PATNA : बिहार का एक दिहाड़ी मजदूर गिरीश यादव इन दिनों सुर्खियों में है। दरअसल गिरीश यादव मजदूरी करके अपना गुजर-बसर करता है लेकिन इसके बावजूद जीएसटी की तरफ से उसके ऊपर 37 लाख बकाया का नोटिस भेज दिया गया है। अब दिहाड़ी मजदूरी करने वाले गिरीश को समझ में नहीं आ रहा कि उसे किस बात के लिए 37 लाख बकाये का जीएसटी नोटिस भेजा गया है। मामला खगड़िया के अलौली थाना इलाके के मेघौना गांव का है। गिरीश इसी गांव का रहने वाला है। अलौली थाने ने गिरीश के साथ धोखाधड़ी से जुड़ा एक मामला दर्ज कर लिया है।
दिन भर मजदूरी करके किसी तरह परिवार के साथ गुजर-बसर करने वाले एक गिरीश यादव के ऊपर जीएसटी का नोटिस अपने आप में सुर्खियां बना हुआ है। बताया जा रहा है कि गिरीश यादव के नाम से राजस्थान के पाली में एक लिमिटेड कंपनी है। गिरीश के टेंपरेरी अकाउंट नंबर यानी टैन के ऊपर साढ़े 37 लाख रुपए जीएसटी का बकाया है। इसकी वसूली के लिए ही गिरीश को नोटिस भेजा गया है। गिरीश का कहना है कि वह कभी राजस्थान गया ही नहीं और ना ही उसके जान पहचान वालों की कोई कंपनी है। शुरुआती दौर से ही यह मामला पूरी तरीके से फर्जीवाड़े का नजर आ रहा है।
आशंका जताई जा रही है कि गिरीश के डॉक्यूमेंट का इस्तेमाल कर किसी ने फर्जी कंपनी खोली और लाखों की टैक्स चोरी को अंजाम दिया। इस पूरे घटनाक्रम के सामने आने के बाद खगड़िया के डीएम डॉ आलोक रंजन घोष ने कहा है कि यह मामला इनपुट सब्सिडी क्रेडिट का है और संभावना है सामान के लेनदेन में मजदूर के पैन का इस्तेमाल किया गया। इस मामले में गिरीश को अब राजस्थान के पाली जाकर सेल टैक्स डिपार्टमेंट के पास पक्ष रखना होगा। बिहार में दिहाड़ी मजदूरी करने वाले गिरीश के लिए यह एक बड़ी मुसीबत है। ऐसे में यह सवाल भी उठने लगा है कि क्या वाकई गब्बर सिंह टैक्स है?