PATNA: बिहार में कोरोना संकट के तकरीबन दो महीने बाद मुख्यमंत्री नीतीश कुमार को सत्ता में साझीदार पार्टी बीजेपी की फिक्र हुई है. बिहार के मुख्यमंत्री कल अपनी सहयोगी पार्टी के विधायकों और विधान पार्षदों के साथ वीडियो कांफ्रेंसिंग कर उनसे फीडबैक लेंगे. कल सुबह ये वीडियो कांफ्रेंसिंग होगी.
कल बीजेपी विधायकों-विधान पार्षदों से बात करेंगे नीतीश
बीजेपी से मिली जानकारी के मुताबिक कल सुबह साढ़े 11 बजे नीतीश कुमार बीजेपी के विधायकों और विधान पार्षदों से बात कर कोरोना को लेकर सरकार के कामकाज पर उनसे फीडबैक लेंगे. अब तक नीतीश कुमार सिर्फ अपनी पार्टी जेडीयू के विधायकों से लेकर दूसरे नेताओं से बात कर रहे थे. नीतीश अपनी पार्टी के नेताओं को लगातार ये निर्देश दे रहे थे कि वे अधिकारियों के कामकाज का फीडबैक सरकार तक पहुंचाये. इससे ये मैसेज जा रहा था कि बिहार सरकार में बीजेपी के नेताओं की कोई पूछ नहीं है. कल नीतीश कुमार अपनी सहयोगी पार्टी के नेताओं से बात कर उनके दर्द पर मरहम लगाने की कोशिश करेंगे.
अलग-थलग पड़े थे बीजेपी विधायक, बढ़ रही थी नाराजगी
दरअसल कोरोना संकट के बीच बीजेपी विधायक अलग थलग पडे थे. ऐसा लग ही नहीं रहा था कि बीजेपी भी सत्ता में भागीदार है. दरअसल कोरोना को लेकर सरकार के सारे काम की कमान खुद नीतीश कुमार ने अपने हाथों मे ले रखी है. नीतीश कुमार की ज्यादातर बैठकों में बीजेपी के मंत्री तक को नहीं बुलाया जा रहा था. जब मंत्री की ही पूछ नहीं हो रही थी तो विधायकों की फिक्र करने वाला कौन था.
बीजेपी के एक विधायक ने फर्स्ट बिहार से बात करते हुए बताया कि पार्टी के ज्यादातर विधायक नाराज और नाखुश हैं. हालांकि वे खुलकर बोल नहीं रहे थे लेकिन पार्टी फोरम पर वे अपनी नाराजगी जता रहे थे. बीजेपी के एक विधान पार्षद ने बताया कि सरकार भारतीय जनता पार्टी के सहारे चल रही है लेकिन उसके विधायकों की हालत विपक्षी पार्टियों के विधायकों से भी बदतर हो गयी है. बिहार में सरकार का सारी कमान नीतीश कुमार के हाथों में है. जब नीतीश बीजेपी के विधायकों का नोटिस नहीं लेंगे तो अधिकारी उनकी बात क्यों सुनेंगे. ऐसी हालत में बीजेपी विधायक न घर के न घाट के रह गये थे.
सुशील मोदी ने की थी पहल
जानकार सूत्रों के मुताबिक इस मसले पर सुशील मोदी ने नीतीश कुमार से बात की थी. सुशील मोदी ने कहा था कि मुख्यमंत्री को बीजेपी के विधायकों और विधान पार्षदों से बात करना चाहिये. इसके बाद नीतीश कुमार बात करने को राजी हुए. वैसे भी बीजेपी विधायकों की सबसे ज्यादा नाराजगी सुशील मोदी पर ही है. विधायक कहते रहे हैं कि जब उनके नेता सुशील मोदी ही नीतीश कुमार के सामने सरेंडर कर चुके हैं तो विधायकों और दूसरे लोगों की कौन सुनेगा.