BJP के लिए जासूसी करते थे मांझी, बोले CM नीतीश - हमने पार्टी को मर्ज करने का दिया था ऑफर, जाने से नहीं पड़ता कोई फर्क

BJP के लिए जासूसी करते थे मांझी, बोले CM नीतीश - हमने पार्टी को मर्ज करने का दिया था ऑफर, जाने से नहीं पड़ता कोई फर्क

PATNA : मांझी के जाने से कोई फर्क नहीं पड़ता। मैंने उनको विलय के लिए बोला था। वह साथ होते थे तो बीजेपी तक बात पहुंचाते थे। यह बातें बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने जीतन राम मांझी के महागठबंधन से अलग होने के बाद कही है।


दरअसल आज नीतीश मंत्रिमंडल का विस्तार हो रहा था। नीतीश कैबिनेट में जदयू के विधायक रत्नेश सादा को जगह मिली। इन्हें जीतन राम मांझी के बेटे संतोष कुमार सुमन के इस्तीफे के बाद मंत्री बनाया गया है। अब इसी को लेकर जब बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार से सवाल किया गया कि मांझी आप से अलग हो गए हैं और तरह-तरह के आरोप भी लगा रहे हैं। जिसके जवाब में सीएम नीतीश कुमार ने कहा कि -  मांझी दिल्ली जाकर बात कर वापस आए थे तो हमसे कहे थे कि हम आपके साथ रहेंगे। यहां थे तो वो चाहते थे कि हम बड़े जगह पर रहे। एक बात सबको मालूम था कि वह जहां कहीं भी थे लेकिन बीजेपी के लोगों से मिल रहे थे।


नीतीश कुमार ने कहा कि- वहां से मिल कर वो सबकुछ तय कर लेते थे फिर हमारे यहां भी आकर कहते थे कि हमको कुछ अलग चाहिए। तो हम तो जान ही रहे थे सब बात। तो हमने एक बार कह दिया और जब मेरे पास मिलने आए हैं तो आपको भी मालूम है आपको हमने इतना ज्यादा बनाया कोई दूसरा नहीं बनाया इसलिए अब  या तो आप अपनी पार्टी को मर्ज कीजिए नहीं तो अलग होना है तो अलग हो जाइए। तो वह मर्ज नहीं किया और ठीक है अलग हो जाते हैं तो अलग हुआ, तो ठीक हुआ। उनके जाने से मुझे कोई फर्क नहीं पड़ता है। हमलोग 23 तारीख को मीटिंग करेंगे और अगर यह लोग उस मीटिंग में अंदर होता तो जो कुछ भी वहां तय होता ये बीजेपी वाला को बता देता, इसीलिए हमने उनसे कहा कि या तो आप मर्ज करिए या अलग हो जाइए। उसके बाद वो अलग हो गए। अब उनके जगह पर हमने अपने कोटे से रत्नेश सदा को मंत्री बना दिया तो आप लोग जानते ही हैं ना।


इधर, समय से पहले चुनाव करवाए जाने की बातों को लेकर उन्होंने कहा कि, यह तो केंद्र सरकार को अधिकार है ना, वो चाहे तो समय से पहले चुनाव करा ही सकता है।जिसको बहुमत है वह चाहे तो पहले भी चुनाव करा सकता है। जब हम लोग अटल जी के साथ थे तो उन्हीं के पार्टी वाले लोग तीन चार महीने पहले चुनाव करवा दिया था, हालांकि अटल जी ऐसा नहीं चाहते थे।विपक्ष एकजुट हो रहा है तो हो सकता है उन लोगों को लगे कि यह लोग आगे मिलकर बहुत कुछ करेगा तो नुकसान होगा, इसलिए समय से पहले चुनाव करवा सकते हैं। लेकिन इसकी संभावना हमेशा रहती है।  इसलिए हमें सारे पार्टियों को अलर्ट किया है कि, मिलकर लड़ियेगा तो फायदे में रहेंगे।