PATNA: छपरा में जहरीली शराब से हुई मौतों को लेकर बिहार का सियासी पारा चरम पर पहुंच चुका है। मृतकों के परिजनों को मुआवजा दिए जाने की मांग को लेकर विपक्ष सरकार के खिलाफ लगातार हमलावर बनी हुई है। बीजेपी का कहना है कि जब उत्पाद अधिनियम में मुआवजे के प्रावधान है तब सरकार पीड़ित परिवारों को मुआवजा क्यों नहीं दे रही है। विपक्ष की इस मांग पर मद्य निषेध विभाग के मंत्री सुनील कुमार ने अजब दलील दे दी है। उन्होंने कहा कि उत्पाद अधिनियम के प्रावधानों के मुताबिक दोषियों की संपत्ति को बेचकर पीड़ितों को मुआवजा देने की बात कही गई है। गोपालगंज में उसी प्रावधान के तहत मुआवजा दिया गया था लेकिन फिलहाल सरकार के पास ऐसी कोई योजना नहीं है।
मंत्री सुनील कुमार ने कहा है कि शराब माफिया की संपत्ति को बेचकर पीड़ितों को मुआवजा देने की बात उत्पाद एक्ट में कही गई है। कहीं भी इस बात का जिक्र नहीं है कि सरकार शराब पीकर मरने वालों को मुआवजा देगी। जब बिहार में शराबबंदी कानून लागू हो रहा था तब बीजेपी समेत सभी दलों ने इसका समर्थन किया था। गोपालगंज में 2016 में जो भी मुआवजे की बात थी उसमें यह था कि मामले में जो लोग दोषी हैं उनके पास से रिकवरी की जाएगी। गोपालगंज जिला रिकवरी की प्रक्रिया कर रहा है लेकिन फिलहाल सरकार के पास ऐसी कोई योजना नहीं है।
मंत्री ने सरकार की ओर से सफाई पेश करते हुए कहा कि छपरा में घटनाएं अधिक जरूर हुई हैं लेकिन इस बात को भी देखने की जरूरत है कि बिहार में शराबबंदी कानून लागू होने के बाद से अबतक 230 से अधिक कर्मियों को बर्खास्त किया जा चुका है। मंत्री सुनील कुमार ने कहा कि जहरीली शराब कांड में जो लोग भी दोषी होंगे उनके खिलाफ कार्रवाई तय है। सरकार वरीय अधिकारियों से मामले की जांच करा रही है और जांच रिपोर्ट आने के बाद जो भी जरूरी होगा वह कदम उठाया जाएगा। उन्होंने बताया कि सरकार के आंकड़ों के मुताबिक छपरा में जहरीली शराब पीने से अबतक 38 लोगों की मौत हुई है।