बोचहां उपचुनाव: मुकेश सहनी नहीं मंत्री रामसूरत राय ने BJP को डूबो दिया, सबसे पुराने वोट बैंक भूमिहारों ने छोड़ दिया साथ

बोचहां उपचुनाव: मुकेश सहनी नहीं मंत्री रामसूरत राय ने BJP को डूबो दिया, सबसे पुराने वोट बैंक भूमिहारों ने छोड़ दिया साथ

PATNA: 12 अप्रैल को जब बोचहां उप चुनाव के लिए वोटिंग हो रही थी तो फर्स्ट बिहार की टीम भूमिहारों के गढ़ माने जाने वाले खबड़ा गांव के बूथ पर थी. वोट देकर बाहर निकले एक युवक से हमारी टीम ने पूछा-किसे वोट दिया. सीधा जवाब मिला-लालटेन को. ये हैरान कर देने वाला वाकया था. 1990 के बाद खबड़ा जैसे भूमिहार बहुल गांवों में लालटेन का नाम सुनते ही तूफान मचता था. लेकिन 2022 में उसी गांव में लालटेन जल रहा था. वोटिंग के दिन खबड़ा से लेकर शेरपुर जैसे भूमिहारों के कई गावों में हमारी टीम ने जो नजारा देखा, उससे साफ था जिस वोट बैंक ने पिछले 42 साल से भाजपा का साथ कभी नहीं छोड़ा था वह हाथ से निकल गया है.


मंत्री रामसूरत राय ने भाजपा को डूबो दिया

बोचहां विधानसभा सीट का रिजल्ट आ गया है. राजद उम्मीदवार अमर पासवान उतने वोट से जीते हैं, उसकी कल्पना उन्होंने खुद या उनकी पार्टी के बड़े नेताओं ने भी नहीं की होगी. इस बीच मुकेश सहनी की पार्टी के नेताओं के दावे भी सामने आ रहे हैं. मुकेश सहनी कह रहे हैं-बीजेपी हमारे कारण हारी. लेकिन सच से कोसो दूर है. मुकेश सहनी ने इस सीट से 9 दफे विधायक रह चुके रमई राम की बेटी गीता देवी को टिकट दिया था. रमई का बोचहां क्षेत्र पर अपनी मजबूत पकड़ रही है. लिहाजा गीता देवी को वोट मिले. लेकिन अगर वीआईपी पार्टी को मिले सारे वोटों को बीजेपी उम्मीदवार के वोटों में जोड़ भी दिया जाये तो भी राजद उम्मीदवार जीत जायेंगे. यानि रमई राम के भरोसे मुकेश सहनी ने बीजेपी को थोड़ा डैमेज जरूर कर दिया हो, वे भाजपा के हारने का कारण नहीं बने. फर्स्ट बिहार की टीम को बोचहां उप चुनाव में वोटिंग के दिन कई बूथों पर भाजपा की हार के कारण साफ साफ दिखे. 


दरअसल, बोचहां विधानसभा उप चुनाव में बीजेपी के खिलाफ जबरदस्त आक्रोश के सबसे बड़े कारण बने मंत्री रामसूरत राय. 12 अप्रैल को वोटिंग के दिन भूमिहारों के गांव शेरपुर के बूथ पर वोट देकर निकले रोहित ने हमारी टीम से कहा- “ई मंत्री रामसूरत राय चुन-चुन कर भूमिहारों को गाली देता है. औराई में हमारे वोट से ही जीतता है और हमारे समाज को ही गाली देता है. कभी सुरेश शर्मा को गाली, कभी अमर पांडेय को गाली. और तो और स्वर्ग सिधार चुके रघुनाथ पांडेय तक को अपशब्द बोलता है. हमारे वोट से भाजपा जीते और हम ही गाली सुने. अब ये सब नहीं चलेगा.”


भूमिहारों की नाराजगी पड़ी भारी

दरअसल बोचहां विधानसभा क्षेत्र में सबसे ज्यादा वोट भूमिहारों के ही हैं. 100 परसेंट भाजपा का वोट बैंक माने जाने वाले इस जाति के लोगों ने इस बार बीजेपी को सिरे से खारिज कर दिया. बोचहां में जब भाजपा के नेता चुनाव प्रचार करने जा रहे थे तो इसका अंदाजा हो गया था. लिहाजा भूमिहारों को मनाने के लिए हर कोशिश की गयी. भाजपा के दुर्दिन के दौर में पार्टी को अपने संसाधनों से चलाने वाले पूर्व मंत्री सुरेश शर्मा को पार्टी ने सिरे से रिजेक्ट कर दिया था. बोचहां उपचुनाव से भाजपा का कोई बड़ा नेता उनसे बात करने तक को तैयार नहीं था. लेकिन उप चुनाव आया तो प्रदेश अध्यक्ष संजय जायसवाल उनके दरवाजे पर पहुंच गये. बिहार के डिप्टी सीएम तारकिशोर प्रसाद बोचहां के जमींदार रहे चुन्नू बाबू के घर हाजिरी बजा आये. लेकिन रामसूरत राय जो डैमेज कर गये थे, उसे भर नहीं पाये.


