PATNA : उत्तर प्रदेश के विधानसभा चुनाव के पहले बिहार एनडीए में जबरदस्त प्रेशर पॉलिटिक्स देखने को मिल रहा है. यूपी चुनाव बीजेपी के साथ मिलकर लड़ने का ऐलान कर चुके जनता दल यूनाइटेड को अब तक के सहयोगी दल की तरफ से कोई ठोस जवाब नहीं दिया गया है. लेकिन बिहार में विधान परिषद चुनाव को लेकर दबाव की राजनीति का नया खेल शुरू होता दिख रहा है.
जनता दल यूनाइटेड के राष्ट्रीय अध्यक्ष ललन सिंह खुद इस बात का ऐलान कर चुके हैं कि उनकी पार्टी उत्तर प्रदेश में बीजेपी के साथ मिलकर ही चुनाव लड़ेगी. इसके लिए पार्टी ने आरसीपी सिंह को बातचीत का जिम्मा दे रखा है. लगभग महीने भर पहले जनता दल यूनाइटेड की तरफ से अपने दावे वाली सीटों की लिस्ट बीजेपी को सौंपी भी जा चुकी है लेकिन इसके बावजूद अब तक भारतीय जनता पार्टी ने इस वीडियो को कोई जवाब नहीं दिया है.
एक तरफ बीजेपी के सामने जेडीयू के वरिष्ठ नेता और केंद्रीय मंत्री आरसीपी सिंह जहां कमजोर पड़ते दिख रहे हैं तो वहीं दूसरी तरफ अब नीतीश कुमार में प्रेशर पॉलिटिक्स के लिए उपेंद्र कुशवाहा को आगे कर दिया है. उपेंद्र कुशवाहा बिहार में स्थानीय निकाय कोटे से होने वाले विधान परिषद चुनाव को लेकर दावेदारी ठोक दी है. उपेंद्र कुशवाहा ने 24 विधान परिषद सीटों में से 12 पर जेडीयू की तरफ से दावा किया है.
संसदीय बोर्ड के अध्यक्ष कुशवाहा का कहना है कि बिहार में एनडीए गठबंधन के अंदर बीजेपी और जेडीयू 50-50 के फार्मूले पर चलती रही है और यही फार्मूला विधान परिषद के चुनाव में भी लागू होना चाहिए. विधान परिषद के लिए स्थानीय कोटे से जो चीजें हैं उसके मौजूदा समीकरण के हिसाब से 24 में से 13 सीटें बीजेपी 8 सीटें जेडीयू के पास है 2 सीटें आरजेडी के पास 1 सीट कांग्रेस के पास है. इतना ही नहीं एनडीए गठबंधन में मुकेश सहनी की वीआईपी और जीतन राम मांझी कि हमको भी एडजस्ट करना है. ऐसे में जेडीयू की तरफ से 12 सीटों पर दावा कर उपेंद्र कुशवाहा ने बीजेपी पर दबाव बनाने की कोशिश की है.
सियासी जानकार कुशवाहा के इस दावे को दबाव की राजनीति का हिस्सा मान रहे हैं. बिहार विधान परिषद की सीटों पर दबाकर जेडीयू कहीं न कहीं बीजेपी का ध्यान अपनी तरफ खींचना चाहता है. मकसद यह है कि विधान परिषद के बहाने यूपी में सीटों का तालमेल हो जाए. मिशन यूपी के लिए व्यस्त बीजेपी के नेताओं को फिलहाल बिहार की फिक्र नहीं है लेकिन ऐसा नहीं कि विधान परिषद में सीटों के तालमेल को लेकर पार्टी कोई फैसला आया बातचीत नहीं करेगी ऐसे में अगर जेडीयू 12 सीटों पर दवा करेगा तो जाहिर तौर पर एडजस्टमेंट के लिए बातचीत शुरू होगी इसी बातचीत के दौरान यूपी चुनाव का फार्मूला भी निकल जाएगा हालांकि अब आते है कि बीजेपी चाहे जितनी भी चीजें जेडीयू को देगी जेडीयू उन सीटों पर ही चुनाव लड़कर उत्तर प्रदेश में संतोष करेगा