PATNA : हफ्ते भर के मानसून सत्र के दौरान बिहार विधानसभा में अजीबोगरीब हालात देखने को मिल रहे हैं। मंगलवार को विधानसभा में जो कुछ हुआ वह एक इतिहास बन चुका है। सदन से विपक्ष के बहिष्कार के साथ-साथ सत्ता पक्ष के घटक दलों की गैरमौजूदगी के कारण विधानसभा की कार्यवाही को स्थगित करना पड़ा था। जनता दल यूनाइटेड ने स्पीकर विजय कुमार सिन्हा की फजीहत करा दी थी, इसको लेकर काफी देर तक सियासी माहौल भी गरम रहा था लेकिन बड़ा सवाल यह है कि आज जब बिहार विधानसभा की कार्यवाही दोबारा शुरू होगी तो नजारा क्या होने वाला है? विधानमंडल के मानसून सत्र का आज चौथा दिन है। अग्निपथ योजना को लेकर विपक्ष अपनी पुरानी मांग पर अड़ा हुआ है। आज एक बार फिर विपक्षी सदस्यों का सदन से बहिष्कार देखने को मिलेगा लेकिन सबकी नजरें जेडीयू के स्टैंड पर टिकी होंगी। क्या जेडीयू एक बार फिर बीजेपी को झटका देगा यह सवाल सियासी गलियारे में तैर रहा है। बिहार विधानसभा की कार्यवाही आज सुबह 11 बजे शुरू होगी, सबसे पहले प्रश्नोत्तर काल लिए जाएंगे। आज दो ध्यानाकर्षण सूचनाओं पर सरकार का जवाब सदन में होना है। पहली ध्यानाकर्षण सूचना शिक्षा विभाग से जुड़ी हुई है। विधायक अरुण शंकर प्रसाद और बीरेंद्र सिंह की तरफ से यह ध्यानाकर्षण सूचना दी गई है जबकि दूसरी ध्यानाकर्षण सूचना निरंजन कुमार मेहता, राज कुमार सिंह समेत तीन अन्य सभा सदस्यों की तरफ से दी गई है। इस पर सरकार की तरफ से योजना एवं विकास विभाग जवाब देगा। भोजन अवकाश के बाद आज विधानसभा में वित्तीय कार्य होना है। बिहार विनियोग विधेयक संख्या 3 आज सदन में चर्चा के लिए रखा जाएगा।
आपको याद दिला दें की मंगलवार को सदन में क्या हुआ था
जब बिहार विधानसभा की कार्यवाही लंच ब्रेक के बाद शुरू हुई तो सदन में उत्कृष्ट विधायक की परंपरा शुरू करने को लेकर विशेष बहस शुरू हुई. विधानसभा की कार्यवाही में पहले से ही इस विशेष चर्चा का जिक्र था. लेकिन सदन की कार्यवाही शुरू होने के बाद विपक्ष का एक भी विधायक सदन में नहीं पहुंचा. पत्रकारों ने जब ध्यान दिया तो पता चला की जेडीयू का भी कोई विधायक सदन के अंदर मौजूद नहीं है. ट्रेजरी बेंच पर जेडीयू के तीन मंत्री लेसी सिंह, सुनील कुमार और शीला मंडल सदन में मौजूद थे. लेकिन कुछ ही देर में उनके पास मैसेज पहुंचा औऱ तीनों मंत्री भी सदन से निकल गये। सदन में चर्चा हो रही थी और बाहर जेडीयू के विधायक मंत्री श्रवण कुमार के साथ बैठक कर रहे थे. वे सदन के अंदर जाने के बजाय श्रवण कुमार के कक्ष में जमे रहे. इस दौरान मुख्यमंत्री नीतीश कुमार भी पहुंचे लेकिन हाउस में नहीं गये. नीतीश ने अपने सहयोगी मंत्रियों विजय चौधरी और श्रवण कुमार के बीच लंबी मंत्रणा की. जेडीयू के एक नेता ने कहा कि पार्टी ने बीजेपी को साफ साफ मैसेज दिया है कि सदन में वही होगा जो नीतीश कुमार चाहेंगे. बीजेपी या विधानसभा अध्यक्ष के कहने से सदन नहीं चलेगा।
क्यों हुआ विवाद
दरअसल ताजा विवाद कुछ दिनों पहले शुरू हुआ था जब बीजेपी के प्रदेश अध्यक्ष ने अग्नपथ आंदोलन को लेकर सरकार पर गंभीर सवाल उठाये थे. बीजेपी के प्रदेश अध्यक्ष संजय जायसवाल ने मीडिया के सामने कहा कि प्रशासन और पुलिस के लोग बीजेपी के नेताओं और कार्यालयों को निशाना बनवा रहे हैं. प्रशासन ने गुंडों के साथ साजिश रचकर बीजेपी के नेताओं पर हमला करवाया है। संजय जायसवाल के बयान के बाद जेडीयू के कई नेताओं ने उन पर ताबडतोड़ हमला बोला था. ये तनाव चल ही रहा था कि विधानमंडल का सत्र आ गया. विधानसभा के अध्यक्ष विजय कुमार सिन्हा ने अपनी ओर से कई पहल कर दी. उन्होंने सरकार से कहा कि वह सभी जिला मुख्यालयों और प्रखंडों में विधायकों के लिए कमरे बनवाये जहां बैठकर विधायक जनता से मिल सकें. वहीं विधानसभा अध्यक्ष ने सदन में उत्कृष्ट काम करने वाले विधायक को सम्मानित करने की परंपरा शुरू करने का भी एलान किया।