HAJIPUR : देश में 2024 में लोकसभा का चुनाव होना है। इसको लेकर देश की तमाम राजनीतिक पार्टियां भविष्य में रणनीति बनानी शुरू कर चुकी है। पार्टी में अंदर ही अंदर यात्रा कर रखा है कि कौन से विधानसभा सीट पर किस उम्मीदवार को टिकट देना है। इसी बीच बिहार के हाजीपुर को लेकर लोजपा(रामविलास)और लोजपा(पारस) के अंदर ही उथल-पुथल मची हुई है। जहां पशुपति पारस इस सीट पर अपना दावा थोक रहे हैं तो वहीं रामविलास पासवान के बेटे चिराग पासवान भी इस सीट को लेकर अंदर ही अंदर तैयारी कर रहे हैं। इसी कड़ी में अब पशुपति पारस ने कहा है कि - हाजीपुर के लोगो का आशीर्वाद मेरे साथ है। यहां के लोगों ने ही मुझे मंत्री बनवाया है।
लोजपा (पारस ) के राष्ट्रीय अध्यक्ष पशुपति पारस ने कहा कि - हाजीपुर सांसद पहले मेरे बड़े भाई साहब थे। जब वो राज्यसभा के मेंबर हो गए और लोकसभा का चुनाव हुआ तो उन्होंने मुझको अधिकृत किया। मैं उस समय बिहार सरकार का मंत्री था। लेकिन उन्होंने कहा कि, पारस हाजीपुर हमारी मां है, हमारा कर्म भूमि है। हम अब नहीं रहेंगे हमारी अनुपस्थिति में हाजीपुर की जनता का सेवा करना। उसी संकल्प के साथ में हाजीपुर से चुनाव लड़ा और हाजीपुर की जनता ने मुझे अपना आशीर्वाद दिया।
वहीं, जब पारस से यह सवाल किया गया कि हाजीपुर सीट को लेकर चिराग पासवान भी अपना दावा ठोक रहे हैं वो कह रह हैं कि यह सीट उनके पापा रामविलास पासवान की सीट रही है। यहां की जनता ने उनको अपार प्रेम दिया है अब वो लोग मुझे अपने बेटे की तरह आशीर्वाद देंगे। इसके जवाब में पारस ने कहा कि - मुझे इस विषय पर कोई भी कमेंट नहीं करना है। बस हाजीपुर की जनता ने मुझे पहली बार के लोकसभा चुनाव में जीत दिलवाया और उनके ही आशीर्वाद से मंत्री बना हूं, आगे भी उनका आशीर्वाद मेरे साथ रहेगा।
मालूम हो कि, बिहार में लोकसभा की 6 आरक्षित सीट है। जिसमें हाजीपुर, जमुई और समस्तीपुर सीट पर रामविलास पासवान के परिवार वालों का कब्ज़ा है। फिलहाल पशुपति पारस हाजीपुर से सांसद है और भाजपा में शामिल होकर केंद्र में मंत्री है। लेकिन, यह भी कहा जा रहा है कि इस सीट को लेकर चिराग पासवान भी एनडीए के संपर्क में हैं और सीट शेयरिंग के फार्मूले में चिराग अपने पिता की परम्परागत सीट हाजीपुर की मांग पर अड़े है।
आपको बताते चलें कि, चिराग ने जंहा सीधे सीधे चाचा की संसदीय सीट पर ही निशाना साध लिया है तो चाचा पशुपति पारस भी भतीजे चिराग के लिए यह सीट छोड़ने में मूड में नहीं दिख रहे हैं। अंतिम पायदान पर पहुंचे इस पोलिटिकल लड़ाई के बाद एक बात तो साफ़ है की लोजपा के दोनों गुटों में आपसी मनमुटाव के साथ ही लोकसभा सीट को लेकर काफी बहस होनी बानी है।