PATNA : नगर निगम और बुडको की छोटी मछलियों पर दिखावटी कार्रवाई कर नीतीश कुमार ने पटना में हुई भीषण तबाही को रफा दफा कर दिया. नगर निगम, बुडको और आपदा प्रबंधन विभाग में तैनात किसी बड़े अधिकारी पर कोई कार्रवाई नहीं हुई. ये वही लोग थे जो पटना के डूबने के समय घरों में सोये पडे थे. लेकिन ऐसे सारे अधिकारियों की तैनाती नीतीश कुमार की पसंद से हुई थी, लिहाजा न उन पर कोई कार्रवाई होनी थी और न हुई.
छोटी मछलियों पर कार्रवाई का दिखावा
पटना में हुई तबाही पर नीतीश कुमार की बहुप्रचारित बैठक ने खोदा पहाड़-निकला चुहिया वाली कहावत को सही साबित कर दिया. कार्रवाई के नाम पर सरकार ने सिर्फ 6 सफाई निरीक्षक को सस्पेंड किया. कई छोटे अधिकारियों को शो कॉज नोटिस जारी किया गया है. देखिये क्या था पटना की तबाही के वक्त मंजर और क्या हुई कार्रवाई
-पटना में जल निकासी के लिए 39 संप हाउस बुडको चलाता है. पटना जब डूब रहा था तो दो दिनों तक बुडको के सारे संप हाउस बंद थे. सरकार ने बुडको के एक चीफ इंजीनियर, दो अधीक्षण अभियंता, 8 कार्यपालक अभियंता, एक सहायक अभियंता को सिर्फ शो कॉज नोटिस जारी किया है.
-हास्पास्पद बात ये है कि बुडको के एक कार्यपालक अभियंता का ट्रांसफर कर कार्रवाई की बात कही जा रही है. सरकार ही कई दफे कह चुकी है कि ट्रांसफर कोई सजा नहीं होता
- बुडको के प्रबंध निदेशक पर सबसे ज्यादा आरोप लगे. लेकिन प्रबंध निदेशक की पोस्टिंग सीधे सीएम हाउस से हुई है. लिहाजा उन पर न कार्रवाई होनी थी और न हुई.
-पटना में बारिश के समय सारे नाले जाम थे. नगर निगम के 10 संप हाउस में से 8 बंद थे. नगर निगम में डीवाटरिंग मशीन था लेकिन उसका पाइप नहीं था जिससे वो काम कर पाता. जल निकासी के दूसरे उपकरण भी कबाडखाने में पड़े थे.
-तबाही के लिए मूल रूप से जिम्मेवार पटना के नगर आयुक्त को माना जा रहा है. लेकिन नगर आयुक्त की पोस्टिंग भी सीधे सीएम आवास से हुई लिहाजा उनका बाल बांका नहीं हुआ.
-नगर निगम पर सरकार ने हास्यास्पद कार्रवाई की है. गली मुहल्ले की सफाई कराने वाले 6 सफाई निरीक्षक को सस्पेंड किया गया है. इसके अलावा कंकडबाग और बाकीपुर अंचल के कार्यपालक पदाधिकारी, सिटी मैनेजर, मुख्य सफाई निरीक्षक के साथ साथ 22 छोटे कर्मचारियों को शॉ कॉज नोटिस भेजा गया है.
-मौसम विभाग कागजात जारी कर चुका है कि उसने 19 सितंबर को पटना में भीषणतम बारिश की जानकारी राज्य सरकार के आपदा प्रबंधन विभाग के साथ साथ पटना के जिलाधिकारी को दे दी थी. मौसम विभाग लगातार अलर्ट देता रहा. वाहन चेकिंग के लिए सड़क पर दौडने वाले पटना के कमिश्नर, डीएम के साथ साथ पूरा आपदा प्रबंधन विभाग आराम से सोता रहा. लेकिन ये तमाम अधिकारी सीधे सीएम की पसंद बताये जाते हैं. सरकार ने उनकी ओर देखा तक नहीं.
रफा-दफा हो गयी तबाही की कहानी
पटना में पानी की तबाही ने कम से कम 10 हजार करोड़ का नुकसान पहुंचाया. 1 लाख से ज्यादा परिवारों को भारी क्षति हुई. सरकार ने 6 सफाई निरीक्षकों पर कार्रवाई कर इस तबाही की दास्तां को खत्म कर दिया.