर से वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग के जरिए परामर्श लेने की इच्छा जताई थी। उन्होंने तिहाड़ जेल प्रशासन को शुगर लेबल बढ़ने और इंसुलिन नहीं मिलने को लेकर पत्र लिखा था। केजरीवाल ने जेल प्रशासन को लिखा कि जेल प्रशासन ने कहा था कि केजरीवाल ने इंसुलिन का मुद्दा कभी नहीं उठाया, जो पूरी तरह से झूठ है। पिछले 10 दिन से यह मुद्दा उठा रहा हूं। जब भी डॉक्टर आए तो कहा कि मेरा शुगर लेबल बढ़ा हुआ है। हर रोज इंसुलिन की मांग की लेकिन जेल प्रशासन झूठा बयान कैसे दे सकता है कि केजरीवाल ने कभी इंसुलिन की मांग नहीं की।
इससे पहले इसी मामले में ईडी ने कोर्ट में जवाब दाखिल किया था। जिसमें ईडी के वकील जुहैब हुसैन ने कोर्ट को बताया कि अरविंद केजरीवाल का शुगर लेबल बढ़ने की वजह उनके घर से आने वाला खाना है। ईडी ने दावा किया था कि केजरीवाल को जो खाना दिया जा रहा है, उसमें आलू, पुरी, आम, मिठाई और अन्य मीठी चीजें दी जा रही हैं और इसे मेडिकल के आधार पर बेल लेने के लिए केजरीवाल की तरफ से आधार बनाया जा रहा है। जिसके बाद राउज एवेन्यू कोर्ट ने जेल प्रबंधन से केजरीवाल की डाइट चार्ट मांगी थी।