भाजपा को हराने के लिए नीतीश का त्याग देखिए: जीवन की सबसे बड़ी बेईज्जती झेल कर भी चुप हैं, लगातार जलील कर रहे राजद नेता

भाजपा को हराने के लिए नीतीश का त्याग देखिए: जीवन की सबसे बड़ी बेईज्जती झेल कर भी चुप हैं, लगातार जलील कर रहे राजद नेता

PATNA: भाजपा को देश से समाप्त करने का संकल्प लेकर पाला बदल कर जाने वाले नीतीश कुमार ने त्याग की मिसाल कायम कर दी है. राजद के साथ सरकार बनाने के बाद सहयोगी दल के नेता नीतीश कुमार की ऐसी बेईज्जती कर रहे है, जैसे पहले कभी नहीं हुई. लेकिन तमाम बेइज्जती झेल कर भी नीतीश चुप हैं. ताजा मामला लालू परिवार के सबसे करीबी माने वाले एमएलसी सुनील सिंह का है. सुनील सिंह पिछले तीन दिनों से लगातार नीतीश कुमार को जलील कर रहे हैं, लेकिन भाजपा को सफाये के मिशन में लगे नीतीश कुमार उनका नोटिस ही नहीं ले रहे हैं.


MLC सुनील सिंह ने ऐसी –तैसी कर दी

एमएलसी सुनील सिंह को लालू यादव के परिवार का सदस्य माना जाता है. राबड़ी देवी उन्हें राखी बांधती हैं. लालू यादव अपना जन्मदिन सुनील सिंह के घर में मनाते हैं. लालू परिवार के सदस्य सुनील सिंह पिछले तीन दिनों से हर रोज नीतीश कुमार को जलील कर रहे हैं. विधान पार्षद सुनील सिंह ने आज फिर फेसबुक पर लोगों से सवाल पूछा है“अगर  UPSC में सवाल पूछा जाय कि देश का Most Unreliable Politician (सबसे ज्यादा अविश्वसनीय नेता) कौन हैं तो इसका जवाब क्या होगा.”


सुनील सिंह के इस सवाल के जवाब में सैकड़ों उत्तर आये और उसमें से 99 फीसदी लोगों ने लिखा-नीतीश कुमार. 6-7 घंटे तक अपने पोस्ट पर सवाल जवाब करने के बाद सुनील सिंह ने उसे डिलीट कर दिया. जहां इस सवाल का मैसेज पहुंचाना था, वहां पहुंचा दिया गया. उसके बाद पोस्ट को डिलीट कर दिया गया. 


एक दिन पहले भी बेइज्जती की

राजद के विधान पार्षद सुनील सिंह ने एक दिन पहले भी फेसबुक के जरिये ही नीतीश कुमार को जलील किया था. शनिवार को उन्होंने फेसबुक पर लिखा “ देखिये मित्रों, मैं तो बिस्कोमान के अध्यक्ष के रूप में झूठी ही सही लेकिन ईमानदारी की ख्याति तो प्राप्त कर लिया हूं. परन्तु मेरे नाक के ठीक नीचे और अगल-बगल में अंगुलिमाल डाकू और डाकू खड़ग सिंह जैसे कुख्यात पदाधिकारी बैठे हैं. फिर भी चाहे जो कुछ भी हो मैं तो इमानदार हूं न? वही हालत तो कहीं इस प्रदेश के.......?”


शनिवार के अपने फेसबुक पोस्ट को भी सुनील सिंह ने 6-7 घंटे तक अपने पेज पर रहने दिया. जहां बात पहुंचानी थी, वहां पहुंच गयी तो पोस्ट को डिलीट कर लिया गया. अगले दिन फिर से नया पोस्ट आया. फेसबुक पोस्ट से पहले शुक्रवार को मीडिया में सुनील सिंह ने नीतीश कुमार पर हमला बोला था. उन्होंने कहा था कि नीतीश कुमार कुछ अधिकारियों को अपने हथियार के तौर पर इस्तेमाल करते हैं. सुनील सिंह ने कहा- एक बार मुझे भी ठीक करने के लिए नीतीश कुमार ने सीके अनिल नाम के आईएएस को हथियार की तरह यूज किया था. लेकिन जब सीके अनिल को समझ में आ गया कि मुख्यमंत्री उनका यूज कर रहे हैं तो वे मेरे मित्र बन गये. 


नीतीश के खास मंत्री को भी किया जलील

सुनील सिंह ने नीतीश कुमार के खास माने जाने वाले मंत्री अशोक चौधरी को जी भर के कोसा था. अशोक चौधरी को लालू प्रसाद यादव का पैर पकड़ने वाला, दलबदलु से लेकर विश्वासघाती तक बताया है. वह भी मीडिया के सामने. आलम ये है कि सुनील सिंह के सामने जेडीयू के बड़बोले नेताओं की जुबान तक नहीं खुल रही है. जेडीयू के सारे नेताओं ने चुप्पी साध ली. कोरम पूरा करने के लिए पार्टी के छोटे प्रवक्ता को लगाया गया, जो एमएलसी सुनील सिंह पर निशाना साधने की औपचारिकता निभा कर निकल गये. 


इतने बेबस नीतीश

नीतीश सिर्फ एमएलसी सुनील सिंह के सामने ही बेबस नहीं हैं. राजद के विधायक सुधाकर सिंह का ही उदाहरण ले लीजिये. पिछले 10 महीने से सुधाकर सिंह लगातार नीतीश कुमार को जलील कर रहे हैं. सुधाकर सिंह ने मंत्री बनने के बाद कैबिनेट की बैठक में नीतीश की बेइज्जती की थी. उसके बाद मंत्री पद से इस्तीफा दिया औऱ अपनी हर सभा-बैठक से लेकर मीडिया के बयान में नीतीश कुमार को जी भर के कोस रहे हैं. जब सुधाकर सिंह ने नीतीश को जलील करना शुरू किया था तो शुरू में जेडीयू नेताओं ने दावा किया था कि राजद उनके खिलाफ कार्रवाई करेगी. लेकिन आज तक सुधाकर सिंह पर उनकी पार्टी आरजेडी ने कोई कार्रवाई नहीं की. हालांकि राजद ने एक दफे उन्हें शो कॉज नोटिस भेजा था. लेकिन वह शो कॉज नोटिस कहां गायब हो गया इसका पता नहीं.


राजद के कई और नेता खुलेआम नीतीश कुमार को कोस चुके हैं. लेकिन नीतीश कुमार की तारीफ की जानी चाहिये कि वे ये सब बर्दाश्त कर रहे हैं. नीतीश पिछले 18 साल से बिहार के सीएम हैं. उसमें ज्यादातर समय सरकार बीजेपी के साथ चलायी है. लेकिन ऐसी घनघोर बेइज्जती बीजेपी के नेताओं ने उनकी कभी नहीं की. तभी ये कहा जा रहा है कि भाजपा को खत्म करने का संकल्प ले चुके नीतीश ने अपने स्वाभिमान, सम्मान सब को दांव पर लगा दिया है.