बोचहां नहीं बल्कि पूरे मुजफ्फरपुर के भूमिहारों की आम शिकायत है कि मंत्री रामसूरत राय सरेआम भूमिहारों को गाली देते हैं. वे मीडिया में बयान देकर भूमिहारों के नेताओं को जलील करते हैं. मुजफ्फपुर के विधायक और पूर्व मंत्री रहे सुरेश शर्मा ने जब शहर के ड्रेनेज सिस्टम को ठीक करने के लिए मुहिम छेड़ी तो रामसूरत राय ने उनका जमकर विरोध किया. उन्होंने मीडिया में बयान देकर सुरेश शर्मा को अज्ञानी करार दिया. लंबे समय से भाजपा के एक भूमिहार कार्यकर्ता ने कहा-जब राजद का शासन था तो रामसूरत राय औऱ उनके पिता अर्जुन राय ने लालू यादव का दूत बनकर कितना छाली काटी ये सबको पता है. अब वे बीजेपी भी चलायेंगे और हमें ही जलील करेंगे. ऐसा नहीं होने वाला. भाजपा के उस कार्यकर्ता ने बताया-हम ये भी समझते हैं कि रामसूरत राय अपने दम पर नहीं बोल रहे हैं. उनको बीजेपी में कहां से ताकत मिल रही है ये सबको पता है. अभी तो शुरूआत हुई है 2024 और 2025 में असली जवाब मिल जायेगा. 


भ्रष्टाचार भी रहा बड़ा मुद्दा

बोचहां में भाजपा की हार के लिए मंत्री रामसूरत राय के बयान ही नहीं बल्कि उनके विभाग में फैला भ्रष्टाचार बड़ा मुद्दा रहा. दरअसल बोचहां विधानसभा क्षेत्र मुजफ्फरपुर शहर से ठीक सटा हुआ है. इस क्षेत्र का बड़ा हिस्सा तो मुजफ्फरपुर शहर का हिस्सा है. लिहाजा वहां की जमीन बेशकीमती है. खरीद बिक्री भी जमकर होती है. लेकिन जमीन के दाखिल खारिज से लेकर दूसरे काम में राजस्व और भूमि सुधार विभाग की करतूत से लोगों में भारी नाराजगी है. शहर से सटे भिखनपुरा के सुधीर सिंह ने फर्स्ट बिहार को बताया कि डीएसएलआर और सीओ ही नहीं बल्कि एक राजस्व कर्मचारी भी डायरेक्ट रामसूरत राय से कॉन्टेक्ट में रहता है. सुधीर सिंह ने कहा-जमीन के एक मामूली काम के लिए राजस्व कर्मचारी ने इतना पैसा मांगा कि मैं हैरान रह गया. पता चला कि वह राजस्व कर्मचारी हर रोज मंत्री के घऱ पर हाजिरी लगाता है. भला कोई मंत्री अपने क्षेत्र में ऐसा काम करेगा. 


बीजेपी के लिए बड़ा खतरा सामने

बात सिर्फ बोचहां उप चुनाव के परिणाम की नहीं है. इस चुनाव परिणाम ने बीजेपी के भीषण संकट खड़ा कर दिया है. 11 विधानसभा सीट और दो लोकसभा सीट वाले मुजफ्फरपुर में बीजेपी का सबसे बड़ा वोट बैंक दरक गया है. भाजपा के अपने ही मंत्री रामसूरत राय ने वह काम कर दिया है जो दूसरी पार्टियां बहुत कोशिश करके भी नहीं कर पायी थीं. 1990 के बाद से कम से कम मुजफ्फरपुर जिले में भूमिहारों का कमोबेश पूरा वोट बीजेपी को ही मिलता आया है. लालू के जिस लालटेन से इस जाति को सबसे ज्यादा एलर्जी थी, वह खत्म हो गया है. अगर यही ट्रेंड रहा तो फिर 2024 के लोकसभा चुनाव में क्या होगा, इसे बीजेपी के नेता समझते हैं.


कई जिलों पर पड़ सकता है असर

भाजपा से भूमिहारों की नाराजगी का असर सिर्फ मुजफ्फरपुर जिले पर पड़ने वाला नहीं है. मुजफ्फरपुर के साथ सीतामढी और वैशाली जिले जुड़े रहे हैं. किसी एक जिले से चलने वाली सियासी हवा तीनों जिलों पर असर डालती है. मुजफ्फरपुर का असर समस्तीपुर के भी बड़े हिस्से पर पड़ता है. बीजेपी समझ रही होगी कि उसका सबसे बड़ा वोट बैंक नाराज है तो कितना नुकसान उठाना पड़ सकता है.