PATNA: बिहार विधानसभा चुनाव से पहले दलितों पर सूबे की सियासत गरमा गयी है। सत्ताधारी जेडीयू ने अपने दलित मंत्रियों, नेताओं और विधायकों को मैदान में उतार दिया है। आज मंत्री अशोक चैधरी के आवास पर 6 सितम्बर को होने वाली सीएम नीतीश कुमार की वर्चुअल रैली को लेकर एससी-एसटी विधायकों की एक बैठक आयोजित की गयी। बैठक को लेकर मंत्री अशोक चैधरी ने कहा कि हमारी पार्टी के दलित सांसदों-मंत्रियों, विधायकों, पूर्व सांसदों-विधायकों और पार्टी के पदाधिकारियों को इस बैठक में बुलाया गया है क्योंकि हमारी नैतिक जवाबदेही है कि नीतीश कुमार 15 वर्षों में ने हमारे समाज को आर्थिक, सामाजिक और राजनीतिक रूप से सबल बनाने का काम किया है।
लोकतंत्र में सबसे बड़ा पर्व चुनाव होता है। हमारे समाज को कोई दिगभम्रित न करें इसके लिए हम रणनीति बना रहे हैं कि सीएम नीतीश कुमार ने जो काम हमारे समाज के लिए किया है उसको जनता तक पहुंचाएं। वर्चुअल रैली को लेकर भी बैठक में चर्चा हो रही है। वहीं सरकार के एक और मंत्री महेश्वर हजारी ने कहा कि हमारे नेता नीतीश कुमार ने दलगत भावना से उठकर काम किया है।
भीमराव अंबेडकर के सिद्धांत पर चलते हुए उन्होंने नीति और नैतिकता बचाकर रखी है। दलित समाज के व्यक्ति को मुख्यमंत्री बनाया था नीतीश ने। देश के किसी नेता ने ऐसा नहीं किया होगा। नीतीश ने पंचायती राज, नगर निकाय में आरक्षण दिया जिसकी वजह से दलित समाज के लोग महत्वपूर्ण पदों पर बैठे हुए हैं। इस बैठक में शामिल जेडीयू नेताओं ने दावा किया कि एक बार फिर बिहार में एनडीए सरकार बनेगी।