PATNA: लोकसभा में दिल्ली संसोधन विधेयक पर चर्चा के दौरान जेडीयू अध्यक्ष ललन सिंह और गृहमंत्री अमित शाह के बीच हुए हॉट टॉक को लेकर बिहार की सियासत गर्म हो गई है। बीजेपी नेता ललन सिंह के ऊपर हमलावर बने हुए है।जेडीयू के पूर्व अध्यक्ष और पूर्व केंद्रीय मंत्री आरसीपी सिंह ने ललन सिंह को आईना दिखाया है। आरसीपी सिंह ने कहा है कि ललन सिंह को बीजेपी ने पहचान दिलाई और वे भूल गए हैं कि एनडीए के वोट से सांसद बने हैं।
आरसीपी सिंह ने कहा है कि सांसद के रूप में आज ललन सिंह को जो पहचान मिली है वह बीजेपी ने दिलाई है। ललन सिंह किस पार्टी के वोट और समर्थन से आज सांसद बने हुए हैं, यह हर कोई जानता है। ये लोग जो कहते हैं तो कहने के पहले थोड़ा सोंचा करें। मुंगेर में जितने भी एनडीए के समर्थक थे उन्होंने वोट दिया तो ललन सिंह जीत पाए। उन्होंने ललन सिंह को नसीहत दी कि वे जो भाषा बोल रहे हैं उसे 2024 के चुनाव के बाद बोलकर दिखाएं। ललन सिंह एनडीए के वोट से सासंद बने हैं ऐसे में उनके मुंह से इस तरह की भाषा शोभा नहीं देती है।
वहीं भागलपुर में बीजेपी नेताओं के ऊपर पुलिस के द्वारा की गई बर्बरता पर आरसीपी ने कहा कि बिहार में शासन और प्रशासन पूरी तरह से खत्म हो गया है। अपराधी सड़कों पर गोली चला रहे हैं और बैंक लूट रहे हैं। बीजेपी के नेता और कार्यकर्ता जब विधानसभा मार्च कर रहे थे तो बर्बरता पूर्वक लाठी चार्ज किया गया। उन्होंने कहा कि लाठीचार्ज में बीजेपी नेता की मौत हो गई और कई कार्यकर्ता घायल हो गए थे। सांसद तक को नहीं छोड़ा गया। कटिहार में बिजली की मांग कर रहे लोगों को गोली मारी गई।
आरसीपी ने कहा कि सरकार का अपने अधिकारियों पर कोई नियंत्रण नहीं है और जिले के लोकल पदाधिकारी वहां के नेताओं के प्रभाव में आकर काम कर रहे हैं। बिहार में कानून व्यवस्था ध्वस्त होने का यह भी एक कारण है। कानून व्यवस्था में चार लोग होते हैं। एक गृहमंत्री जो खुद मुख्यमंत्री नीतीश कुमार है, दूसरे बिहार के डीजीपी, तीसरे जिले के एसपी और चौथे थानेदार होते हैं। मुख्यमंत्री किसी तरह का निर्देश डीजीपी को नहीं दे रहे हैं वहीं बिहार के डीजीपी किसी भी एसपी से बात नहीं करते हैं और जब कोई डीजीपी एसपी से बात नहीं करेगा तो अपराध की घटनाएं बढ़ेंगी।
उन्होंने कहा कि बिहार में जब 2005 से 2010 तक एनडीए की सरकार बनी थी तब हर दिन कानून व्यवस्था की मॉनिटरिंग होती थी। उस वक्त इस तरह की घटनाएं कहां होती थी लेकिन अब बिहार में पूरा शासन फ्लॉप हो चुका है। मुख्यमंत्री का इकबाल खत्म हो चुका है। जिसका खामियाजा पूरे बिहार के लोगों को झेलना पड़ रहा है। सीएम अपना गुस्सा कहीं और नहीं निकाल सकते हैं तो जितने भी बीजेपी के कार्यकर्ता हैं उनके ऊपर निकालते हैं।बिहार की जनता सब देख रही है और चुनाव में इसका हिसाब लेगी।