PATNA: बिहार में एक बार फिर चंद्रशेखर प्रकरण को लेकर सिसायत गर्म हो गई है। होली की छुट्टी के बाद सोमवार को विधानसभा की कार्यवाही शुरू होने के साथ ही सदन में विपक्ष का हंगामा भी शुरू हो गया। भोजनावकाश के बाद जब दूसरी पाली की कार्यवाही शुरू हुई तो रही सही कसर शिक्षा मंत्री चंद्रशेखर ने पूरी कर दी। शिक्षा मंत्री को सदन के भीतर आज बजट पर भाषण देना था। चंद्रशेखर सदन के भीतर रामचरितमानस समेत अन्य धार्मिक ग्रंथ लेकर पहुंचे थे और बजट पर चर्चा करने के बजाए राचरितमानस के श्लोक पढ़ने लगे और अपने विवादित बयानो को सही बताने लगे। जिसके बाद सदन में जोरदार हंगामा हुआ और बीजेपी के विधायक सदन से बाहर निकल गए। अब बीजेपी ने मुख्यमंत्री नीतीश कुमार से शिक्षा मंत्री चंद्रशेखर की बर्खास्तगी की मांग कर दी है।
शिक्षा मंत्री चंद्रशेखर के बयानों पर भड़के नेता प्रतिपक्ष विजय कुमार सिन्हा ने कहा है कि चंद्रशेखर ने अपने पद और गोपनीयता का उल्लंघन किया है। शिक्षा मंत्री के रूप में चंद्रशेखर के भाषण का कोई महत्व नहीं है और ऐसे मंत्री को तुरंत बर्खास्त किया जाना चाहिए। मुख्यमंत्री नीतीश कुमार के मना करने के बाद भी चंद्रशेखर बार बार सांस्कृतिक विरासत पर हमला बोल रहे हैं। रामचरितमानस को लेकर बिहार के शिक्षा मंत्री बार बार अपने बयान को दोहरा रहे हैं। कहीं न कहीं चंद्रशेखर मुख्यमंत्री नीतीश कुमार का ही अपमान कर रहे हैं। चंद्रशेखर जैसे गैर संवैधानिक व्यक्ति को पद पर बनाए रखना बिहार के लिए दुर्भाग्यपूर्ण है। मुख्यमंत्री को चाहिए कि वे हर हाल में चंद्रशेखर से इस्तीफा लें।
वहीं तमिलनाडु मामले को लेकर तेजस्वी यादव के यह कहने पर कि इसमें बीजेपी के लोग शामिल हैं, इसपर नेता प्रतिपक्ष ने कहा कि तेजस्वी जब नेता प्रतिपक्ष हुआ करते थे तो बिहारी मजदूरों के बारे में क्या-क्या बोलते रहते थे लेकिन आज सत्ता में बने रहने के लिए बिहार के मजदूरों की आवाज को दबाया जा रहा है। जिन दो लोगों की लाश रेलवे ट्रैक पर मिली सरकार उसकी जांच क्यों नहीं करा रही है। बिहार के लोगों के अपमान को दबाकर सरकार गर्व क्यों महसूस कर रही है। बिहार के लोगों की अस्मिता के साथ खिलवाड़ बीजेपी कभी भी बर्दाश्त नहीं करेगी।
उन्होंने कहा कि आरजेडी के लोग सत्ता पाने के लिए किसी हद तक नीचे गिर सकते हैं। इस मामले में जब मुख्यमंत्री ने अपनी गंभीरता दिखाई तो डिप्टी सीएम सदन को बरगलाने का काम करने लगे। मीडिया इसको लेकर आवाज उठा रही है तो उसकी आवाज को दबाने की कोशिश की जा रही है। बीजेपी ने आशंका व्यक्त की थी जिसकी जांच कराने की जिम्मेवारी सरकार की थी। सरकार ने जांच कमेटी भेजी, ये अफवाह नहीं था। तेजस्वी यादव को इस पूरे मामले पर खेद व्यक्त करना चाहिए कि उनके निकम्मेपन के कारण आज बिहार के युवा और बेरोजगार लोग पलायन करने को विवश हो रहे हैं।