PATNA : बिहार में नीतीश कुमार के साथ सत्ता की भागीदार भारतीय जनता पार्टी के तेवर इन दिनों सरकार को लेकर सख्त नजर आ रहे हैं। नीतीश सरकार की नीतियों पर बीजेपी कुछ इस अंदाज में सवाल उठा रही है जैसा आमतौर पर विपक्ष करता है। बीजेपी के प्रदेश अध्यक्ष डॉ संजय जायसवाल इन दिनों नीतीश सरकार के ऊपर बेहद आक्रामक नजर आ रहे हैं। अग्निपथ योजना के विरोध में बिहार के अंदर जो कुछ हुआ जिस तरह संजय जायसवाल समेत डिप्टी सीएम रेणु देवी और बीजेपी के नेताओं को बिहार में उपद्रवियों ने निशाना बनाया और सरकार इसे लेकर गंभीर नहीं नजर आई, उसके बाद बीजेपी ने प्रशासनिक लापरवाही का ठीकरा नीतीश सरकार पर फोड़ा था। इस बात को लेकर जेडीयू में इतनी बेचैनी दिखी की संजय जायसवाल के बयान के बाद जेडीयू की तरफ से राष्ट्रीय अध्यक्ष ललन सिंह से लेकर उपेंद्र कुशवाहा तक के जवाब देने के लिए सामने आ गए थे। लेकिन संजय जयसवाल इस मामले को लेकर एक कदम और आगे बढ़े हैं। आज उन्होंने बिहार में उच्च शिक्षा को लेकर बदहाली की बात कही है, इसके बाद जेडीयू बीजेपी प्रदेश अध्यक्ष को दूध भात बता रहा है।
इसका मतलब यह हुआ कि जनता दल यूनाइटेड के प्रवक्ता और सीधे-सीधे सोशल मीडिया के जरिए यह लिखने लगे हैं कि बीजेपी प्रदेश अध्यक्ष डॉ संजय जयसवाल की हैसियत कुछ भी नहीं है, उन्हें दूध–भात की श्रेणी में रखा जाना चाहिए, यानी संजय जायसवाल कुछ भी कहते रहे जेडीयू उसकी परवाह नहीं करता। हालांकि खुद जेडीयू के राष्ट्रीय अध्यक्ष ललन सिंह ने पिछले दिनों संजय जायसवाल के बयान पर जो प्रतिक्रिया दिखाई थी उसे देखकर समझना आसान है कि जेडीयू में कितनी बेचैनी है। उधर बात बीजेपी की करें तो फिलहाल अग्निपथ योजना को लेकर बिहार में अपने साझीदार के रवैए पर वह नरम पड़ते नहीं दिख रही है। बीजेपी को यह बात नागवार गुजरी है कि जेडीयू ने मोदी सरकार की योजना को लेकर बिहार में किरकिरी करवाई।
बीजेपी प्रदेश अध्यक्ष डॉ संजय जयसवाल जब नीतीश सरकार के ऊपर सवाल खड़े करते हैं तो वह खुलेआम यह बोलना नहीं भूलते कि वह बीजेपी प्रदेश अध्यक्ष की हैसियत से यह बात कह रहे हैं। उधर जेडीयू को ऐसा लगता है कि संजय जायसवाल अपने स्तर से बयानबाजी कर रहे हैं हालांकि बीजेपी के सांगठनिक कल्चर की बात करें तो उसमें प्रदेश अध्यक्ष वही कहता है जो राष्ट्रीय नेतृत्व का निर्देश होता है। ऐसे में यह तय माना जा रहा है कि संजय जायसवाल इस मामले को लेकर बैकफुट पर नहीं जाने वाले। राष्ट्रपति चुनाव तक शायद तेवर थोड़े नरम रहें और एक बार यह चुनाव संपन्न हो गया तो बीजेपी नीतीश को लेकर ज्यादा आक्रामक नजर आएगी।